Monica Gupta

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December 29, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Parenting Tips for Teenagers – बच्चों की परवरिश कैसे करें

Parenting Tips for Teenagers – बच्चों की परवरिश कैसे करें –  Parents पूछ्ते हैं कि Teenagers को deal कैसे करें, कैसे handle करें… तो मैं उनसे कहती हूं कि Teenagers कोई situation नहीं है जिसे हम handle or deal करें… वो इंसान हैं person है और हमें Treat करना है वो भी प्यार से… respect से… Teenage बुरी नहीं है ….  ये Parents के लिए और साथ ही साथ बच्चों के लिए difficult टाईम होता है पर अगर हमने बच्चों को अच्छे से समझ लिया तो यकीन मानिए.. ये भी खूबसूरत बन सकता है… पर अब प्रश्न आता है कि कैसे ?? तो इसके बारे में मैं आज बता रही हूं 9 बातें..

Parenting Tips for Teenagers – बच्चों की परवरिश कैसे करें

1. पहला है बातचीत… communicate जब आमतौर पर हम teen से बात करते हैं तो जवाब होता है हां या न बस इतना ही इससे ज्यादा नहीं और अगर Parents बात करना शुरु भी करते हैं तो वो  किसी भी पल argument बन जाती है… तो क्या करना चाहिए ऐसे में

बात सुने.. हम अपनी चलाते हैं और सुनते नहीं है तो उनकी बात सुने.. बच्चा ये चाहता है कि उसे सुना जाए और समझा जाए ना कि सीधा ही जज बन कर अपना फैसला सुना दें..

उनके साथ समय बीताए. अगर समय बिताएगें तो बच्चे को समझ पाएगें.. उसके दिल में दिमाग में क्या चल रहा है बिना साथ बैठे समय बिताए हम नहीं पता लगा सकते..

हर समय बच्चे पर पहरा न रखे.. Privacy दें.. space दीजिए… आजादी भी दीजिए.. बार बार जासूसी करने से हम उन्हें खुद चिढा रहे हैं.. कौन है किससे बात हो रही है… बहुत ज्यादा और बार बार नहीं होना चाहिए..

teen एक half-grown adult है उसे guidance चाहिए वो दीजिए बात बात पर बजाय ये बताने की ये करो ये नहीं.. बातचीत के दौरान ही बताईए कि क्या सही है क्या गलत है..

एक अच्छे दोस्त की तरह बात कीजिए.. और अगर वो किसी वजह से गुस्से में है तो आप प्यर से संयम से बात कीजिए.. अकसर हम पेरेंटस ही बच्चे पर चिल्लाना शुरु कर देते हैं तो ऐसा तो बिल्कुल नहीं करना क्योंकि ऐसा करने से बच्चा गुस्से में पैर पटकता हुआ अपने कमरे में चला जाएगा.. कमरा भडाम से बंद कर देगा फिर आपको ही चिंता होगी कि कुछ आवाज भी नहीं आ रही .. पता नहीं क्या कर रहा है.. फिर दरवाजा जोर जोर से खट खटाएगे तो बेहतर है कि ऐसी नौबत आने ही न दे.. आराम से बात करें.. और जताने की भी जरुरत नहीं कि हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं… बताने की बजाय उसे महसूस करवाईए.. कुल मिला कर घर का माहौल ऐसा बनाए कि वो खुल कर बात कर सके..

2.  खुल कर बात… कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन पर खुल कर बात होनी चाहिए.. जैसे मान लीजिए हार्मोनल चैंज आते हैं तो बच्चे से बात कीजिए कि ये तो होता ही है.. गर्ल्स में बदलाव आते हैं.. तो हाईजीन का ख्याल रखना बहुत जरुरी होता है.

बहुत बार ऐसा होता है बच्चे खुल कर बात नहीं करते और फिर झूठ बोलने लगते हैं जैसे कि बच्चे से नशे के बारे में खुल कर बात करनी चाहिए कि ये शरीर के लिए कितना नुकसानदायक है.. किस तरह से शरीर को नुकसान देता है.. और ड्रग्स लेने से, अपने पास रखने से तो जेल भी हो सकती है..  करने से और  जेल भी हो सकती है.. कई बार होता है कि बच्चा स्मोक करने लग गया या चलो एक पार्टी में थोडी ही शराब पी तो इस बारे में खुल कर बात करनी चाहिए… कई बार पेरेंटस एक दूसरे पर बात डाल देते हैं तो जिससे बात करने में बच्चा ज्यादा कम्फतटेब्ल हो उन्हें बात जरुर करनी चाहिए

3. जो चीज मना करने वाली है मना करनी चाहिए पर हर चीज को मना नहीं करना चाहिए… जैसा कि एक बच्चे को शौक हुआ कि बाल कलर करवाने है तो चलो कोई बात नहीं पर जैसे टेटू बनवाना है उसे तो हमेशा के लिए हो जाएगा.. या होठ, नाक पर कान पर छेद करवाना है तो जरुर समझाना चाहिए कि फिर ये हमेशा के लिए हो जाएगा.. और समझदारी से बात करनी है… choose your battles wisely

4. बच्चों के दोस्तों के बारे में भी जानना बहुत जरुरी है… उनके बॉय फ्रेंड गर्ल फ़्रेंड के बारे में जानना.. उन्हें अपने घर ईंवाईट करें.. ताकि आपको भी पता लगे कि कौन कैसा है… उसकी आदत कैसी है.. क्योंकि दोस्त बच्चे के जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं.. और अगर कोई बात उनकी अच्छी नहीं लगती तो बच्चे को कारण देकर समझाई कि वो किसलिए सही नहीं है..

5.  rules जरुर बने होने चाहिए.. यानि boundries हो पर इस बात का भी ख्याल रखना है कि हमारी expectation reasonable हों.. कि रात को 8 बजे के बाद घर से बाहर नहीं जाना… दोस्तों के साथ मूवी नहीं जाना… हां पर ये भी जरुर हो कि अगर जा रहे हैं तो फोन पर टच में रहे.. और बताते रहे कि कितने देर तक पहुंच जाईया.. रात के 12 बज रहे हैं पेरेंटस फोन कर रहे हैं और बच्चे का मोबाइल बंद आ रहा है… इससे चिंता होनी स्वाभाविक है… और जो हम रिल बनाए वो अगर नहीं फ़ॉलो किए तो क्या सजा हो… वो सजा भी मिलकर ही बनानी है.. ताकि बच्छा भी इस बात से अवेयर हो..

6.  बच्चों को responsible जिम्मेदार बनाएं.. उन्हें भी कुछ डिसीजन लेने की जिम्मेदारी सौंपें.. तभी बन पाएगें responsible… नहीं तो बात बात पर निर्भर ही रहेंगें.. और सिर्फ अपने और घर के प्रति ही नहीं.. परिवार और समाज के प्रति भी जिम्मेदार बनाए… किसी एनगीओ या वोलियंटर बन कर भी जिम्मेदारी दे सकते हैं..

7.  फिर बात आती है कि parenting पर technology हावी न होने दे… आपने बच्चे को स्मार्ट फोन लाकर दिया वो सारा दिन इसी में लगा रहे और बात भी न करे… तो ये भी समझाना है.. मना नहीं करना  बस जरुरत ये समझाने की है कि बैलेंस बना कर चले बच्चा.. टीवी, वीडियो गेम्स, मोबाइल में ही उलझ कर न रह जाए..

8. बच्चों को confident बनाना है.. खासकर लडकियो को.. उन्हें strong और bold बनाना है सिर्फ  looks पर ही ध्यान देने की बजाय अपने करेक्टर पर ज्यादा फोकस करें कैसे किस situation का सामना करना है वो बताना चाहिए.. वही बॉयस के लिए भी हम बोलते हैं कि लडके कभी नहीं रोते… तो उन्हें इमोशन के साथ डील करना सिखाए.. emotional होना अच्छा है.. और जो उनकी फीलिंग है हंसी की खुशी की उदासी की नाराजगी की..की.. ये कोई गलत नहीं है.. बस डील करना सीखाना है..

9. वही लड़कों को लड़कियों की इज़्ज़त करना सीखाना है.. वो भी एक इंसान है उसमें भी भावनाएं हैं उसका मज़ाक बनाना या उसके बारे में बातें बनाना नहीं चाहिए… खुद की आदर दें और अगर की आदर न करे तो उसे भी वो समझाए कि ये गलत बात है.. ऐसा नहीं करना चाहिए..

तो ये हैं कुछ बातें.. हम अगर कहते हैं कि बच्चे जिद्दी है, कहना नहीं मानते, समझते नहीं तो हमें अपने भीतर ही टटोल कर देखना होगा कि कहां कमी रह गई है..

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