Monica Gupta

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April 14, 2015 By Monica Gupta

My Book Shoppe

7 books of monica gupta

 

My Book Shoppe

मेरी लिखी गई 7 किताबों के आवरण cover page  (कवर पेज)

अभी तक सात किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और कार्य निरन्तर जारी है.
“मैं हूं मणि’ को 2009 में” हरियाणा साहित्य अकादमी” की तरफ से बाल साहित्य पुरस्कार मिला। इस पुस्तक में मणि के बचपन की कुछ कहानियां हैं. जिसमे शरारत है. मासूमियत है जिद्दीपना है और बहुत सारा प्यार छिपा है.

‘समय ही नहीं मिलता’ नाटक संग्रह है जिसे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से अनुदान मिला। ये वो नाटक हैं जिनका प्रसारण आकाशवाणी जयपुर और रोहतक से हो चुका है.
‘अब तक 35’ व्यंग्य संग्रह है।राष्ट्रीय समाचार पत्रों जैसाकि दैनिक भास्कर में “राग दरबारी” एक कालम छ्पता था जिसमॆ ये व्यंग्य प्रकाशित हुए. इसके इलावा “मधुरिमा” व अन्य पत्रिकाओं में भी व्यंग्य प्रकाशित हुए उनमे से ये किताब कुछ चुनींदा व्यग्यों का सकंलन है.
‘स्वच्छता एक अहसास’ सामाजिक मूल्यों पर आधारित किताब है। खुले मे शौच जाने की सोच किस तरह बदली और लोगो ने शौचालय बनवाए उसी पर यह प्रेरित करती किताब है.
‘काकी कहे कहानी’ बाल पुस्तक है जो ‘नैशनल बुक ट्रस्ट’ से प्रकाशित हुई है। काकी बच्चे को कहानी सुनाती है पर बच्चा पढाई की वजह से कहानी सुनने मे शौक नही रखता पर जब कहानी सुनना शुरु करता है तो काकी के पीछे ही पड जाता है कि और कहानी सुनाओ पर फिर काकी कहानी से तौबा कर लेती है.
‘अब मुश्किल नहीं कुछ भी’ को भी “हरियाणा साहित्य अकादमी” की तरफ से अनुदान मिला है। इसमें जानी मानी दस शख्सियतें हैं उनका बचपन कैसा था और साधारण परिवार से होते हुए भी आज किस मुकाम पर पहुंचे हैं “अब मुश्किल नही कुछ भी “उनके बारे में बताता है.
‘वो तीस दिन’ बाल उपन्यास ,नैशनल बुक ट्रस्ट के नेहरू बाल पुस्तकालय की ओर से प्रकाशित हुआ है। “वो तीस दिन” उपन्यास की कहानी दसवीं में पढने वाली जिद्दी, शरारती लडकी मणि की है जिसकी हाल ही में बोर्ड परीक्षा समाप्त हुई है और अब वो कुछ दिन पढाई से दूर मौज मस्ती में रहना चाहती है पर उन तीस दिनों में कुछ ऐसा होता है कि उसकी सोच में बदलाव आ जाता है. इस उपन्यास में हंसी मजाक, प्रेरक प्रसंग, पहेलियां, चुटकुले, और भी बहुत कुछ है जिससे बच्चे सीख सकते हैं और बहुत अच्छे इंसान बन सकते हैं.

 

monica-gupta
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