सर्दी का मौसम बनाम गज्जक और मूंगफली
अभी अभी लोहडी और मकर संक्राति गई है पर अपने पीछे छोड गई मूंगफली, रेवडी, गज्जक की महक… एक बार बस गलती से मुंह को लग जाए तो …. !!! कुछ ऐसा ही आज कि थोडी देर पहले मैं अपनी प्यारी सहेली मणि के घर गई. बाहर गेट खटखटाया तो कोई हलचल नही हुई. दरवाजा खुला था तो मैं अंदर चली गई. वो किचन में थी और किसी से बात कर रही थी कि मैं तुझसे बहुत नाराज हूं इसलिए आज मैं ना तुझसे बात करुंगी और न तेरी तरफ देखूंगी. बहुत ज्यादा समझती है ना तू अपने आप को …
कुछ देर मे सुनती रही सोचा शायद किसी से फोन पर बात कर रही है पर उसका गुस्सा, नाराजगी बढती ही जा रही थी तो मैनें ज्यादा सोचने की बजाय किचन में जाना ही बेहतर समझा. अंदर देखा तो वो किसी से फोन पर भी बात नही कर रही थी. मेरे पूछ्ने पर वो खिलखिला कर हंस दी कि अरे तू कब आई … मैने बताया तेरी बाते सुन रही हूं किससे बात हो रही थी मैडम.. इस पर उसने एक लिफाफा सामने रखा उसमे मूंगफली, और गज्जक, रेवडी भरी हुई थी..
मैने भी फटाफट गज्जक उठा ली… वो बोली कि इस मूंगफली और गज्जक से गुस्सा हो रही हूं .. सामने आ जाती है तो कंट्रोल नही होता.. स्वादिष्ट इतनी लगती है कि बस एक और एक और करके बहुत खाई जाती है और नुकसान बहुत करती है .. बस इसलिए इनसे ही गुस्सा हो रही थी कि आज इनकी तरफ देखूंगी भी नही … बात ही मत करना मेरे से ..!!!. कुछ देर बाते करने और मूंगफली खाने के बाद मैं भी घर लौट आई और मैने भी सोच लिया कि मैं भी तिल वाली गज्जक को ( जो मै रिकार्ड तोड खा चुकी हूं) गुस्सा करुंगी पर जब डिब्बा खोला तो सोचा कि कोई ना शाम को गुस्सा कर दूंगी और अभी तो खा लेती हूं … और .. … मुठ्ठी भर खाने के लिए निकाल लिया … अभी किसी को गुस्सा करने का मूड नही बन रहा और वैसे भी गुस्सा करना बहुत मुश्किल काम है है ना 😆
मेरे विचार से आप भी सहमत होंगें मेरी बात से .. 🙂
Photo by Soma.R