उधार का सुख – कैसे हो सकता है जबकि सभी लोग उधार के नाम से ही कतराते हैं पर मेरी इस पात्रा को उधार के नाम से बेहद खुशी मिलती है पर कैसे यही जानने के लिए पढना पडेगा उधार का सुख
उधार का सुख – उधार मांग कर शर्मिंदा न करें
हम यही तो हमेशा पढते हैं फिर उधार का सुख कैसे हो सकता है
पर हो सकता है ये व्यंग्य है जोकि दैनिक भास्कर में राग दरबारी के तहत प्रकाशित हुआ था…
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