हंसना मना है- स्माईल प्लीज
हंसना मना है- स्माईल प्लीज
कुछ देर पहले मणि के घर जाना हुआ. असल में, कल काम करते हुए उसकी उंगली मे चोट लग गई थी. उदास मुंह बना कर वो मुझे अपनी चोट दिखाने लगी तो अचानक मुझे हंसी आ गई.
मुझे हंसते देख कर वो और ज्यादा चिढ गई और नाराज भी हो गई. उसे नाराज देख कर मुझे फिर हंसी आ गई. शायद मुझे ऐसा लग रहा था कि इतनी चोट नही है जितना वो बता रही है. इस बार जो हंसी आई वो और ज्यादा तेज थी.
मैने उसे मनाने की बहुत कोशिश की पर वो अभी भी गुस्सा है. वैसे कई बार हो जाता है जब गम्भीर रहने की बात होती है तो हंसी ना जाने कहां से टपक पडती है. वैसे आप के साथ तो ऐसा नही हुआ होगा अगर हुआ हो तो प्लीज कंट्रोल अन्यथा आपके अपने नाराज हो जाएगें …
हंसना मना है- स्माईल प्लीज
शरारती बच्चे, छुट्टियां और घर परिवार
दीदी की चिठ्ठी, दैनिक नवज्योति, जयपुर से हर रविवार प्रकाशित होने वाला नियमित स्तम्भ …इसमे दीदी यानि मैं अलग अलग बातें करके नन्हें बच्चों का मनोंरंजन करती और मनोरंजन के साथ अक्सर सीख भी छिपी होती ….
शरारती बच्चे, छुट्टियां और घर परिवार
हैल्लो नन्हे दोस्तो,
कैसे हो! क्या हो रहा है? इतना शोर शराबा !!अरे बाप रे !!! धमाचौकडी!! पता है कल नन्हे नोनू ने इतनी जोर से तकिया उछाला कि वो पंखे पर ही अटक गया. गोलू इतनी जोर से छ्लांग लगता है बिस्तरे से जमीन पर कि पूछो ही मत और पता है नन्ही नैना को तो मिट्टी खाने का बहाना चाहिए जब भी मौका मिला बस बाहर पहुचं जाती है. मैने प्यारी सी मणि से पूछा कि आप क्या कर सकती हो तो पता है वो मुझे तोतली आवाज मे क्या बोली. इसने कहा… दीदी, मैं छब तुछ् तल छ्कती हूं. आप दोलो मै वही तलूदी. मैने उसे कहा अच्छा अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपनी नाक पर लगा कर दिखाओ. उसने बहुत कोशिश की पर वो नही कर पाई. फिर उसने कहा कि दीदी तुछ दूसली बात बताओ. मैने उसे एक कागज दिया और कहा कि इसे बराबर करके मोड कर दिखाओ आप सात बार से ज्यादा फोल्ड नही कर पाओगे. मेरी बात सुनकर वहां, नोनू और मणि की मम्मी भी आ गई. मणि की मम्मी ने कहा कि ये तो जरा भी मुश्किल नही वो तो इस कागज को दस बार भी मोड सकती है. खैर, मणि ने पहले कोशिश की .असल मे 5 बार मोडते मोडते कागज इतना मोटा हो रहा था कि और नही मोडा जा रहा था. सातवीं बार ही इतना मुश्किल हो गया था उसे मोडना. मणि की मम्मी और कागज ले आई पर कितना भी बडा कागज ले लो वो 7 बार से ज्यादा हम नही मोड सकते.नोनू ने भी बहुत कोशिश की पर सब बेकार. घर मे एक अजीब सी चुप्प्पी छा गई थी. मणि की मम्मी खुश हो गई और बोली कि ऐसी बाते अच्छी है क्योकि कम से कम बच्चे चुपचाप तो लगे रहते है अपने काम मे.काम से मुझे याद आया कि मुझे भी एक बहुत जरुरी काम है पर जाते जाते एक बात आप सभी से जरुर कहूगी कि “हम सब कहते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है पर सच्चाई यह है कि कुछ पाने के लिए कुछ करना पडता है”.आप करिए और देखिए सफलता आपके साथ साथ होगी.
शुभकामनाओ सहित
आपकी दीदी
मोनिका गुप्ता
पाप- पुण्य और आम इंसान
पाप- पुण्य और आम इंसान
कुछ समय पहले एक समारोह मे एक दम्पति मिले थे. उन्होने मुझसे पूछा था कि क्या मैं किसी जरुरतमंद को जानती हूं तो अचानक मुझे माली की याद आई. बहुत गरीब पर मेहनती है. बहुत घरों में वो और उसकी पत्नी मिलकर काम करतें हैं. उसके चार बच्चे हैं मैने तुरंत ये सोच कर कि माली की मदद हो जाएगी उसका नम्बर दे दिया. उस महिला ने मुझे बताया कि हमारा ये शौक है जिनको भी जरुरत होती है सौ-पचास रुपए देकर मदद कर देते हैं और फोटो करवा कर सोशल नेटवर्किंग पर डालते हैं और खूब कमेंटस आ जाते हैं भलाई की भलाई हो जाती हैं और कमेंट्स अलग से… !!!
मुझे पता नही पर मुझे उनकी बातों में दिखावा ज्यादा लगा …लगा कि ये मात्र दिखावे के लिए ही ऐसा कर रहे हैं. भला पचास रुपए में कैसे मदद की जा सकती है..और चलो माना कि मदद कर भी रहे हो तो फोटो खिंचवा कर साईटस पर दिखावा करने का क्या औचित्य.. बेशक, माली गरीब है पर वो खुद्दार भी है ऐसे में कही उसके आत्मसम्मान को चोट न पहुंचे. अचानक मैनें उस महिला को कहा कि ओह !! याद आया माली ने तो अपना नम्बर बदल लिया था. ये अब उसका नम्बर नही. मैं उससे नया नम्बर लेकर दे दूगीं …!! और आगे बढ गई.. !!!
पाप करना बुरा है पर पुण्य का अहंकार ….. और भी ज्यादा बुरा है… बेशक, मदद एक पैसे की भी करना बहुत बडी बात होती है पर उसका बेवजह गुणगान करना अच्छी बात नही है .. ये दिखावा ज्यादा लगता है और इस तरह का दिखावा किसी की भावनाओ को भी आहत कर सकता है…
पाप- पुण्य और आम इंसान
निर्भया और कितनी- मन की बात
निर्भया और कितनी- मन की बात
Life Ok चैनल पर ‘सावधान इंडिया’ का एक विज्ञापन आ रहा था जिसमे एक पत्नी अपने पति को बोलती है “कितना डरते हैं आप”…. सच .. आज की व्यवस्था देख कर हर आम आदमी आज डरने लगा है… जी हां … मैं भी डर गई हूं… बहुत डर गई हूं.. हमारा रहा सहा विश्वास कोर्ट पर ही टिका है पर जब उसके फैसले ही तनाव पैदा कर दें तो हमारा डरना स्वाभाविक है.
कुछ दिन पहले सबूतों के अभाव में जानी मानी फिल्मी हस्ती को बा इज्जत बरी कर दिया गया था. वही तीन साल पहले निर्भया कांड जिस तरह से सुर्खियों में रहा …तब न्याय प्रणाली पर विश्वास सा जगा था… निर्भया कांड न जाने कितनी लाखों आखें नम कर गया था…. कितनी प्रार्थनाएं की गई थी निर्भया की सेहत को लेकर… मोमबत्ती मार्च निकाले गए थे और लोगो मे जोश देख कर सरकार तक हिल गई थी.
निर्भया कांड का केस Rare Case यानि दुलर्भ मामला की श्रेणी में रखा गया था और वो नाबालिग सबसे ज्यादा निर्दयी, जधन्य अपराधी रहा था जोकि साबित भी हुआ था पर अब उसे ही 20 दिसम्बर को आजाद कर दिया जाएगा.
निर्भया गैंगरेप का नाबालिग दोषी 20 दिसंबर को सुधारगृह से रिहा हाे जाएगा
मन में डर तो है पर डरकर भी क्या होगा…!!! बडा प्रश्न न्याय और उसकी प्रणाली पर भी है कि न्याय प्रणाली पर कैसे विश्वास करें. घटना क्रम को देखते हुए विचार करते हुए अब तो बस एक ही बात समझ आती है कि महिलाए खुद को मजबूत और तैयार रखें सम्भल कर रहें और जागरुक रहें और एक रेखा में रहें, सीमा में रहें और उसे लांधे नही…
टीवी चैनल की बहस तो महज आज आज की ही है कल उसे एक नया मुद्दा मिलेगा और वो वहां लपक लेगा हो सकता है कल के लिए टीआरपी बढाने वाला मुद्दा मिल भी गया होगा .. फिर कौन निर्भया और कौन उसके माता पिता … तीन सालों में कुछ नही बदला पर अब हमे बदलना पडेगा … जागरुक होना पडेगा… !! जागरुक रहना पडेगा !!!
डर जरुर लगेगा पर डरपोक न बनें … !!
अब ना निर्भया, न गुडिया, ना पीडिता बनना है … !!! जागरुक बनाना है
निर्भया और कितनी- मन की बात
Audio- Kids story by Monica Gupta
Audio- Kids story by Monica Gupta
Audio- Kids story by Monica Gupta
बच्चों का कहानी की दुनिया में एक बार फिर स्वागत है. आज की कहानी है प्यारी मणि अरे नही .. प्यारी मणि नही ये बेचारी मणि है या फिर ये बेचारी मणि है … खैर , ऐसा करते हैं कि पहले आप कहानी सुनिए फिर आप ही बताईए कि मैं प्यारी मणि हूं या बेचारी मणि … वैसे कहानी मे जामुन, अंगूर और अमरुद के साथ साथ पपीता भी है … कुल मिला कर ताजा ताजा कहानी है मणि और फल सब्जी 🙂
Audio- Kids story by Monica Gupta
- « Previous Page
- 1
- …
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- …
- 38
- Next Page »