बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ – लौट आई खुशी – बच्चों की छोटी कहानियाँ हमेशा आकर्षित करती है चाहे प्रेरक हो या मनोरंजक – बच्चे कहानी बहुत चाव से पढते हैं. नन्हें सम्राट नामक पत्रिका में प्रकाशित मेरी लिखी पढिए एक मजेदार कहानी
बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ – लौट आई खुशी
कल दीवाली है पर आज मणि बहुत उदास है. मणि को क्या हुआ और वो उदास किसलिए है यह बताने के लिए आपको मैं लिए चलती हूं फ्लैश बैक में यानि कुछ समय पहले…
बात एक साल पहले की है जब दीपावली आने वाली थी और मणि को अपने अब्दुल चाचा का इंतजार था. मणि दूसरी क्लास में पढती है और अपने मम्मी पापा के साथ शहर में रहती है. उसके अब्दुल चाचा ( जोकि उसके पिता के बहुत ही अच्छे दोस्त हैं और वो उन्हें हमेशा चाचू कह कर बुलाती है) गाँव में रहते हैं पर हर त्योहार पर मिलने जरुर आते हैं जैसे मणि का परिवार ईद पर हर साल उनके गांव जाता है वैसे ही वो भी त्योहार पर शहर आते हैं. मणि को अब्दुल चाचा इसलिए भी अच्छे लगते हैं कि उन्हें बहुत सारी कहानियां सुनाते हैं खासकर परियों की, राजकुमारियों की और जादू की कहानियां वो बहुत शौक से सुनती है.
मणि के मम्मी पापा तो अपने अपने काम में व्यस्त रहते हैं और शायद उन्हें कहानियां आती भी नही हैं. हालाकि वो कॉमिक्स तो बहुत सारी लाकर देते पर मणि को कामिक्स पढ़ कर उतना आनन्द नहीं आता जितना कि कहानियां सुन कर आता इसलिए हर बार उसे चाचू के आने का इंतजार रहता ।
उसे बहुत ही अच्छा लगता जब पुरानी कहानियों में मेंढ़क किस करने से खूबसूरत राजा बन जाता था या फिर सिर्फ छूने से ही पत्थर परी बन जाती हर बार की तरह पिछ्ली दीपावली पर भी वो आए पर इस बार वो मणि के लिए बेहद खूबसूरत उपहार भी लाए.
वो लाए थे प्यारा सा सफेद पामेरियन कुत्ता. पहले तो मणि को उसे हाथ लगाते भी डर लगा जैसे ही वो भौं-भौं करता मणि की ड़र के मारे अंगुलियां मुंह में चली जाती पर कुछ ही घण्टों में वह उससे इतनी हिल-मिल गर्इ कि उठते बैठते, खेलने जाते, खाते पीते हर समय वो पूछं हिलाते मणि के साथ ही रहता. मणि ने उसका नाम प्यारु रखा क्योकि वो था ही इतना प्यारा.
अब आप सोच रहे होंगें कि जब सब कुछ ठीक चल रहा था तो मणि इस बार उदास किसलिए है. जी बिल्कुल वही तो मैं बताने जा रही हूं बेशक, प्यारु के साथ वो खूब व्यस्त हो गई थी पर कहानियां सुनने का शौक वैसे ही जारी रहा अब वो प्यारु को अपनी गोदी में बैठा कर अब्दुल चाचा से कहानी सुन रही थी.
दीपावली के बाद चाचा भी वापिस चले गए और मणि अपनी पढ़ार्इ और प्यारु में मस्त हो गर्इ। समय बीतता रहा और कुछ समय पहले राखी गई और दीपावली आने वाली थी. हुआ ये कि एक दिन जब मणि स्कूल गर्इ हुर्इ थी उसके पापा दफ्तर जाने के लिए गैराज से कार निकाल रहे थे. अचानक सडक पर एक तेज गति से कार आई और प्यारु को टक्कर मार कर तेज रफ्तार से अपनी कार दौडा कर ले गया. मणि के पापा उसे तुरंत अस्पताल ले कर गए पर प्यारु को डाक्टर बचा नही पाए और प्यारु मर गया.
अब मणि के मम्मी-पापा दोनों उदास हो गए क्योकि मणि का वो सबसे अच्छा दोस्त था उन्हें सबसे ज्यादा मुश्किल यह हो रही थी कि वह मणि को कैसे समझाऐंगे कि प्यारु अब नही रहा.। उन्होनें अब्दुल को फोन किया और सारी बात बताई.
शाम को जब मणि स्कूल से घर लौटी तो उसे यही बताया गया कि गेट खुला रह गया और प्यारु कही चला गया. वो अपने आप आ जाएगा पर मणि ने जो रो-रो कर हाल बेहाल किया वो तो उसके पड़ोसी भी जान गए. उस दिन से मणि एकदम चुप सी हो गई थी.
मणि अपने कमरे की खिडकी से बाहर सडक पर झांक ही रही थी तभी बाहर एक कार आकर रुकी. मणि के देखा कार से अब्दुल चाचा उतरे. मणि उन्हें देखते ही बाहर बताने भागी कि प्यारु कही चला गया तभी मणि ने देखा कि उनके हाथ में एक छोटा-सा पिंजरा है और उसमे प्यारा-सा तोता है. मणि कुछ कहती इससे पहले अब्दुल चाचा बोले कि अरे प्यारु से क्या कह दिया था वो मेरे पास गांव आया था
क्या….? आपके पास….!मैंने तो कुछ भी नहीं कहा”। चाचा ने बताया कि प्यारु गांव आया और उसने कहा कि मणि दी का मन करता है कि वह मुझे स्कूल ले जाए और मुझसे बातें करे पर न तो वो स्कूल तो नहीं जा सकता है और न मीठी-मीठी बातें कर सकता है इसलिए उसे तोता बना दो जब भी दी स्कूल जाऐंगी मैं उड़ कर उन्हें स्कूल तक छोड़ने जाऊंगा और छोड कर वापिस आ जाया करुंगा और फिर शाम को ढ़ेर सारी बाते किया करुंगा. तो,
लो भर्इ ये रहा तुम्हारा प्यारु अब वो तोता बन गया है. तभी तोता भी बोलने लगा, हैल्लो मणि दी मैं हूं आपका प्यारु… कैसी हो!! मैने आपको बहुत मिस किया.
मणि हैरान होकर तोते की ओर देखे जा रही थी. वो उसकी मीठी और प्यारी बात सुनकर इतनी खुश हुई कि अब्दुल चाचा से लिपट ही गई और फिर उनके हाथ से पिंजरा छीन कर अपने कमरे में ले गर्इ और बाते कर रही थी कि प्यारु अब कही मत जाना मुझे छोड कर.
कल दिवाली है हम खूब मस्ती करेंगें चल मुझे अपनी नई ड्रेस भी दिखाती हूं
मणि के मम्मी-पापा भी सारी बातें पीछे खड़े होकर सुन रहे थे। अब्दुल चाचा ने सारी बात सम्भाल ली थी जिससे मणि की खोई मुस्कान लौट आई. अब घर में खुशनुमा माहौल है और सब हसते मुस्कुराते दीवाली की तैयारी में जुट गए.
बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ – लौट आई खुशी
बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ – लौट आई खुशी आपको कैसी लगी ?? जरुर बताईएगा !!
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