Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 1, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Connect with Your Teenager – बच्चों को अपना कैसे बनाएं – Connect with Teenager –

How to Connect with Your Teenager

How to Connect with Your Teenager – बच्चों को अपना कैसे बनाएं – Connect with Teenager –  Ways to Connect with Your Teenager – teenager से कैसे बात करे… न बात करते न जवाब देते.. तो कैसे बात की जाए… पहली बात तो सुनिए… वो भी दिल से… अच्छी बातचीत सुनने से ही शुरु होती है,,, तो सच्चे मन से सुनिए…

How to Connect with Your Teenager – बच्चों को अपना कैसे बनाएं – Connect with Teenager –

Listen

true listening. ये मत महसूस होने दीजिए कि आप सुन रहे हैं उनकी बातों में छिपी worries,   emotions को समझिए. भावनाओं को समझिए… और फिर राय दीजिए..

Stay calm – Control your emotions – बेशक आपको कितना भी  गुस्सा, नाराजगी क्यो न हो…  शांत रहना है क्योकि उससे नतीजा कुछ नही निकलेगा बल्कि माहौल और खराब होगा.. तो आराम से शांत रहकर बात करनी है

जब बात करें तो open questions पूछ्ने चाहिए closed question नही क्योकि ये बातचीत का रास्ता बंद कर देता है… closed question के उत्तर हमेशा हां नही में ही मिलते हैं.. आज स्कूल में कैसा दिन रहा? क्या क्या किया.. यानि बात करने की कोशिश करनी है… और जब वो कोई बात करे तो उसमें interest लें और पूछें कि और बताओ मैं जानना चाह रहा हूं आप आज खुश लग रहे हो उआ उदास लग रहे हो कैसा रहा आज का दिन..

Communicat यानि बात करते समय हल निकालना है ना कि और कोई प्रोब्लम बढानी है.. जो हुआ उस पर बात न करके के अब कैसे उसे हल किया जाए उस पर फोकस रखना चाहिए…कुछ इस तरह से बात की जाननी चाहिए कि इसका हल ऐसा निकालेगे कि भविष्य में ये बात हो ही ना.. या चलिए हमें सबक मिला.. कुछ भी ऐसे

कभी  assume नही करना चाहिए बजाय इसके सीधा पूछना चाहिए कि क्या आप बताएगें कि क्या हुआ?? मैं कुछ दिनों से देख रहा हूं आप परेशान लग रहे हो हुआ क्या ?? क्य असब कुछ ठीक है ??

उसे बताईए कि आप हमेशा उसके साथ हैं… और उसे इस बात के लिए भी एनकरेज कीजिए कि वो खुद कोई हल निकाले कोई स्कूल में या दोस्त के साथ कोई बात हुई है तो खुद क्या सही है सोचे पर आप उसके साथ जरुर खडे हों..

दरवाजे हमेशा खुले हो.. Teenagers  अक्सर अपने दोस्तों को बहुत महत्ता देते हैं.. सारी बात उनसे शेयर करते हैं तो ऐसे में दोस्तो को घर पर बुलाईए.. जान पहचान बढाईए… पता भी लग जाएगा  कि कैसे दोस्त हैं दोस्तों का हमेशा स्वागत कीजिए…

जब बात करें तो ऐसा समय निकालें कि आप दोनों के पास समय हो… जल्दी न हो आराम से समय निकाल कर बात कीजिए… कई बार समय न हो तो समय बना लेना चाहिए जैसाकि  आपको टयूशन से लेने जाना है या स्कूल से लेने जाना है.. जानबूझ कर समय निकालना चाहिए.

समय एक साथ बिताने के लिए एक साथ खाना का समय भी रखना चाहिए… डिनर ऐसे में बेस्ट रहता है.. मिलकर खाना खाना चाहिए या फिर संडे या कोई भी एक दिन मिलकर ही बिताना चाहिए…

कई बार बच्चे बैठ कर बात करने में थोडा हैजीटेट करते हैं तो कुछ पेरेंटस बजाय बैठ कर बात करने के कुछ काम करते करते बात करते हैं जैसे मान लीजिए मदर काम कर रही हैं और बच्चा अपनी बात बता रहा है या फादर सैर कर रहे हैं और वो बोल रहे हैं कि आप भी आ जाओ घूमते घूमते बात करेंगें… इसका फायदा होता है कि आई कोंटेक्ट से बच जाते हैं कई बार पेरेंटस के गुस्से वाली आखों का सामना नही करना चाहते.. और अपनी बात आराम से कर लेते हैं.. कई बार  इस तरह से भी कर लें तो कोई गलत नही..

पेरेंटस को बच्चों की positive qualitiesदेख कर उन्हें  appreciate करना चाहिए. बेशक बहुत बातें पसंद नही होती और वो कह देते हैं पर जो पसंद होती है तो उसे भी कह देना चाहिए… ये बहुत जरुरी होता है.. –

उनके interests  का भी ख्याल रखना चाहिए – अगर उन्हें गाना सुनने का शौक है तो टीवी देखने का शौक है तो उसे बार बार टोकना नही चाहिए…

और उन्हें privacy  भी देनी चाहिए – मोबाईल कर रह अहै तो उसके हाथ से छीन कर कि किसे मैसेज कर रहे हो… ऐसे नही करना चाहिए… कमरे में भी जाए तो knock करके जाएं तो बहुत अच्छा रहेगा

पेरेंट्स को observant करते रहना चाहिए. बच्चों में बदलाव आना शारीरिक और मांसिक रुप से बदलाव आना स्वाभाविक है मूड बहुत स्विंग होता रहता है कभी बोल रहे हैं कभी चुप है… ये बातें तो नार्मल हैं पर कुछ अलग लगे तो समझना भी चाहिए और फिर बात भी करनी चाहिए. ये नही कि जज की तरह फैसला सुना दिया..

Parents को रोल मॉडल बनना चाहिए… खुद उदाहरण बनना चाहिए ताकि बच्चे उन्हें आदर्श बना सके.. वो अपनी बात पर खरे उतरें…   कुल मिलाकर एक loving parent बनना चाहिए .. अच्छी बात हो तो सराहिए और बच्चे गलती कर दें तो समझाईए खुद कभी गलत बोल गए तो माफी मांग लीजिए… पूरी तरह से स्पोर्ट कीजिए… मिल कर  बैठे हंसे बोलें..  इससे सम्बंध मजबूत बनते हैं… That type of feelings help to build good rapport.

बच्चे की सुनने के बाद जब अपनी खत्म करे तो वो तल्खी में न हो बल्कि positive note / mode में हो.. ताकि आगे भी बातचीत की सम्भावना बनी रहे…

 

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