Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 5, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

कार्टून - रक्तदान महादान

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास – ब्लड नेगेटिव पर सोच सकारात्मक. Blood Donation …कल किसी जानकार को नेगेटिव ब्लड चाहिए था. मैने तुरंत अजय चावला जी को फोन लगाया और रक्तदाता तुरंत मिल गए. वो आए और उन्होनें  blood donate किया और जानकार की जान बच गई.

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

ऐसा एक बार नही दो तीन बार हुआ है अजय जी तुरंत नेगेटिव ब्लड के लिए रक्तदाता उपलब्ध करवा ही देते हैं. असल में, बात कुछ समय पहले की है जब मैं रक्तदान से सम्बंधित कुछ लेख खोज रही थी तब अचानक एक खबर पर नजर पडी कि नेगेटिव रक्त होते हुए भी सोच पॉजीटिव.. मुझे यह खबर हट कर लगी और जब ध्यान से खबर पढी तो भाग्यवश उस पर एक वटसअप नम्बर 09871455456 भी दिया हुआ था. मैने बिना समय गवाएं उन्हे फोन मिला लिया तब उनसे विस्तार से बात हुई थी.

negetive blood donor

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

अजय जी ने बताया कि बात 2008 की है जब पहली बार हरियाणा के फरीदाबाद मॆ आफिस मे लगे कैम्प मे वो रक्तदान करने गए थे. वहां पता चला कि उनका blood O negative है और यह भी पता चला कि यह बहुत rare है तब सोचा कि अगर ये इतना rare है तो क्यो ना इसका एक ग्रुप बनाया जाए. उन दिनो एसएमएस सर्विस ही होती थी. तब उसी के माध्यम से फरीदाबाद, गुड्गांव और दिल्ली एनसीआर से ऐसे नेगेटिव ब्लड ग्रुप वालो को खोजना शुरु किया.

इसी बीच उन्हें फरीदाबाद के ही गौरव सचदेवा मिले. उनका भी नेगेटिव ब्लड ग्रुप था.फिर दोनो ने मिलकर नेट वर्क बनाया और तब से आज तक ओ नेगेटिव के 60 रक्तदाता है.

आज फिर अखबार मे एक खबर देखी कि प्लेटलेट्स की नही होने देगे कमी और उसमे अजय जी ने बताया हुआ था कि उनका ब्लड एंड ह्यूमेनिटी के नाम से ग्रुप बना हुआ है और वो हर सम्भव सहायता करेगे कि नेगेटिव ब्लड ग्रुप वालो को कोई दिक्कत न आए.

पढ कर बहुत अच्छा लगा फिर दुबारा उनसे बात हुई तो उन्होने बताया कि न सिर्फ रक्तदान में बल्कि खुशी एक अहसास नाम से सोशल ग्रुप भी बनाया हुआ है जोकि गरीब बच्चो या old age home, बुजुर्गो के लिए काम करती है 2012 मे पहली बार बिग एफएम Big FM 92.7 के साथ मिलकर हुई फिर जैसे जैसे लोग जुडते गए काम करने का दायरा भी बढता चला गया..

और अब  अलग अलग क्षेत्रो मे काम कर रहें हैं  चाहे चैन्नई की बाढ हो, उत्तराखंड की flood हो, नेपाल मे भूकम्प हो या किसी भी तरह की आपदा हो मदद हो वो कभी पीछे नही हटते.

दीपावली पर भी गरीब बच्चों की मदद के लिए अभियान चलाते हैं बांटिए खुशियां, बढाए हाथ, मनाएं दीपावली कुछ जरुरतमंद बच्चों के साथ…. उन्होनें बताया कि इसे करने से उन्हे मन में असीम शांति मिलती है जिसका वर्णन शब्दों में नही किया जा सकता. और जहां तक ओ नेगेटिव रक्त की बात है उनका कहना है कि अगर  रक्तदान की महत्ता  को समझ कर उनके  साथ नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले और ज्यादा जुडेंगें तो उनका नेटवर्क और भी ज्यादा मजबूत होगा.

वैसे वो कहते भी हैं ना कि सेवा करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होठों से ज्यादा पवित्र होते हैं. भलाई के और नेक कार्य करते रहने चाहिए इतना आत्मविश्वास और आत्मबल बढता है कि चेहरे पर खुद ब खुद मुस्कुराहट आ जाती है. अजय जी और उनकी पूरी टीम को शुभकामनाऎं

blood news

 रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

 

रक्तदान और अमिताभ बच्चन – Monica Gupta

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September 21, 2015 By Monica Gupta

रक्तदान की महत्ता

रक्तदान की महत्ता 

रक्तदान ( मोनिका गुप्ता)

रक्तदान ( मोनिका गुप्ता)

 

इस बात मे कोई दो राय नही कि स्वैच्छिक रक्तदान को लेकर आम जन में जागरुकता पहले की अपेक्षा बढी है और वो बढ चढ कर रक्तदान के लिए आगे आ रहे हैं पर इस बात से भी नकारा नही जा सकता कि इस क्षेत्र में बहुत सी ऐसी भ्रांतियाँ या जानकारी का अभाव है जिनकी वजह से लोगो के बढते कदम पीछे हट जाते हैं. तो ऐसे मे क्या तरीके अपनाए जिनसे ना सिर्फ लोग ही आगे आए बल्कि पूरे परिवार के साथ आकर अन्य परिवारों  को भी जागरुक करें.

सबसे पहले तो हमें खुद को ही  जागरुक करना होगा. जैसा कि अगर हम चाह्ते हैं कि रक्तदान के क्षॆत्र में शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदाता हो तो, ऐसे में, कुछ लोगो का कहना यह भी होता है कि ये कोई होने वाली बात है मतलब ही नही. सबसे पहले तो हमें ये नकारात्मक मानसिकता खत्म करनी होगी.विभिन्न उदाहरणों से लोगो को संतुष्ट करना होगा जैसाकि हाल ही मे देश से पोलियों खत्म हुआ है. जिसके बारे में सोचा भी नही जा सकता था तो ये सोचना कि यह असम्भव है सबसे पहले तो मन से यह विचार  निकालवाना होगा और फिर ये कैसे सम्भव है इस पर विचार करना आरम्भ करना होगा. इसके लिए सबसे जरुरी है कि हमारे पास रक्तदान से सम्बंधित बातों की जानकारी हो. अक्सर आधी अधूरी जानकारी के चक्कर में ना तो हम खुद और न ही दूसरो को मोटिवेट कर पाते हैं. यह जानकारी हमें  अपने अपने क्षेत्र के डाक्टर, रक्तदाता या ब्लड बैंक से विस्तार से मिल सकती है.

जानकारी मिलने के बाद हमें शुरुआत अपने ही घर से करनी होगी. हम सभी जानते हैं कि घर परिवार की मुख्य धुरी महिला होती हैं. आमतौर पर यह देखा गया है कि महिलाएं अपने पति या बच्चों के रक्तदान करने की बात तो दूर इस विषय पर चर्चा तक करना पसंद नही करती. इसका सीधा सीधा कारण है उनमें जानकारी का अभाव होना. बहुत से ऐसे उदाहरण मैने देखें हैं जिसमें पति पचास बार से भी ज्यादा बार  रक्तदान कर चुका है पर पत्नी को नही बताया या घर मे मां को नही बताया कि अगर बताया तो बहुत डांट पडेगी. जबकि ऐसा नही है. महिलाए सारे परिवार को बेहद समझादारी से सहेज कर रखती हैं ऐसे में बस जरुरत है कि रक्तदान के बारे मे विस्तार से समझाने की और उनकी सारी भ्रांतियाँ को दूर करने की. अगर वो समझ गईं तो  तो ना सिर्फ वो अपने घर परिवार के लोगो को जागरुक करेगी बल्कि खुद भी रक्तदान के लिए आगे आएगीं. वैसे अपवाद भी बहुत हैं इस क्षेत्र मॆ. समाज मे ऐसी भी महिलाए हैं जो रक्तदान की महत्ता समझती हैं पर इनकी गिनती बस ऊंगलियों पर ही है जबकि हमें इस संख्या को असंख्य करना है.

इसके साथ साथ देश के जाने माने रक्तदाताओं के साथ जनता की समय समय पर राष्ट्रीय स्तर या राज्य स्तर पर रुबरु मुलाकात करवाई जाए ताकि वार्तालाप के माध्यम से जनता के मन में जो भी विचार हैं वो सांझा किए जा सकें. कुछ समय पहले  रक्तदान के क्षेत्र में जबरदस्त कार्य कर रहे  देवव्रत राय साहब को तीन दिन की ट्रेनिंग के सिलसिले में पंचकुला आमंत्रित किया गया था. उनके अनुभवों ने जनता को प्रेरित करने के साथ साथ बहुत प्रभाव भी छोडा. उनका आना एक मील का पत्थर  साबित हुआ इसलिए समय समय पर ऐसे व्यक्तित्व  को आमंत्रित करते रहेंगें तो निसंदेह जनता की रक्तदान से सम्बंधित जानकारी भी मिलेगी और ज्ञिज्ञासाओं का समाधान भी होता रहेगा.

इस बात में कोई शक नही कि विभिन्न राज्यों के कुछ लोग निस्वार्थ भाव से रक्तदान के क्षेत्र में बहुत सराहनीय कार्य कर रहे हैं. टीम बना कर या ब्लाग के माध्यम से या फिर वेब साईट बनाकर अपने अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं. उनके काम करने के तरीके को, चित्रों या पोस्टर्स के माध्यम से प्रदर्शिनी रुप में लगाया जाएगा तो बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.

 कुछ खास मौकों पर रक्तदाताओं और उनके परिवारो को सम्मानित करते रहने से भी रक्तदान के प्रति उत्साह बढता है. मैने स्वयं अनेक कार्यक्रम ऐसे देखें हैं जहां मंच पर रक्तदाता परिवारों को बुला कर उनके अनुभव सांझा किए जाते हैं और उन्हें सम्मानित भी किया जाता है. इतना ही नही जिसने एक बार भी (खासतौर पर महिला) रक्तदान किया है उसके अनुभव भी पूछे जाते हैं और सम्मान देकर प्रेरित किया जाता है. यकीन मानिए इस तरह से उनका बोलना उन लोगो पर  बहुत प्रभाव डालता है जिन्होने एक बार भी रक्तदान नही किया.

जब हम परिवार की बात करते हैं तो मन में बुजुर्गों की छवि के साथ साथ बच्चों की छवि भी उभर कर आती है. बच्चें हमारे देश का भविष्य हैं. अगर हम नींव भी मजबूत बना देंगें तो आने वाले समय में जागरुकता खुद ब खुद बढ जाएगी. स्कूल के पाठय क्रम में या फिर एक स्पेशल क्लास इसी से सम्बंधित होनी चाहिए. छात्रो का  समय समय पर हीमोग्लोबिन चैक होना चाहिए ताकि बचपन से ही वो अपने स्वास्थय का ख्याल रखें.  नियमित चैकअप से खानपान के बारे मे जागरुकता भी बढेगी. खासकर लडकियां पौष्टिक  भोजन लेती रहेंगी और 18 साल के होते होते तक वो बेझिझक रक्तदान कर पाएगीं.

रक्तदान से सम्बंधित एक पत्रिका या अखबार निकले और उसमे पूरे देश के रक्तदान की मुहिम से जुडे लोगों के परिचय और उनका अनुभव हो तो इससे भी जागरुकता लाई जा सकती है. इसी के साथ साथ सोशल नेट वर्किग  साईट जैसे कि फेसबुक पर भी पेज बना कर पूरे देश से जुडा जा सकता है और नई नई जानकरी भी मिल सकती है.

कहने का आशय यह है कि जनता को, उनके परिवार को स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति  प्रोत्साहित करने के सैकडो तरीके हैं बस जरुरी है कि हमारे भीतर की लग्न, एक जोश,एक जज्बा, एक कर्मठता को जगाने की. अगर वो जाग गया तो हमें अपने मकसद से कामयाब होने से कोई ताकत नही रोक सकती.

रक्तदान की महत्ता लेख  आपको कैसा लगा ?? जरुर बताईएगा !!! 

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