रक्तदान और अमिताभ बच्चन (एक खुलासा) हेपिटाइटिस बी और बिग बी की वैक्सीन को लेकर जागरुकता
स्वैच्छिक रक्तदान की जागरुकता के लिए ,मैं, अक्सर अपनी मोटिवेशनल स्पीच में ,बच्चन साहब के नाम को भी लेती हूं कि इन्हें भी रक्त की जरुरत पडी थी. रक्त की जरुरत किसी को भी कभी भी पड सकती है इसलिए स्वैच्छिक रक्तदान की महत्ता समझ कर इसे नियमित करते रहना चाहिए ताकि हम किसी की अनमोल जिंदगी बचा सकें . पर, आज, जब अमिताभ बच्चन जी ने अपने स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ा और गंभीर खुलासा किया कि वो 20 सालों से हेपिटाइटिस बी से जूझ रहे हैं.
रक्तदान और अमिताभ बच्चन
1982 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान लगी चोट के बाद उन्हें 200 लोगों का कुल मिलाकर करीब 60 बोतल खून चढ़ाया गया था, जिनमें से एक डोनर का खून हेपिटाइटिस बी के वायरस से संक्रमित था। इसकी ख़बर उन्हें 18 साल बाद लगी. उनका 75 फीसदी लिवर संक्रमित हो चुका है और सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही काम कर रहा है और वो सिर्फ़ 25 फ़ीसदी के सहारे जी रहे हैं.
(गूगल सर्च से साभार तस्वीर)
सुनकर बेहद हैरानी और दुख हुआ. सोचने की बात ये है कि इसमें अमिताभ जी का क्या दोष ??? वो बेकसूर होते हुए भी एक ऐसी सजा भुगत रहे हैं जो कसूर उन्होनें कभी किया ही नही.
बेशक, यह बात उन्होने टीका करण यानि वैक्सिनेशन की जागरुकता के संदर्भ मे कही हो पर इस बात से मेरे मन में एक और ही बात उभर कर आई और वो है रक्तदान के प्रति जागरुकता का अभाव. चाहे वो ब्लड बैंक हो, टैक्नीशियन हो आम रक्तदाता… सभी को, अलग अलग क्षेत्र में, रक्तदान के के बारे में जानकारी का अभाव है जिसके चलते ऐसी धटनाए देखने को मिलती हैं.
बेहद गम्भीर और चिंता का विषय है क्योंकि ऐसा सुनकर जिन्हें हम रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं वही पीछे हट जाते हैं और वैसे भी हमारे इस सिस्टम में इतनी खामियां हैं कि रक्तदान के लिए लोगो को प्रेरित करना दिन प्रतिदिन बहुत मुश्किल होता जा रहा है.
रक्तदाता को भी समझना होगा कि रक्तदान करते समय किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी हैं रक्तदान से पहले फार्म को भली प्रकार से पढ कर ही रक्तदान करना चाहिए ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पडे.
ब्लड डोनेशन कैम्पस में भी बजाय अपना टारगेट पूरा करने के रक्तदाताओं का होमोग्लोबिन और भार इत्यादि भली प्रकार चैक करना चाहिए और इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि वो ना सिर्फ फार्म पढे बल्कि सच्चाई से उस पर अम्ल भी करें अगर कोई पीलिया आदि जैसी बीमारी है तो उसे छिपाने के बजाय डाक्टर को बताए.
बेशक , स्वैच्छिक रक्तदान के लिए बहुत लोग, संस्थाए दिन रात काम कर रही हैं. कुछ गैरसरकारी अस्पताल भी ऐसे हैं जहां ब्लड टेस्ट बहुत अच्छी प्रकार किया जाता है ताकि रक्त जांच में किसी तरह की कोई कमी न रह जाए. इतना ही नही, यहां तक की हीमोफीलिया और थैलीसिमिया की बीमारी से पीडित मरीज भी स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरुकता फैलाने का काम कर रहे हैं ताकि जनता जागरुक हो और उनका जीवन क्रम चलता रहे .
इस बात में भी कोई दो राय नही कि इन सभी के ऐसे प्रयासों से, जागरुकता की वजह से अनगिनत लोगो की जिंदगियां भी बच रही हैं पर फिर भी रक्तदान के क्षेत्र में हम बहुत पीछे हैं बहुत कार्य करना है, बहुत प्रयास करना है और सफर बहुत लम्बा है …!!
डाक्टर से लेकर ब्लड बैंक और टेक्नीशियन स्टाफ मे पारदर्शिता और हम रक्तदाताओं में जागरुकता जब तक नही आएगी हम उस लक्ष्य को नही जीत सकते जिसमे हम कहते हैं हमारे देश में खून की कमी से कोई नही मरना चाहिए और शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदाता हो ..
इसके लिए रक्तदान की सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को आगे आकर आम जन जागरुक करना होगा. जन साधारण की सभी भ्रांतियां और सभी प्रश्नों के उत्तर देने होगें ताकि भविष्य में कोई संशय न रहे. युवा वर्ग को रक्तदान के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना होगा.
मात्र रक्तदान करना ही नही बल्कि रक्तदान के प्रति जागरुकता लाना ही हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए.
रक्तदान और अमिताभ बच्चन लेख के बारे में आपकी क्या राय है जरुर बताईएगा … !!
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