ये कैसी भक्ति
कल्पना करे कि हम मंदिर मे जाते है वहाँ एक दम शांति है धूप और अगरबत्ती से वातावरण सुगंधित हो रहा है.वहाँ हल्की हल्की नमो शिवाय , श्री गणेशाय नम: की ध्वनि से सारा माहौल गुंजित हो रहा है मन को एक अजीब सी शांति मिल रही है ऐसा महसूस हो रहा है कि भगवान से सीधा लिंक हो गया है और दिल करता है बस वही बैठ जाए और घंटों ईश्वर की साधना में लीन हो जाए
वही दूसरी ओर हकीकत से कोसो दूर, कल्पना से परे, भारी रश, धक्के खाते मंदिर मे बस किसी तरह प्रवेश पाना, पंडित जी का हमारे हाथ में राशि देख कर हमें ईश्वर के दर्शन करवाना … अगर ज्यादा हुई तो चार मिनट अगर चढावा कम चढाया तो चलो चलो दूसरे भक्त भी हैं लाईन में ….और फिर धंटे भी कतार मे लगे रहने के बाद भी सही तरीके से दर्शन ना हो पाना और उपर से शीला, मुन्नी या डीजे वाले बाबू के गानो का भगवान के नाम पर रीमिक्स …!!! रहम रहम!!
हे भगवान कुछ करो … बस यही आवाज निकलती है.
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