रिश्ता प्यार का – rishta pyar ka – पापा ऐसे ही होते हैं दिखावा करते है कि बहुत गुस्से वाले हैं पर अंदर से देखें तो दिल मम्मी से भी ज्यादा कोमल होते हैं बहुत समय पहले एक कहानी लिखी थी बच्चों की … लेकिन ,असल में, कही न कही हम सब की जिंदगी से जुडी है …
रिश्ता प्यार का – बच्चों की कहानी
ये कहानी है एक लडकी की जिसका नाम है मणि वो 3 क्लास मे है और उनका परिवार साधारण है .. एक शाम पापा स्कूटर पर मार्किट जा रहे होते हैं तो वो मचल जाती है कि वो भी पापा के साथ जाएगी और पापा ले जाते हैं मार्किट जाते हैं
तो वो देखती है कि एक आदमी अंगूर बेच रहा है … वो कहती है कि पापा खाने हैं पापा गुस्सा करते हैं कि नही गला खराब हो जाएगा …
आगे जाते हैं हरे हरे कच्चे कच्चे अमरुद वाला बैठा होता है … पापा खाने हैं … नही… पेट दर्द हो जाएगा ..
आगे जाते हैं तो आम वाला होता है … पापा खाने है … अरे नही बहुत गर्मी करेगें … और वो भी मना …
और पापा ने लिया बडा सा पपीता और बोला कि इसे खाया करो … सब्जी मे लिया घीया तोरी, कद्दू, पालक, शिमला मिर्च और फिर वो घर लौट रहे थे..
उसी रात मणि की तबियत कुछ ठीक नही थी और उसे बुखार हो गया. पापा ठहरे पापा … बुखार देख कर दिल पसीज गया और अंगूर, आम, अंगूर खूब सारे फल मणि के लिए ले आए …
अब मणि की तबियत खराब थी इसलिए कुछ खाने का मन नही करा …
और वो फल बेचारे ऐसे ही रखे रखे सूख गए … अब इस बात को चार पाच दिन हो गए और अब वो कुछ अच्छा महसूस कर रही थी … पापा इसे अपने साथ मार्किट ले गए …
रास्ते में फिर अंगूर दिखे … बोली पापा खाने हैं … पापा बोले अरे अभी तो तबियत खराब से उठी हो …
आगे गए तो अमरूद वाला था … बोली पापा अमरुद खाने हैं पापा बोले अरे ले कर तो आया था …
तुमने खाए ही नही … आगे गए तो आम वाला बैठा था … पापा बोले अब आम के लिए मत कहना बहुत गर्म करते हैं …
और फिर पपीता घीया तोरी, शिमला मिर्च, कद्दू लिए वो घर लौट रहे थे …
तो ये थी कहानी सारे पापा लोग ऐसे ही होते हैं….
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