एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी-ये कहानी सुमन और कुसुम दो महिलाओं की है…. जिंदगी में बस दिन भर चैट, लाईक और कमेंट करना ही काफी नहीं इसके आगे भी बहुत कुछ है पर क्या ??? जानने के लिए आपको सुननी पडेगी – एक कहानी ऐसी भी- हिन्दी लघु कहानी
एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी
वो दो सहेलियां थी, बिल्कुल पक्की वाली. नाम था कुसुम और सुमन. दोनो की पढाई एक ही स्कूल मे हुई और फिर एक ही कालिज में दाखिला हुआ और फिर दोनों की शादी भी एक ही शहर में हुई. दोनो लडकियों को उनके परिवार वाले और दोस्त बहनें ही बुलाते थे और कहते कि पिछ्ले जन्म में दोनो सगी बहनें ही होगी तभी तो इस जन्म में इतनी पक्की दोस्ती है.
शादी के बाद दोनो अपना अपना घर सम्भालने में व्यस्त हो गई. दोनो के एक एक बच्चा भी हो गया और दोनों अपनी अपने गृहस्थी में मस्त हो गई. एक शहर में रहने के बाद भी दोनों जल्दी से मिल नही पाती थीं. एक दिन अचानक मार्किट में दोनो का सामना सामना हो गया. कुसुम सुमन को देख कर और सुमन कुसुम को देख कर हैरान रह गई. कुसुम जहां हमेशा की तरह एक्टिव और स्मार्ट थी वही सुमन बिल्कुल बदल गई थी.
थोडी ज्यादा ही मोटी भी हो गई थी बिल्कुल घरेलू टाईप महिला बन गई थी… सुमन ने कुसुम से पूछा कि तुमने तो जरुर नौकरी ज्वाईन कर रखी होगी तभी तो इतनी स्मार्ट लग रही हो… इस पर कुसुम बोली … अरे नही बिल्कुल नही … घर पर बाबूजी हैं और बेटा भी बहुत छोटा है उनकी देखभाल करनी होती है ऐसे में नौकरी का तो सोच भी नही सकती… सुमन ने उसका नम्बर लिया और पूछा कि वो वटसअप पर या फेसबुक पर तो होगी तुम ?? चैट किया करेंगें…
कुसुम भी खुश हो गई और अपना नम्बर देते हुए बोली अरे वाह … फिर तो मैं भी तुम्हें फ्रेंड रिक्वेट भेजूगी … कुछ देर बात करके दोनो सहेलिया अपने अपने घर चली गई..
शाम को कुसुम ने देखा उसके वटस अप पर सुमन ने ढेर सारे मैसेज भेजे हुए थे और फेसबुक पर भी वो दूसरो पर खूब कमेंट करती रहती. दो चार बार तो कुसुम ने जवाब दिया पर वो ज्यादा समय चैट पर नही रहती थी. उसका कारण था कि कुसुम को जब भी घर के काम से समय मिलता वो ब्लॉगिंग करती उसने एक ब्लॉग बनाया हुआ था और घर के काम से फुर्सत मिलते ही उसी पर व्यस्त रह्ती.
असल में, उसे शुरु से ही प्रकृति नेचर बहुत पसंद थी इसलिए उसी पर अलग अलग फोटो क्लिक करती और उस पर डालती और उस पर कुछ न कुछ लिखती रहती.
उसने सुमन को भी फेसबुक पर लगातार एक्टिव रहते हुए देख कर बहुत बार बोला कि तुम भी कुछ करो पर हमेशा समय कहां है सारा दिन तो घर का काम ही खत्म नही होता और कामों की लम्बी चौडी लिस्ट बता देती और बात टाल जाती पर कुसुम समझ गई थी कि वो करना ही नही चाह्ती इसलिए बहाना बना रही है क्योकि घर परिवार का जितना काम कुसुम को होता उतना ही सुमन को रहता … दोनो का छोटा बच्चा और बाबूजी थे यानि काम एक जैसा सा ही था पर सुमन घर के काम से फारिक होकर वटसअप या फेसबुक पर चैटिंग और मैसेजिंग में जुट जाती.
वही कुसुम अपने समय का सही उपयोग कर रही थी. वटस अप हो या फेसबुक समय सभी को देती पर कुछ थोडा ज्यादा समय अपने शौक को देती. और आज ना सिर्फ वो बहुत क्रिएटिव हो गई बल्कि उसमें आत्मविश्वास भी बहुत आ गया अपने सर्कल में उसका नाम के साथ साथ मान सम्मान और पहचान बनने लगी बहुत लोग जानने लगे और उस से टिप्स भी लेने लगे.
वही दूसरी ओर सुमन थी … दिनभर बस चैट, लाईक और कमेंट करती वो किसी भी मुकाम पर नही पहुंच पाई थी और ना ही अपनी पहचान बना पाई थी.
हो सकता है उसके मन में एक दर्द, एक टीस सी तो उठती हो पर उसे ज्यादा न सोच कर गर्दन झटकती उस बात से ध्यान हटाती वो फिर जुट जाती किसी की पोस्ट लाईक करने, किसी पर ताना कसने में …
एक दिन जब सुमन किसी पर कमेंट कर रही थी एक जानकार महिला का उसके पास मैसेज आया उस पर लिखा था कि कि आपकी फ्रेंड लिस्ट में कुसुम जी है जरा मेरी उनसे जान पहचान करवा दीजिए प्लीज …वो बहुत क्रिएटिव है और उन्ही की तरह बनना चाहती हूं इसलिए उनसे मिलना चाहती हूं …
सुमन ने कल मिलवाने की बात कही और अगले दिन सुबह ही वो कुसुम के घर जा रहे थे. कुसुम ने दोनो को चाय सर्व की और सुमन के साथ आई महिला से मिलकर बहुत खुश हुई कि वो भी कुछ करना चाह्ती है क्योकि आमतौर पर कुछ महिलाएं नेट पर रहती तो सारा समय है पर कुछ क्रिएटिव करना हो या कुछ अलग करना हो तो समय न होने का बहाना बना देती हैं जबकि घर बैठे बैठे अपनी एक अलग पहचान बनाने का ये सबसे अच्छा माध्यम है…
कुसुम ने अपने बारे में बताया कि उसे प्रकृति की फोटो लेने का बहुत शौक था बस इसी शौक को कोनटिन्यू रखा और अपनी एक सहेली मणि से ब्लॉग बनवाया उसमे आर्टिकल फोटो पोस्ट करती रही …और सोचा भी न था कि इसके शौक को इस कदर पसंद किया जाएगा… उस महिला ने बताया कि उसे कुकिंग का बहुत शौक है … इस पर कुसुम ने कहा कि फिर तो वो बहुत कुछ कर सकती है… नई नई डिश सीखाए … और नेट से और भी नई नई डिश बनाना सीखे … अपने अनुभव शेयर करे … बहुत कुछ है कर दिखाने को बस मन में लग्न होनी चाहिए और एक दिन ऐसा भी आएगा जब अपने शौक के साथ साथ ये करियर भी बन जाएगा और सोर्स ऑफ इंकम भी …
वही सुमन उन दोनों की बातों में खो सी गई सच … ये सब कितना आसान था … और वो बस अपना समय ही वेस्ट करती रही …और दो साल में उसे मिला क्या… कुछ नही न अपनी पहचान बनी और न वो क्रिएटिव… अब उसे भी जिंदगी में कुछ बनना है घर बैठे बैठे ही वो बहुत कुछ करके दिखाएगी
कुसुम के घर से बाहर निकलते निकलते वो सोच रही थी कि वो भी अपने भीतर छिपे इंटर्स्ट को खोज कर जल्द ही कुसुम के पास आएगी और वो भी अपनी पहचान जरुर बनाएगी..
और मन बना लिया कि कल ही वो कुसुम के पास जाकर अपनी जिंदगी को नई पहचान देगी… वो भी कुछ कर के दिखाएगी…
वैसे आपने क्या सोचा घर पर रहते हुए भी क्या आप भी अपनी पहचान बनाना चाहती हैं …एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी-
वैसे अगर आप भी जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं तो प्लीज सोचिए मत कर डालिए … आप भी किसी के लिए आदर्श या प्रेरणा बन सकते हैं
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एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी – आपको कैसी लगी… जरुर बताईगा .. !!
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