ज्वलंत मुद्दे और मन की बात
अच्छे दिन आने वाले हैं कि आस थी पर पता लगा कि अभी समय लगेगा.. खैर किसी तरह से मन को समझा लिया कि कोई बात नही पर पता नही क्या हुआ कि आज देश के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं … हर रोज कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है कि दिल बैठने लगा है घबराने लगा है और पिछ्ले दिनों हरियाणा में जो हुआ और उससे पूर्व जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में भी जो कुछ देखने सुनने को मिल रहा है समझ से बाहर है कि ये हो क्या रहा है …
दुख , हैरानी , चिंता की इस धडी इंतजार है दो बोल की … मन की बात की … पर नही उस तरफ से बिल्कुल चुप्पी है … बिल्कुल चुप्पी … ऐसे मे आस करें तो किस से रखें … उन उम्मीदों का क्या जो हमें कभी किसी से थीं …