Monica Gupta

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April 4, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Success story of Blood donor

Blood donor Rajinder Saini

राजेंद्र सैनी और उनका न्यू पिंच …Success story of Blood donor…!!!  

 

हरियाणा के जिला  कुरुक्षेत्र में रक्तदान से सम्बंधित एक कार्यक्रम चल रहा था. स्टेज पर जो भी वक्ता आ रहे थे सभी राजेंद्र सैनी का धन्यवाद और आभार प्रकट कर रहे थे कि आज रक्तदान के क्षेत्र मे रक्तदाता या कैम्प आयोजक या प्रेरक वो जो भी कुछ  है  सब राजेंद सैनी जी  की वजह से हैं.सभी के मुंह से यह बात सुनकर एक उत्सुकता सी बनी हुई थी कि आखिर सैनी जी है कौन  क़िस तरह का काम कर रहे हैं.खैर मीटिंग खत्म हुई और मुझे मौका मिला सैनी साहब से बात करने का ….Success story of Blood donor.

1 जून 1962 को पुंडरी मे जन्मे राजेंद्र सैनी आज पूरी तरह से रक्तदान के प्रति समर्पित है. इतना ही नही इनके  परिवार  परिवार म्रे बेटा और बेटी भी रक्तदाता है. मेरे पूछ्ने पर कि रक्तदान के प्रति ऐसी प्रेरणा कब आईतो उन्होने बताया सन 1998 मे रक्तदान मे मीटिंग के दौरान  एक बार उन्होने श्री युद्दबीर सिह ख्यालिया को सुना और रक्तदान के बारे मे उनकी बाते सुनकर उनकी सोच बदली और उन्होने मन ही मन प्रण किया कि वो भी रक्तदान करेंगें. बाकि तो सब ठीक था बस एक ही जरा सी अडचन थी कि उन्हे सूई से डरलगता था. हालाकिं वो बच्चो या बडो को रक्तदान के प्रति जागरुक करते रहते थे कि सूई से जरा भी डर नही लगता पर खुद सूई फोबिया से बाहर नही निकल पा रहे थे.
एक दिन एक कैम्प के दौरान मन बना पर फिर डर गए और सोचा कि किसी लैब मे ही जाकर चुपचाप रक्तदान करके आउगा क्योकि अगर यहां  रक्तदान कैम्प मे वो रक्तदान करते समय डर के मारे चिल्ला पडे तो दूसरे लोग उनके बारे मे क्या सोचेगें पर शायद उस दिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था. डाक्टर ने उनकी भावनाओ को समझा और उन्हे बातो मे लगा कर उन्हे लिटाया और  सूई लगा दी. जब रक्तदान करके वो उठे  तो नई स्फूर्ति का उनके अंदर संचार हो रहा था, उस समय का अनुभव बताया कि दर्द तो महज इतना ही हुआ जितना  कोई नई कमीज पहनता है और उसके दोस्त उसे न्यू पिंच बोलते. 

 दूसरे शब्दो मे यह न्यू पिंच ही था जिसने एक नई दिशा दी और वो और भी ज्यादा विश्वास से भर कर लोगो को रक्तदान के प्रति जागरुक करने मे जुट गए. तब का दिन है और आज का दिन है. आज सैनी जी 49 बार रक्तदान कर चुके हैं और न्यू पिंच से प्यार हो गया है. उन्होने बताया कि रक्तदान मे अर्धशतक तो लग चुका है पर  बस अब वो  शतक लगना चाहते हैं. उन्होने बताया कि लोगो को प्रेरित करना और वो प्रेरित हुए  लोग  आगे लोगो को प्रेरित करके मुहिम जारी रखे तो एक सकून सा मिलता है. बहुत अच्छा लगता है. जब  एक दीए से दूसरा दीया जगमग करता है तो दिल को खुशी मिलती है जिसका बयान शब्दो मे नही किया जा सकता. अपनी बिटिया श्वेता के बारे मे उन्होने बताया कि जब उनकी बिटिया पहली बार रक्तदान के लिए गई तो डाक्टर ने बोला कि वजन कम है  वो रक्तदान कर  नही पाएगी. इस पर वो काफी मायूस हो गए पर आधे धटे बाद जब देखा तो वो रक्तदान करके बाहर आ रही थी इस पर जब उन्होने हैरानी जाहिर की तो श्वेता ने बताया कि उसने 5-6 केले खा लिए थे और रक्तदान कर के आई है. उसके चेहरे से जो खुशी झलक  रही थी वो आज भी भुलाए नही भूलती.

मैने जब उनसे पूछा कि कार्यक्रम के दौरान जब सभी उनका नाम ले कर सम्बोधित कर रहे थे तो वो कैसा महसूस कर रहे थे इस पर वो बोले कि खुशी तो हो रही थी एक नया संचार सा शरीर मे भर  रहा था पर दूसरी तरफ अच्छा भी नही लग रहा था. कारण पूछ्ने पर उन्होने बताया कि कही दर्शक यह ना सोचे कि मैंने  हीउन्हे कहा है कि  मेरे बारे मे भी जरुर कहना. उनकी बात सुनकर मै मंद मंद मुस्कुरा उठी क्योकि मैने खुद सुना कि लोग पीठ पीछे भी उनकी तारीफ कर रहे थे. आखिर नेक काम की अच्छाई तो छुपाए नही छिप सकती.

आज रक्तदान के क्षेत्र मे राजेंद् सैनी अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. पीजीआई रोहतक से उन्हे कैम्प आयोजक रुप मे दो बार सम्मान मिल चुका है और फस्ट एड ट्रैनर यानि प्राथमिक चिकित्सक ट्रैनर  व रक्तदाता के रुप मे वो महा महिम बाबू परमानंद, डाक्टर किदवई और श्री धनिक लाल मंडल से सम्मानित हो चुके है. राजेंद्र सैनी  दिन रात इसी उधेड बुन मे रहते है  कि किस तरहलोगो को जागरुक करे और उन्हे मोटिवेटर बनाए ताकि वो इसका संदेश आगे औरआगे फैलाते रहें. भले ही राजेंद्र सैनी आज 52 साल के हो चुके हैं पर खुद को वो नौजवान ही मानते है उनका कहना है कि रक्तदाता कभी बूढा नही होता वो हमेशा जवान ही बना रहता है.उनकी भाषा मे ‘ तो आप न्यू पिंच कब करवा रहे हैं”  !!!!

हमारी ढेर सारी शुभकामनाएं !!

Success story of Blood donor … कैसी लगी !!! हमें जरुर बताईएगा !!!!!

 

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