प्रेम –ए -फेसबुक …(व्यंग्य)
बहुत हैरानी की बात है पर आज की सच्चाई है. मै खुद हैरान हूँ कि आखिर ये
सब हुआ कैसे.असल मैं आपसे क्या छिपाना. पिछले काफी समय से मैं फेसबुक पर
ज्यादा समय लगाने लगा हूँ(ऐसा मै नही, मेरे परिवार वाले कहते हैं)सब दुखी
थे.बेगम साहिबा का मुहँ तो गुब्बारे ही तरह फूला ही रहता था कि ना जाने
मै उस पर क्या क्या करता हूँ.उधर मेरी छोटी बहन भी अपनी भाभी का ही साथ
देती और बच्चो को तो आप जानते ही हो वो तो हमेशा अपनी माँ का ही साथ
देगे. कुल मिलाकर मै अकेला पड गया और मुझसे सकंल्प
करवाया गया कि मै ततकाल प्रभाव से उस मुई फेसबुक को छोड दू जिसने घर की शांति
मे आग लगा दी.
प्रेम ए फेसबुक
मन मे बहुत दुख था कि इतने दोस्त कैसे छोड पाऊगाँ पर मन मे
विश्वास लिए मैने दिल पर पत्थर रख लिया कि घर की खुशी के लिए मै सब कर
जाऊगाँ.
अगले दिन सुबह आखँ खुलते ही याद आया कि फेसबुक नही करनी.मन तो हो
रहा था कि एक बार बस आखिरी बार देख लूँ कि रोजी का जवाब आया या नही रवि
ने सौम्या की रिक्वेस्ट भेजी या नही पर पर पर ….
सुबह सुबह काम वाली बाई काम करने आ गई थी.उसे फटाफट सफाई करते देख मैने
उसे गुस्सा करते हुए कहा कि मेज के नीचे इतना कूडा पडा है इतने दिनो से.
उसे साफ क्यो नही करती और इतनी जल्दी जल्दी काम किसलिए कर रही है और
गुस्से मे बेगम को आवाज दे कर बुलाया.
दूसरे कमरे मे बच्चे मोबाईल पर
गेम खेल रहे थे. गुस्से मे तो मै था ही इसलिए उनसे कहा कि खेल बंद करके
अपना स्कूल बैग लेकर आओ और बताओ कि क्या चल रहा है पढाई मे. ये सुनकर तो
बच्चो का मुहँ बन गया और अनमने भाव से वो उठे और बेमन से बस्ता ले आए.
मैने उनकी किताबे देखनी शुरु की ही थी कि तभी मेरी छोटी बहन ने मोबाईल का
बिल पकडा दिया.
मेरे तो होश ही उड गए इतना बिल देखकर. उसने बताया कि बिल
ज्यादा नही है कई बार ऐसा हो जाता है इतने मे इसके मोबाईल पर किसी का
मैसेज आ गया और वो दूसरे कमरे मे चली गई. मै कुछ सोच ही रहा था तभी दूध
वाला भी आ गया.दो तीन दिन से चाय मे स्वाद नही आ रहा था तो मै बाहर चला
गया और लगा उसको डांटने की पानी पिला रहे को क्या.वो भी तुनक गया और बोला
कि कल से हम नही देने आएगे आप किसी दूसरे को रख लो. वही दूसरी तरफ काम
वाली बाई भी तुनक गई कि हम नही कर सकते काम यहाँ पर.साहब गुस्सा करते
हैं. बेगम ने बडी मुश्किल से उसे समझाया और उलटे हम पर ही बरस पडी. जब
दोपहर को खाना खाया तो भी बेगम को लेक्चर दे दिया कि घी कम डाला करो. नमक
बहुत है. दाल पतली बनी है. कढी माता जी जैसी नही बना सकती वगैरहा
वगैरहा.
मुझे मजा आ रहा था कि घर की तरफ मै ध्यान ही नही दे पा रहा था. अब
सभी पर पूरी नजर रखूगाँ पर शायद मेरे परिवार वालो को कुछ और ही मंजूर था.
शाम को ही चाय के दौरान बेगम ने सभी के सामने घोषणा कर दी कि अब से वो
अपने पति यानि मुझे नही टोकेगी.मै कितनी देर भी फेसबुक कर सकता हूँ.वाह मेरा प्रेम ए फेसबुक!!!
अचानक इस घोषणा को सुनकर मै हैरान जरुर हुआ पर चेहरे पर स्माईल आ गई. मैने भी
भाव मे आकर बोल दिया कि ठीक है पर आगे से मुझे कोई टोकेगा नही.सभी एक ही
स्वर मे बोले …. नही कोई नही टोकेगा.आप करो जितना आपका मन करे उतनी देर
करो. आपको कोई नही टोकेगा. अगला दिन .. मै इंटरनेट कर रहा था.काम वाली
बाई सफाई कर रही थी. इसने हमेशा ही तरह मुझसे खडे होने को कहा ताकि अच्छी
तरफ सफाई हो जाए और मैने भी हमेशा की तरह उससे कह दिया कि ऊपर ऊपर से ही
निकाल ले बाकि कल कर लेना. बेगम चाय लेकर आई और मै स्वाद ले लेकर पीता
रहा कि आज अच्छा दूध दिया है दूध वाले ने.
बहन मोबाईल बिल के रुपए लेने
आई मैने पर्स ही उसे पकडा दिया. बच्चे टेस्ट पर साईन करवा कर ले गए और मै
फेसबुक मे ही जुटा रहा क्योकि रोजी की मेल का जवाब जो देना था.अब मै बहुत
खुश हूँ क्योकि अब बेरोक टोक अधिकार जो मिल गया है फेसबुक करने का. घर
वाले भी खुश और मै तो हूँ ही खुश … मैं और मेरा प्रेम ए फेसबुक