बेटी पढ़ाओ की बजाय मां को पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के बजाय अब होना चाहिए कि बेटी की बजाय मां को पढ़ाओ वो इसलिए क्योंकि जिस तरह से कन्या भ्रूण हत्या और बच्चियों की हत्या करने के केस सामने आ रहे हैं ऐसे में माओं का शिक्षित होना ज्यादा जरुरी है…
पूत कपूत सुने है लेकिन माता नहीं कुमाता
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ या फिर बेटी को मां से बचाओ … सुनने में जरुर अटपटा लगेगा पर आज के समय में जिस तरह की घटनाए सामने आ रही हैं मन यही कहने पर मजबूर है …गूगल सर्च पर अगर आप नजर डालेगें तो बहुत कुमाता वाली बहुत खबरे पढने को मिल जाएगी किसी ने अस्ताल की छ्त से नवजात को नीचे फेक दिया तो किसी ने नाले में भ्रूण फेक़ दिया तो किसी ने कूडेदान की भेंट कर दिया नवजात को और एक केस जो हाल ही मैं सुर्खियों में आया कि अपनी नन्ही बच्ची को चाकू से मार कर ड्रामा किया कि बच्ची गायब हो गई जबकि उसका कत्ल करके बंद पडे एयर कंडीशनर में डाल दिया था.
वाह !! पढी लिखी और करोडपति मां के क्या कहने … शर्मनाक !!
माता कुमाता नही पर ये कहावत अब इस युग में झूठी साबित हो रही है. हर युग में लोगों की सोच बदल जाया करती है. चाणक्य ने कहा है कि समय आने पर स्त्री अपने स्वार्थ के लिए अपनी कोख से जन्म लेनी वाली संतान को भी मार डालती है तो चाणक्य की ये बात आज 100% सच दिखाई दे रही है….
कल खबर में जयपुर की एक मां की अपनी नन्ही बच्ची को मार कर एसी में छिपा कर रखने की खबर बार बार देखी तो सारी रात सपने में भी यही चलता रहा… मासूम सा चेहरा धूमता रहा और मैं इसी बच्ची के बारे में सोचती रही कि आखिर वो बच्ची क्या सोच रही होगी कि उसका क्या कुसूर था जो उसे इतनी बेरहमी से मार दिया गया… बेशक, हत्या का ये पहला मामला नही है ऐसी धटनाए चाहे भ्रूण हत्या हो या मासूम के कत्ल की होती रहती होगी पर हर नई घटना बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है…
एक मां थी वो मां …मां क्या होती है …
एक छोटे बच्चे को मां गुस्से में चांटा भी मार देती हैं तो सौ बार प्यार भी करती है और हजार बार सॉरी भी बोलती हैं और उन नन्हें हाथो को अपने हाथ में लेकर यह भी बोलती हैं लो आप भी मालो अपनी ममा को .. मम्मा गंदी… बहुत गंदी अपने बच्चे को माला … पर बच्चा भी अपना हाथ खींच लेता है और मासूमियत से टुकुर टुकुर अपनी मां को देखता है उसकी आखों में झिलमिलाते आसूंओ को देखता है
पर ये कैसे बेरहम मां निकली .. समझ के बाहर है…
मन में एक ही बात आ रही है कि पेड के पत्तों को पानी देने से कुछ नही होगा पेड उससे फलेगा फूलेगा नही बल्कि जड को सींचना होगा और जड है पेरेंटिंग यानि माता पिता को जागरुक होना होगा कि बच्चा हो या बच्ची… बच्चा स्वस्थ होना चाहिए बस …!!
बेटी पढाओ से पहले मांओ को पढाना होगा … अविभावकों को जागरुक करना होगा.. उन्हें सीखाना होगा.
हमारे देश में पहले संयुक्त परिवार का चलन था और बच्चे ऐसे ही पल जाते थे पर आज के दौर में मां और पिता दोनों नौकरी करतें हैं और बच्चे के लिए नौकरानी या अन्य साधन अपना लेते हैं और कई बार बच्चा उन्हें बोझ सा लगने लगता है क्योकि आजादी में खलल डालता है … जबकि ये मानसिकता बहुत गलत है… !!
बेशक, एक केस को देख कर सभी अविभावको पर भी आरोप नही लगाया जा सकता पर जब समाज में एक भी ऐसा उदाहरण उठ खडा होता है तो सारा समाज शर्मसार हो जाता है…
…
Audio- Peom-Girl Foeticide-female foeticide- india- Monica Gupta – Monica Gupta
Audio- Peom-Girl Foeticide-female foeticide- india- Monica Gupta – Monica Gupta
जो भी हो इस धटना ने शर्मसार करके रख दिया कुछ समय पहले मैने एक अजन्मी बच्ची पर कविता लिखी थी उसे भी झूठा साबित कर दिया … फिलहाल मन वाकई में बहुत व्यथित है गुस्सा है और रो रहा है ….
वैसे आपके क्या विचार हैं इस बारे में जरुर बताईएगा …