International Women’s Day
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हो या भारतीय महिला दिवस हो … बात महिला सशक्तिकरण की होनी बहुत जरुरी है. शहरी महिलाओं को फिर भी बहुत बातों की जानकारी रहती है पर ग्रामीण महिलाएं सिर्फ घर की चार दीवारी में ही दिन बिताती हैं उन्हें बाहर की दुनिया की जरा भी जानकारी नही होती जोकि बहुत जरुरी है..
बेशक, आज के समय मे थोडी जागरुकता तो आई है पर गांव की महिलाओं अभी भी बहुत पीछे हैं … उन्हें समझ और जानकारी बहुत कम होती है पर अगर उन्हें किसी काम के लिए जागरुक किया जाए या प्रेरित किया जाए तो उनका जोश देखने वाला होता है…
ये बात मैं इतने विश्वास से इसलिए कह रही हूं क्योकि मैने देखा है जब सिरसा के गांव गांव मे स्वच्छता अभियान चला था तो महिलाओं की भूमिका जबरदस्त थी. उसका का नतीजा था कि सिरसा के आधे से ज्यादा गांव को निर्मल ग्राम पुरस्कार मिला था और महामहिम प्रतिभा पाटिल जी से सम्मान मिला था. ये बात मैने अपनी स्पीच में भी कही है … महिला दिवस के सुअवसर पर ऐसी महिलाओं को मेरा सलाम… !!!
बात सिर्फ स्वच्छता अभियान की ही नही है बल्कि रक्तदान की है, स्वरोजगार यानि स्वयं सहायता समूह बनाने की है, नव साक्षर होने की है और अपनी शारीरिक स्वच्छता की भी है यानि महावारी के दिनों में साफ सुथरे कपडे या नैपकिन प्रयोग करने की भी है…
International Women’s Day का हमें भरपूर फायदा उठाना चाहिए और जो भी महिलाए इस क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही हैं उन्हें सम्मान भी देना चाहिए ताकि अन्य महिलाए भी उनसे प्रेरंणा पाकर कुछ सीख सकें…