Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 4, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

लक्ष्य और निगाहें

लक्ष्य और निगाहें

बच्चे और उनका मनोविज्ञान

आज के बच्चे अपना पूरा ध्यान सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, गूगल , टवीटर आदि पर देते है. बहुत लोग इसे बुरा भी कहते हैं कि बच्चे बिगड रहे हैं पर इसके माध्यम से इसका उदाहरण देकर समझाया भी जा सकता है… कैसे ??? ऐसे … हुआ यूं कि एक बार मैं एक जानकार के घर  गई. वो अपने बेटे को पढा रही थी कि निगाहें अपने लक्ष्य की ओर ही रखनी चाहिए. एकाग्रचित्त होना चाहिए … तभी हम सफल होंगे. उधर उधर भटक गए तो जिंदगी मे कुछ नही कर पाएगे. पर उसका बेटा कंफ्यूज सा हो रहा था …बेटे को निगाहें, लक्ष्य कुछ समझ नही आ रहा था.परेशान होकर वो माथे पर बल डाल कर सिर खुजलाने लगा.

मैंने उसकी सोच को भांपते हुए कहा कि फेसबुक करते हो … उसके चेहरे पर स्माईल आ गई. मैंने कहा अच्छा एक मिनट अपना  लैपटाप ले आओ. वो अंदर लेने भागा और मेरी सहेली गुस्से से मुझे देखने लगी. अयं !!! मुझे ये क्या सूझी. कुछ ही पल में मैंने फेसबुक खोल लिया और उस बच्चे को बताने लगी कि जिस तरह से लाईक पर क्लिक करेंगे तभी लाईक होगा पोस्ट पर क्लिक करेंगे तभी वो पोस्ट होगा और सब पढ पाएगे और अगर हम इधर उधर ही क्लिक करते रहेगे तो क्या कुछ होगा. करके देखो … उसने आसपास क्लिक किया पर कुछ नही हुआ पर जैसे ही लाईक को दबाया लाईक हो गया …. मैनें कहा बस यही बात है लक्ष्य की…. इधर उधर ध्यान भटेकेगा तो कुछ नही होगा बस ध्यान केंदित रखना चाहिए यानि क्लिक सही करना है और आगे बढते रहना चाहिए. अरे वाह !! तो इसका मतलब ये है … उसके बेटे को भी बहुत अच्छी तरह से समझ आ गया था. 

अब फेसबुक इतनी भी बुरी नही है समझाने के लिए भी अच्छा उदाहरण बन सकता है … है ना हां वो अलग बात है कि मेरी सहेली जरुर नाराज हो गई क्योकिं उसके बेटे ने कहा कि मम्मी बस पांच मिनट मेरा दोस्त लाईन पर क्या चैट कर लू प्लीज .. प्लीज .. प्लीज … और मैने खिसकने में ही भलाई समझी … !!! हा हा हा हा ….. !!!!

बच्चों का मनोविज्ञान जानना बहुत जरुरी है …

aim photo

 

लक्ष्य और निगाहें

November 30, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

शरारत और बचपन के दिन

शरारत और बचपन के दिन

  Shararat  aur Bachpan, मासूम बचपन, प्यारा बचपन ,

बच्चों की दुनिया बहुत प्यारी है इसे प्यारा ही बने रहने दीजिए.

आज  सुबह हमारे शहर में बहुत धुंध थी. मैं बाहर खडी मौसम देख रही थी. कुछ बच्चे धुंध में बच्चे अपनी स्कूल बस की इंतजार कर रहे थे और कुछ बच्चे बाते करते हुए जा रहे थे.तभी पीछे से एक बच्चे की आवाज आई देख मै सिग्रेट पी रहा हूं. मै हैरान कि स्कूल जाने वाले बच्चे ये क्या कर रहे है और मेरे मन में सैकडो बाते आ गई उस बच्चे के भविष्य को लेकर और मैने उसी समय पीछे मुड कर देखा कि .पता है मैने क्या देखा. बच्चा धुंध की वजह से मुहं से जान बूझ कर, हंसता हुआ, धुंआ निकाल कर सिग्रेट् पीने की एक्टिंग कर रहा था. मै उसकी  मासमूयित पर मुस्कुरा दी.

सच, आज के तनाव भरे वातावरण मे हम इतने घुल मिल गए है कि बचपन, मासूमियत और उनकी शरारतो को भूलते ही जा रहे हैं जबकि हमे उन्हे जिंदा रखना है. फिर मै भी उन बच्चो के मिल कर हंसते हंसते जानबूझ कर एक्टिंग करके मुहं से धुंआ निकलने लगी….!!! उनकी मासूम और प्यारी हंसी हमेशा ऐसी ही बनी रहॆ उसके एक लिए हमे ही प्रयास करने होंगें ..

बचपन

childhood photo

Photo by susivinh

November 24, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चे और डर

बच्चे और डर

आज बहुत साल बाद एक जानकार से मिलना हुआ. जब हम पहले मिले थे तब तो उनका बेटा सिर्फ 4 साल का था. वो बहुत शरारती  था. वो जब भी  जिस बात के लिए जिद करता या रोता उसे “”हाऊ आ जाएगा” कह कर डराया जाता  वो डर जाता और चुपचाप कहना मान लेता. मम्मी खुश हो जाती कि उनकी तरकीब काम कर गई. वही हाऊ के नाम से उसके हाव भाव बदलने लगते पता नही क्या कल्पना कर बैठा था बालपन हाऊ यानि भूत  की

आज वो सोलह साल का हो गया है पर दिल मे हाऊ का डर घर कर गया है. हाऊ का हौव्वा बन गया है उसके मन में. वो ना रात को अकेले घर पर रह सकता न ही अकेले कहीं बाहर जा सकता है अब उसकी मम्मी बेहद परेशान हैं क्योकि उन्होने सपने में भी कभी नही सोचा था कि कुछ ऐसा हो जाएगा. वैसे,  हम सभी ऐसे ही है. बच्चों मे तरह तरह का डर बैठा देते हैं ताकि बच्चा हमारी बात मान जाए . डराने धमकाने या डर दिखाने से कुछ समय तक तो शांति हो जाती है पर हम यह भूल जाते हैं कि भूत या कुत्ते आदि का डर बैठा कर बच्चे के कोमल मन पर इसका कितना असर होगा. इसलिए अगर आप भी कभी ऐसा देखे या ऐसा करते हों तो प्लीज डराना बंद कीजिए और बच्चों को समझाने या मनवाने के लिए हाऊ या अन्य चीजों का उदाहरण देना बंद करके बस प्यार से समझाईए और मनाइए…

बच्चे और डर लेख पर अगर आप कुछ कहना चहएं तो स्वागत है

 

ghost photo

November 22, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

जादू की ट्रिक्स – जादू के तरीके

जादू की ट्रिक्स
The hindi day by monica gupta (2)

जादू की ट्रिक्स

जादू की ट्रिक्स – बच्चोंं को जादू का बहुत क्रेज रहता है. वैसे जादू तो बच्चे हो या बडे सभी को भाता है . जादू के नाम पर कई बार हाथ की सफाई भी होती है तो कई बार कैमिकल का असर होता है और हम इसे जादू समझ बैठते हैं

जादू की ट्रिक्स और ढोंगी बाबा

ट्रिक्स  हमें समझ नही आती हमारी नासमझी का फायदा उठाते हैं साधु बाबा और वो हमे बुद्दू बना जाते है इसलिए ऐसा किसलिए होता है इसकी जानकारी हमें जरुर होनी चाहिए चाहे वो नींबू से खून निकलना हो या लिखा हुआ गायब हो जाए … आईए जाने और हम भी बन जाए जादूगर … ट्रिक्स कैसी लगी जरुर बताईए…

ये लेख दैनिक नवज्योति  में प्रकाशित हुआ था

November 22, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

माता पिता और बच्चे

article db by monica gupta

माता पिता और बच्चे

एक समय ऐसा आता है जब माता पिता को अपने बच्चे से दोस्त जैसा व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा अपने मन की सारी बात उनसे शेयर कर सके पर कई बार माताए ज्यादा भावुक हो जाती है और अपना गुबार या भडास बच्चों के सामने निकाल देती हैं या बच्चों के सामने कुछ ऐसा बोल जाती हैं जो उन्हे नही बोलना चाहिए था मसलन अपनी सास की बुराई या फिर यह बोलना कि मैं तो तंग ही आ गई जिंदगी से बस तुम बच्चों की खातिर ही जी रही हूं  इससे बच्चे के मन मे विपरीत असर पडता है .

माता पिता और बच्चे मेरा लिखा यह लेख  दैनिक भास्कर की मधुरिमा में प्रकाशित हुआ .

October 24, 2015 By Monica Gupta

हिंदी साहित्य और साहित्यकार

सिरसा जनपद

सिरसा जनपद

हिंदी साहित्य और साहित्यकार

हिंदी साहित्य , साहित्यकार और हरियाणा

आज के समय में जहां न्यूज चैनलों ने साहित्यकारों का साहित्य  सम्मान लौटाना सुर्खियों बनाया हुआ हैं वही हरियाणा के सिरसा के साहित्यकार इन सब बातों से दूर  कुछ हट कर दिखाने में जुटे हैं. जिसका ताजा उदाहरण है “सिरसा जनपद की काव्य सम्पदा” नामक किताब .

इस किताब में सिरसा जनपद के 115 लेखकों का परिचय है और दो उनकी दो दो रचनाए. इस किताब के बारे में मैने प्रोफेसर रुप देवगुण जी से बात की तो उन्होने बताया कि कुछ समय पहले राज्य कवि उदय भानु हंस सिरसा आए हुए थे. उन्होने कहा कि हरियाणा के सिरसा में इतने लेखक है ऐसा लगता है मानो सिरसा हरियाणा की साहित्यिक राजधानी है… बस ये बात उनके दिल के कोने मे कही घर कर गई. रुप जी ने सोचा कि “हंस” जी ने बहुत सही कहा बेशक, साहित्यिक राजधानी है सिरसा पर इसे सिद्द कैसे किया जाए और इसी बात को और पुख्ता करने के लिए उन्होनें योजना बनाई कि एक किताब बनाई जाए जिसमें लेखकों का परिचय और उनकी दो दो रचनाओं को सम्मलित किया जाए.
आज उनकी वही सोच पुस्तक रुप मे हमारे सामने हैं. इस पुस्तक को तीन खंडों में बांटा गया है. पहले खंड “स्मृति” में सिरसा के दिवंगत कवि , दूसरे खंड में समकालीन कवि व लेखक तथा तीसरे खंड में “नई कलम“हैं जिन्होनें हाल ही में लेखन आरम्भ किया है.
115 लेखकों की रचनाए और उनका परिचय सिलसिलेवार लिखने में लगभग एक साल का समय लगा. पुस्तक के सम्पादक मंडल में तीन लेखकों ने अपनी भूमिका बहुत अच्छी तरह निभाई.

उनका इस तरह का काम देख कर बेहद खुशी हुई और मैने सोचा कि क्यों ना इसे” लिम्का बुक आफ रिकार्डस” के लिए भेजा जाए. पूरे विश्वास के साथ, मैनें इस किताब के बारे में लिम्का बुक आफ रिकार्डस में विस्तार से जानकारी भेज दी है. रुप जी से पूछ्ने पर कि किताब छपने पर कैसा महसूस हो रहा है उनका कहना था कि टीम ने मिलकर मेहनत की और वो किताब रुप में छ्प कर मेहनत सफल हुई. जिसकी खुशी शब्दों में बयान नही की जा सकती. इस किताब का विमोचन पहली नवम्बर को होगा.

 

हिंदी साहित्य और साहित्यकार

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