परवरिश – Good Parenting Skills in hindi – परवरिश – एक कला है बच्चों की परवरिश- परवरिश यानि पेरेंटिंग….. !!! कुछ देर पहले एक जानकार घर आए. उनके साथ उनका छोटा बच्चा भी था जोकि शायद तीसरी क्लास मे था. पेरेंट्स ने बताया कि वो उसे होस्टल मे भेज रहे हैं बहुत जिद्दी हो गया है जरा भी कहना नही मानता. होस्टल मे जाएगा तो अक्ल ठिकाने आ जाएगी. इतने मे वो बच्चा हमारे पडोस में मिलने चला गया. वहां उसी की क्लास मे पढने वाला बच्चा रहता है.
परवरिश – Good Parenting Skills in hindi
कुछ देर बच्चे के पेरेंटस मेरे साथ रहे और मैनें पूरे विस्तार से बाते पूछी कि बच्चे को होस्टल किसलिए भेज रहे हैं. पहले तो वो यही कहते रहे कि यहां कोई अच्छा स्कूल नही है फिर बोले कि हम समय नही दे पाते. दोनो नौकरी करते हैं और बच्चा बिगड रहा है. बातों बातों मे मुझे यह भी महसूस हुआ कि पति पत्नी मे भी आपस मे बहुत लडाई होती है दोनो एक दूसरे की बात काट रहे थे.
मैने उनसे कहा कि पेरेंटिंग यानि परवरिश आसान नही. बहुत कुछ समझना और समझाना पडता है. ईश्वर ने आपको माता पिता बनाया है आप भाग्यशाली हैं अब बच्चे की पसंद न पसंद का ख्याल रखना उनकी ही जिम्मेदारी है. आखिर इन सब मे हम भी कही न कही जिम्मेदार हैं. दोनों चुपचाप मेरी बात सुन रहे थे.
इतने में बेटे का फोन आया कि क्या वो कुछ देर और बैठ जाए अपने दोस्त के पास. इस पर मम्मी ने बोला .. हां हां क्यो नही … हम खुद ही फोन कर के आपको बुला लेगें… मैं मुस्कुरा दी और बोली देखा … ये तरीका होता है बच्चों से बात करने का .. इसका मतलब पहला सबक आपने पास कर लिया वो भी फस्ट पोजीशन ले कर. पति पत्नी एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए और मेरी तरफ देखने लगे.
मैने बोला कि पहले समय मे पेरेंटिंग की ज्यादा आवश्यकता नही होती थी क्योकि संयुक्त परिवार होते थे और बडे लोग दादा, चाचा, ताऊ बच्चों को अपने अनुभव के आधार पर सम्भाल लेते पर आजकल एकल परिवार हो गए हैं और माता पिता दोनो ही नौकरी पेशा. ऐसे मे बच्चा करे भी तो क्या करे..
इसी बीच मैं दोनों के लिए ठंडा बना लाई और सर्व करते हुए पूछा कि अच्छा बताईए कि आप एक दुकान पर है बच्चा एक गेम के लिए मचल जाता है और रोने लगता है ऐसे में आप क्या करेगी. पत्नी ने जवाब दिया. दो थप्पड मारेगी और दुकान के बाहर खींच कर ले जाएगी.. जिद्दी है न ऐसे ही काबू आता है. मैं मुस्कुराई और बोली कि लगता है आपको ही शिक्षा की जरुरत है.
Good Parenting Skills in hindi
बच्चे के मन को समझना बहुत जरुरी है. पेरेंटिंग यानि परवरिश एक चैलेंज है. आज के बच्चो को समझदारी से हैंडल न किया गया तो उनके दिलो-दिमाग पर खराब असर हो सकता है. बच्चे को अच्छा बच्चा बनाने के लिए कुछ ऐसा करने का प्रयास करते रहना चाहिए जैसाकि बात बात में मीन-मेख न निकालें और न बात-बात पर उसे रोकें-टोकें. अगर उसे कुछ समझाना ही है तो बजाय किसी के सामने, अकेले में प्यार से समझाएं, इससे बच्चा समझ जाएगा. मेरी बात के बीच में ही वो बोली कि वो तो अक्सर बच्चे को उसके दोस्तों के सामने डांटती रहती है और कई बार तो चांटा भी लगा देती है.
मैं मुस्कुराई और बोली कि अब हाथ से काम नही दिल से लेना है. बेटा जब भी कोई अच्छा काम करे तो उसकी प्रशंसा जरुर करनी है . उसे शाबाशी दें उसके पीठ थपथपाए । मम्मी पापा की प्रशंसा से बच्चो के अंदर नया आत्मविश्वास जागता है पर पर पर बच्चे की तुलना भूल कर भी उसके दोस्त या अपने परिवार के अन्य बच्चों से नही करनी चाहिए और अपने आप से तो बिल्कुल हे नही. हम अक्सर कहते है कि जब मैं छोटा होता था तो ऐसा नही था मैं ऐसा था. मैं ये करता था … मैं वैसा था. इससे बच्चे के मन में दूसरे के प्रति चिढ और अपने प्रति हीन भावना आ जाती है.
दोनों मेरी बात ध्यान से सुन रहे थे. अचानक पत्नी बोल पडी कि वो हमेशा अपने बचपन की तुलना अपने बेटे से करती है क्योंकि उसे इतने ऐशो आराम नही मिले जितने उसके बेटे को मिल रहे हैं यही उलाहना देती रहती है पर अब नही देगी और समझदारी से काम लेगी.
मैने मुस्कुराते हुए अपनी बात जारी रखी और बोला कि बच्चें को सॉरी और थैंक्यू के साथ साथ घर आए मेहमानों या बडे-बुजुर्गो को सम्मान देना भी सीखाना चाहिए. अगर हम खुद ही घर आए लोगों का मजाक बनाएगें तो बच्चों को कैसे समझा पाएगें और अगर हम भी बात बात पर सॉरी और थैंक्यू बोलेंगें तो बच्चे को जल्दी समझ आएगी.
कई बार बच्चों के साथ बच्चा बन कर जिद या कहना भी मान लेना चाहिए। इसमे एक को यानि कभी मम्मी तो कभी पापा को बच्चे का साथ देना चाहिए और एक को बात के विपरीत जाना चाहिए . इससे यकीनन मनोरंजन भी हो जाएगा और बात भी पूरी हो जाएगी.
इसी के साथ बच्चे को मिल बांट कर खिलाना भी सिखाना चाहिए. जैसे अगर आपने अपने लिए चालकेट या पैस्ट्री खरीदी है तो सबसे पहले आप अपने बच्चे को देंगी फिर खुद खाएगीं और अगर आपका बच्चा सारी चाकलेट खुद खाने लगे तो आप झूठमूठ से नाराज हो जाएं कि आपको तो पूछा ही नही और झूठ मूठ से रोने लगे .. तब देखिए बच्चा हमेशा आपको पूछेगा खाने से पहले .. !!
कई बार हम बच्चे को बोलने का मौका ही नही देते उसे डांट कर चुप करवा देते हैं. बच्चे को बोलने का मौका देना चाहिए और अगर वो कुछ प्रश्न पूछे तो पूछ्ने देना चाहिए. टोका टाकी करके उसमे रोष भी पैदा होगा.
कोशिश यह भी होनी चाहिए कि बच्चे के सामने पेरेंट्स आपस में लडाई न करें और गाली तो बिल्कुल भी न दे इससे बच्चे के मन में गलत भावना जन्म लेती है और इस सभी बातों से बढ कर ये कि बच्चे के लिए समय निकाले. उसके साथ बैठे, बातें करे हंसी मजाक करें ताकि उसे यह अहसास हो कि ये तो मेरे दोस्त हैं और अपनी सारी बाते शेयर करने लगेगा.
बात के बीच में दोनों एक साथ बोल उठे कि हैरानी है इतना सब होता है उन्हें पता ही नही था. जितनी भी बाते उन्होने आज सुनी है उसे जानकर तो ऐसा लग रहा है कि ये तो कुल मिलाकर उन्ही की गलती है. बेटे की गलती तो कही है ही नही … न उसे समय दिया, न उसकी भावनाओं को समझा. हर समय दफ्तर का तनाव घर ले कर आते तो खूब लडाई भी होती और हमेशा पैसे रुपये देकर बच्चे की हर इच्छा को पूरा किया और अब देखो उसे घर से निकाल रहे हैं. कहते कहते उनकी पत्नी भी भावुक हो गई.
मैने दोनों से पूछा कि क्या अब आप अपने बेटे को होस्टल भेजेंगें. इस पर दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा. पत्नी बोली इस साल शायद नही क्योकि इस साल वो अच्छे पेरेंटस बन कर दिखाएगें और उसने अपने बेटे को बुलाने के लिए फोन मिला लिया. वही पिता ने भी मन ही मन कुछ निणर्य ले लिया था. अब दोनों मिलकर बच्चे का इंतजार कर रहे थे.
परवरिश यानि पेरेंटिंग के बारे में आपकी क्या सोच या राय है … जरुर बताईएगा !!
वैसे आप तो अपने बच्चों की परवरिश बहुत अच्छी तरह कर रहे होंगें अगर आप भी अपने कुछ अनुभव मुझसे सांझा करने चाहेंगें तो मुझे बेहद खुशी होगी … !!! 🙂
परवरिश – Good Parenting Skills in hindi