Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

  • About Me
  • Blog
  • Contact
  • Home
  • Blog
  • Articles
    • Poems
    • Stories
  • Blogging
    • Blogging Tips
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Kids n Teens
  • Contact
You are here: Home / Archives for ब्लाग

June 18, 2015 By Monica Gupta

समय ही नही मिलता

books of monica gupta

समय ही नही मिलता

 

समय ही नही मिलता… नाटक संग्रह है. इसमे लगभग सभी नाटक वो हैं जिनका आकाशवाणी जयपुर और आकाशवाणी रोहतक से झलकी रुप मे प्रसारण हो चुका है. उन्ही नाटक़ों को समय ही नही मिलता नामक किताब में पिरों दिया है. किताब का प्रकाशन सन 2009 में जयपुर के श्याम प्रकाशन द्वारा किया गया. इसमे कुल 91 पेज हैं और 14 नाटक है. नाटक संग़्रह को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा अनुदान मिला.

नाटको मे पति पत्नी की नोंक झोंक है… मम्मी बेटे का वार्तालाप है कही हाय तौबा है यो कही प्यार का एक्सीटेंट …

आईए एक छोटी सी झलक पढें … नाटक ( झमेला नाम का)

ट्रिन ट्रिन
श्री मलिक- हैलो…. यस…. आर्इ.एम. मलिक….. स्पीकिंग
अरे….. आप रोर्इये मत….. हाँ…..हाँ……हाँ….. मैं अख़बार देखता हूँ….. (पन्ने पलटने की आवाज़) हाँ सेठ जी, पेज तीन पर दूसरा कालम…….हाँ…..हाँ……. ये तो आपका ही साक्षात्कार छपा है……..लेकिन……. हाँ…….. आप रोर्इये मत……. मैं आपको पढ़ कर सुनाता हूँ……… सेठ दीन दयाल की फैक्टरी ने लाखों का मुनाफ़ा कमाया। इस अवसर पर उन्होंने पार्टी आयोजित की…… सेठ जी……. यह तो सारा ठीक…… हाँ……. हाँ…….. पढ़ रहा हूँ………. हाँ……. उन्होंने पार्टी आयोजित की और डुगडुगी के एडिटर को बताया कि हर सफल आदमी के पीछे किसी और औरत का हाथ होता है……………………….
मलिक- हे भगवान …… ये क्या कर दिया एडिटर ने……….. और शब्द ग़लती से छप गया। सेठ जी…. आप रोर्इये मत……… मैं ………..मैं माफ़ी माँगता हूँ…….. क्या…….. सेठानी जी से …… हाँ…….. हाँ……. मैं उनसे भी माफ़ी माँग लूँगा…….. कल……… कल…….. मुझे खेद है कालम में मैं आपकी खबर दुबारा दूँगा कि हर सफल आदमी के पीछे किसी औरत का हाथ होता है और सेठ जी की सफलता के पीछे उनकी पत्नी का विशेष योगदान है। सेठ जी प्लीज रोर्इये मत…..
(फ़ोन रखता है) (खुद से) ये सम्पादक का बच्चा तो डुगडुगी की डुगडुगी बजवा कर ही रहेगा……!!
(दरवाज़े की घंटी बजती है)
श्री मलिक- ओह…. अब कौन आया !! मालिक…… ज़रा देखना……..!
मालिक- साहब……..! मैं आटा गूंथ रहा हूँ………. आप ही देख लो
(दूर से आवाज़ आती है)
श्री मलिक- गुस्से में…….. हूँ……. मैं रसोर्इ में जाकर देखता हूँ……… ये हमेशा आटा ही गूंथता रहता है…… जब भी देखो…… आटा गूंथ रहा हूँ…….. अरे……. तू यहाँ बैठा चाय पी रहा है…….. और मुझे कह रहा ……. मैं आटा गूंथ रहा हूँ……..
मालिक- अब साहब…… आप भी तो कितनी बार खाना खा रहे होते हैं और फ़ोन आने पर कहते हैं कि कह दे, साहब बाथरूम में हैं…… तो मैंने भी…..
श्री मलिक- चल….. बस….. अब चुप कर……. मैं ही खोल देता हूँ दरवाज़ा…..
श्री मलिक- अरे…….. चाची आप……..!!
चाची- हाय-हाय…….. ग़जब हो गया……… तेरा भार्इ यानि मेरा बेटा…… ये देख….. टेलिग्राम आया है……… पढ़ तो इसे…….
श्री मलिक- ऐ मेरे वीर, मेरे प्रिय, सीमा तुम्हे बुला रही है। दोनों बाँहे फैलाएं तुम्हारा स्वागत करती है तुम कब आओगे…. लेकिन चाची अपूर्व तो छुट्टियों में यहीं आया हुआ है ना……
चाची- हाँ…..हाँ….. अब इसके लछन तो देख…… हम यहां इस जवान के लिए लड़की देख रहे हैं और ये किसी सीमा से (ज़ोर से रोती है) अ ह ह ह…
इतने में बेटा आता है………।
माँ……माँ…….. पिताजी ने बताया कि फ्रंट से पत्र आया है……. जरा दिखाओ तो….. और…… तुम…… रो क्यों रही हो !
चाची- अपूर्व…… ये सीमा कौन है……!
श्रीमती मलिक- चाची………पूछो…….पूछो…….. इसके साथ अपने लाड़ले मलिक बेटे से ये भी पूछो कि यह रचना कौन है जिसे लेकर पूरे दिन दफ़्तर में बैठे रहते हैं (जोर से रोती है)
नौकर- मालकिन, हम धनिया को लेने जा रहा हूँ।
श्रीमती मलिक – ठीक है, जल्दी आ जाना।
श्री मलिक- अरे…….आर.यू……..ये तुम्हे क्या हो गया। कम-से-कम मुझसे तो पूछ लेती……•
(इतने में पी.के. की पत्नी भी आ जाएगी)
चाची- अपूर्व…. तुमसे तो मैं बाद में बात करती हूँ। आर्इ.एम. ये……..ये…….. मैं क्या सुन रही हूँ…….. कौन है ये रचना।
श्रीमती मलिक- चाची पता है……… पता है…….. पी.के. बहके साहब का भी कोर्इ चक्कर है किसी कल्पना के साथ (फिर ज़ोर से रोएगी)
श्री मलिक- गुस्से से……… चुप……… चुप……… बिल्कुल चुप……..।
यहां बैठो…….. आर.यू…. मैं क्या काम करता हूँ।
श्रीमती मलिक- आप सम्पादक हैं………. (नाक से सांस लेकर)
संपादक का काम होता है लेख यानि आर्टिकल, रचना को पढ़ कर उसे प्रकाशित करना……. ये कोर्इ वैसी रचना नहीं है जो तुम समझ रहे हो….
चाची का बेटा- और माँ……..मैं आपको भी बता दूँ कि यह सीमा हमारे देश की सीमा है, जिसके लिए हम जान लुटा देते हैं………. ना कि कोर्इ मेरी गर्लफ्रैंड़…. सीमा….
श्रीमती मलिक- ठीक है……… पर पी.के. बहके साहब की वो लड़की……..
श्री मलिक- कौन लड़की…….. ओ…….. कल्पना…….. अरे बुद्धु, कल्पना……. यानि सोच, इमेजीनेशन……… समझी।
क्या ? ? हाँ……
श्रीमती मलिक- मुझे क्षमा करें अब मैं शक नहीं करूंगी और प्रेम के साथ रहूँगी।
श्री मलिक- क्या ? ? ”प्रेम अब तुम मुझे छोड़ कर किसी प्रेम के साथ रहोगी……..।
श्रीमती मलिक- ये वो वाला प्रेम नहीं बलिक प्यार वाला प्रेम है।
(सब हँसतें हैं)
(दरवाज़े की घंटी बजती है)
श्रीमती मलिक- ये लड़की कौन है…….
मालिक- जी……… ए ही है हमार धनिया……..
श्रीमती मलिक- क्या ? ? ……..
(दोबारा घंटी)
श्रीमती मलिक- मालिक…….. ज़रा देखना……. कौन आया है……..
मालिक- मालकिन…….. हम ज़रा धनिया को काम समझा रहा हूँ….. आप ही देख लो ना।

ऐसे की कुछ मजेदार नाटकों का संग्रह है … समय ही नही मिलता

ISBN 978-93-80018-11-9

 

 

June 17, 2015 By Monica Gupta

दूध में डिटर्जेंट

दूध में डिटर्जेंट   मैगी का मामला अभी ठंडा भी नही पडा था कि अब मदर डेयरी का दूध आ गया. बेशक बेहद चौकानें वाली खबर है पर हमारी इस पात्रा को तो देखिए ये सोच रही हैं कि चलो अब दूध से ही कपडे धो लिया करेंगे … एक पंथ दो काज … !!

दूध में डिटर्जेंट

मजाक की बात अलग है पर आप इन खबरों को विस्तार से पढिए

यूपी  आगरा में मदर डेयरी के दूध में डिटर्जेंट की खबर से हड़कंप …  आगरा में एफडीए ने दावा किया है कि दो सैंपल के जांच नतीजों में से एक में डिटर्जेंट मिला है..

cartoon milk by monica gupta

 

 

http://www.jagran.com/news/national-mother-dairy-milk-found-ditrgent-and-refined-12489700.html

दूध में मिला डिटर्जेंट

सोमवार को दोनों नमूनों की रिपोर्ट एफएसडीए को मिल गई। दूध का पहला नमूना अधोमानक निकला है। बेट्रो रीफेक्ट्रोमीटर पर दूध को 40 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म किया गया, तो उसमें फैट की मात्र 43.9 फीसद मिली है, जो 40 से 43 के बीच होनी चाहिए। इसी तरह दूसरे नमूने में भी फैट की मात्रा तो ज्यादा है ही, उसमें डिटर्जेट भी मिला है। निरीक्षक एएस गंगवार ने बताया कि बाह व फतेहाबाद क्षेत्र में दर्जनभर से ज्यादा चिलिंग प्लांट हैं। सभी चिलिंग प्लांट व कलेक्शन सेंटर से दूध के नमूने लिए जा रहे हैं।

दूध में डिटर्जेंट

 Lifestyle News – Samay Live

यह मिलावट हमारे-आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है, जिससे सतर्क रहना जरूरी है. मिलावट का पता लगाने के लिए नमूनों को प्रयोगशाला भेजना और उनकी रिपोर्ट हासिल करना तो एक लंबा प्रोसेस है. लेकिन कुछ पदार्थों की जांच घरेलू तरीके अपनाकर भी कर सकते हैं. जैसे हम दूध की मिलावट की जांच की बात करें तो…

दूध में मिलावट पहचानने के तरीके डिटर्जेंट की मिलावट : अगर दूध में डिटर्जेंट की मिलावट की जांच करनी हो तो नमूने के तौर पर 10 मिलीलीटर दूध और पानी लें. अगर दूध में झाग आ जाए तो समझ लें कि उसमें डिटर्जेंट की मिलावट है. सिंथेटिक मिल्क की पहचान : सिंथेटिक मिल्क की पहचान ये है कि उसका टेस्ट कड़वा होगा,

जब आप उसे उंगलियों के बीच रगड़ेंगे तो साबुन जैसा महसूस होगा और जब गर्म करेंगे तो दूध का रंग पीला हो जाएगा. यूरिया की मिलावट : ज्यादातर दूधिये यूरिया मिलाकर दूध बेच जाते हैं. अगर दूध में यूटेज इन्जाइम मिल्क, 5-6 बूंद पोटेशियम कार्बेनाइट डाले, अगर दूध का रंग रेडिस येलो हो जाता है, तो समझ लें यूरिया मिली हुई है.  See more…

दूध में डिटर्जेंट

Harit Khabar

किसी भी प्रकार की खाद्य सामग्री में मिलावट का शक होने पर प्रारंभिक जांच एफडीए (Food and Drug Administration) के अधिकारी करते हैं। ये अधिकारी दुकान या उस जगह पर जहाँ कथित मिलावटी खाद्य पदार्थ बन रहा है, से नमूने इकठ्ठा कर आगे की जाँच के लिए प्रयोगशाला में भेजते हैं।  See more…

June 17, 2015 By Monica Gupta

काकी कहे कहानी

kaki kahe kahani by monica gupta

काकी कहे कहानी  नेशनल बुक ट्रस्ट , इंडिया से प्रकाशित बाल कहानी है. काकी कहे कहानी का प्रकाशन 2011 में हुआ. ये एक ही  छोटी सी कहानी है जिसके मात्र 16 पेज है. कहानी आज के बच्चें की सोच पर आधारित है.

ये मेरी पांचवी किताब है. कहानी में काकी शहर में रहने वाले  बच्चें मोहित को  मजेदार मजेदार कहानियां  सुनाना चाहती है ऐसे में क्या मोहित कहानी सुनता है या अपनी मोबाईल और टीवी की दुनिया में ही खोया रहता है या पढाई के बेहद तनाव की वजह से वो कहानी नही सुन पाता … ये सब जानने के लिए आपको पढनी पडेगी काकी कहे कहानी …

ये किताब आपको नेशनल बुक ट्रस्ट से मिल सकती है किताब का ISBN  नम्बर है 978-81-237-6234-0

 

http://www.nbtindia.gov.in/books_detail__10__nehru-bal-pustakalaya__1585__kaki-kahe-kahani-hindi-.nbt

June 17, 2015 By Monica Gupta

महिला दिवस

महिला दिवस ………….मेरी नजर में

 

cartoon oh no
8 मार्च ….  महिला दिवस यानि खूब गहमा गहमी का दिवस… बस इसे मनाना है … किसी भी सूरत में…..चाहे प्रशासन हो….या कोई संगठन, क्लब हो या कोई एन जी ओ….सब अपने अपने ढगं से मनाते हैं.

इस दिन जबरदस्त भाषण बाजी होती है .. महिलाओ को कमजोर बता कर उन्हे आगे आने के लिए उत्साहित किया जाता है. नारी सशक्तिकरण की याद भी उसी दिन आती है. दावे किए जाते है कि हमारे यहाँ कार्यक्रम मे 50 महिलाए आएगी तो कोई कहता है कि हमारे पास 100 आएगीं. हैरानी की बात…….आती भी हैं या भर भर कर उन्हें लाया जाता है.  उस दिन उनका पूरा समय भी लिया जाता है. कई बार उन्हे खुश करने के लिए उस दिन ट्राफी दी जाती है… आईए ….एक नजर डालते हैं…… 8मार्च की सुबह पर……
मिताली का अपने पति से जम कर झगडा हुआ…क्योंकि दिवस मनाने के चक्कर मे जल्दी जल्दी वो डबल रोटी जला बैठी और अंडा कच्चा ही रह गया ….पति महोदय बिना कुछ खाए द्फ्तर चले गए.

दीपा को महिला दिवस का कही से न्यौता ही नही आया था …..इस चक्कर मे घर मे काफी तनाव था …..दो बार अपने बेटे की पिटाई कर चुकी है…और चार बार फोन उठा कर देख चुकी है…पर घंटी है कि बज ही नही रही ..वो महिला दिवस को कोसती हुई ….बालो मे तेल लगा कर ….जैसे ही नहाने घुसती है….अचानक फोन बज उठता है और उसे आमंत्रण मिलता है कि कल तो फोन मिला नही …बस ..अभी आधे घंटे मे क्लब पहुचों…. आगे आप समझदार हैं…..कि क्या हुआ होगा ….

सरकारी दफ्तर मे काम करने वाली कोमल की अलग अलग तीन जगह डयूटी थी …उधर घर पर पति बीमार थे और लड्की के बोर्ड का पेपर था.. उसे सेंटर छोड कर आना था ….टेंशन के मारे उसका दिमाग घूम रहा था उपर से दफ्तर से फोन पर फोन आए जा रहे थे कि जल्दी आओ….
अमिता समय से पहले तैयार होकर खुद को बार बार शीशे मे निहार रही थी कि अचानक बाहर से महेमान आ गए …..वो भी सपरिवार …दो दिन के लिए ….उन्हे नाश्ता देकर जल्दी आने का कह कर वो तुंरत भागी … संगीता के पति का सुझाव था कि उनकी बेटी के शादी के कार्ड  वही प्रोग्राम मे बाटँ दे…… उससे चक्कर, पेटोल और समय बच जाएगा ……कार्ड निकालने के चक्कर मे वो बहुत लेट हो गई ….और वहाँ बाटंना तो दूर वहाँ लिफाफा ही किसी ने पार कर लिया ….
खैर , ऐसे उदाहरण तो बहुत है पर बताने वाली बात यह है कि प्रोग्राम मे सभी महिलाए मिलकर खुश होकर ताली बजा कर महिला दिवस का स्वागत कर रही थी …… वो अलग बात है कि उघेड बुन सभी के दिमाग मे अलग अलग चल रही थी.

चाहे वो घर की हो दफ्तर की हो या किसी अन्य बात की … महिलाए है ना….. चाह कर भी खुद को परिवार से अलग नही कर पाती….. शायद यह हमारी सबसे बडी खासयित है जोकि पूरे संसार मे कही और नही मिलेगी… हमारे देश मे हर परिवार का अपना रहन सहन है… अपना खान पान है….. परिवार जब शादी के लिए रिश्ता खोजता है तो उसके जहन मे होता है कि उसे कैसी लडकी चाहिए वो नौकरी पेशा हो या नही फिर बाद मे किस बात की तकरार.  ये तो हम महिलाओ की खासियत है कि घर और द्फ्तर या परिवार मे सही तालमेल रखती हैं.  आदमी महिला के खिलाफ कितना बोल ले पर उसके बिना वो अधूरा ही है… और यही बात हम महिलाओ पर भी लागू होती है .

कोई भी महिला आदमी के बिना अधूरी है तो फिर तकरार किस बात की है. क्यो अहम बीच मे आ जाता है ….. क्यों वो अपनी अपनी जिंदगी मे खुश नही रह सकते. प्रश्न इतना बडा भी नही है जितना लग रहा है .. इसका उतर हमे खुद खोजना होगा वो भी कही दूर जाकर नही बलिक अपने घर –परिवार मे .

मेरे विचार में बजाय मंच पर खडॆ होकर अपने हक की बात करने से या चिल्ला चिल्ला दुहाई देने से अच्छा है कि महिला को अपने घर की चार दिवारी मे परिवार वालो के बीच ही फैसला लेना होगा. अपना अच्छा बुरा खुद सोचना होगा.  माईक के आगे जोर जोर से दुहाई देने से बजाय खुद का मजाक बनने से कुछ हासिल ना हुआ है ना ही होगा. आप खुद ही नजर डाले कि बीते सालो मे 8 मार्च के बाद कितना और कहा कहा बद्लाव आया है तो सब  खुद ब खुद साफ हो जाएगा.
इसीलिए घर से अलग होकर या परिवार से उपर होकर फैसले लेने की बजाय परिवार के साथ चलेगें और अगर आपके अपने अपने परिवार मे जाग्रति आ गई तो हर रोज महिला दिवस होगा और बजाय लडाई झगडॆ के महिला और उसकी भावनाओ को समझ कर उसे ना सिर्फ घर मे बल्कि बाहर भी सम्मान मिलेगा ..जिसकी वो हकदार है ..नही तो इतने सालो से महिला दिवस मना रहे है ना .. बस आगे भी सालो साल मनाते ही रह जाएगे ..
तो .. 8 मार्च की सार्थकता तभी होगी जब हम सभी इस बात का गहराई से मथनं करे और जल्दी से जल्दी किसी निर्णय पर पहुचे ..

ये तो मेरी राय है आप इन विचारो से सहमत है या नही …. अपने विचार सांझा   जरुर करें ….

June 17, 2015 By Monica Gupta

बाल कहानी अहसास

 

 writing on paper photo

बाल कहानी अहसास

प्रिय मम्मी,

मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपको क्या और कैसे लिखूं पर मुझे माफ कर दो। मेरी उन गलतियों की जोकि मैंने की और आपको तंग किया। आप आज अस्पताल में मेरी ही वजह से हैं, लेकिन सच मानो, मेरा न तो कोर्इ गन्दा दोस्त है और न ही मैं इंटरनेट या टी.वी. देखकर बिगड़ा हूं। मुझे खुद भी नहीं पता कि मैं ऐसा क्यों हो रहा हूं। वैसे तो मैंने बहुत गलतियां की हैं पर कुछ एक के लिए मैं ………………!आपको याद होगा कि एक दिन आपने मुझसे बार-बार पूछा था कि चुप-चुप क्यों हूं। असल में मैंने जानबूझ कर अनिल को बाल मारी थी। उसे आँख के नीचे सात टांके लगे थे। नोटिस मिला कि आपको बुलाया है तो मैंने झूठ-मूठ अपनी तरफ से ही लिख दिया कि मैं बीमार हूं इसलिए आ नहीं सकती। आपके सार्इन भी कर दिए थे। झूठ के हस्ताक्षर किये थे ना इसलिए डर रहा था कि सच्चार्इ पता लगेगी तो मैं फँस ही ना जाऊँ। एक बार जब आपने मेरी पसन्द का खाना नहीं बनाया तो मैं मुंह फुला कर अपने कमरे में चला गया था।

सन्नी लिख ही रहा था तभी दरवाजे की घंटी बजी। सन्नी ने फटाफट अपनी चिठ्ठी तकिए के नीचे छिपा दी और दरवाजा खोलने चला गया। बाहर सन्नी के दादा जी खड़े थे। वो अन्दर आ गए और बोले कि उसकी मम्मी को ग्लूकोज लग रहा है, ब्लड़ प्रेशर बहुत कम है। एक घण्टे में उसके पापा खिचड़ी लेने आएंगे। चाची बनाकर तैयार रखेगी। सभी ने हामी की मुद्रा में गर्दन हिला दी। चाची मम्मी की बीमारी के कारण कुछ दिनों के लिए यहां आर्इ हुर्इ हैं, पर चाची को अपने बेटे नमन के अलावा कोर्इ दिखता ही नहीं, सन्नी से तो वो सीधे मुंह बात ही नहीं करती। कल मैगी बनार्इ और चाकलेट केक बनाया तो सारा अकेले ही नमन ही खा गया। सन्नी सोच रहा था कि मम्मी होती तो उसका कितना ख्याल रखती। सन्नी ने दादाजी को बताया कि उसकी चाची अभी बाजार गर्इ हुर्इ है। आने वाली होगी।

दादाजी अपना न्यूज चैनल लगा कर बैठ गए। सारा घर कितना गंदा हो रहा था। उसकी मम्मी सारा दिन घर कितना साफ रखती थी। सन्नी अपनी बात मम्मी तक चिठ्ठी के माध्यम से पहुंचाना चाह रहा था। उसे डर लग रहा था कि वो जल्दी से चिठ्ठी लिखे, और वो उड़ कर उसकी मम्मी तक पहुंच जाए और मम्मी उसको माफ करके ठीक होकर जल्दी से घर आ जाए।
सन्नी की मम्मी सन्नी को बहुत प्यार करती थी। पर जबसे सन्नी आठंवी क्लास में आया है तभी से कुछ बदल गया है। सीधे मुंह बात नहीं करता, उलटे सीधे जवाब देता, मम्मी कोर्इ घर का काम कहती तो साफ मना कर देता। मम्मी ने कर्इ बार प्यार से तो कर्इ बार गुस्से से समझाया पर उसने कभी समझने की कोशिश नहीं की। लेकिन आज शायद मम्मी को अस्पताल तक ले जाने का दोषी शायद वो खुद ही है।
सन्नी जल्दी से चिठ्ठी लिख कर मम्मी तक पहुंचाना चाहता था। वो चाह रहा था कि जब अस्पताल में मम्मी के लिए खिचड़ी जाए तो वो चिठ्ठी भी चली जाए। उसकी चाची भी बाजार से आ गर्इ थी और बर्तनों की उठा-पटक तेज हो गर्इ।
सन्नी अपने कमरे में गया और तकिए के नीचे से चिठ्ठी निकाली ………….. कमरे में चला गया था। उसने आगे लिखना शुरू किया …………. मम्मी, आपने बहुत मनाया और रात को होटल से खाना मंगवाने का वायदा भी किया पर मैं मुँह बना कर ही पड़ा रहा और उसी शाम मैंने आपके पर्स से पाँच सौ रूपये चुरा लिए थे। आप तो मेरे ऊपर शक कर ही नहीं सकती थी और काम वाली बाई तुलसी को आपने काम से निकाल दिया। वो बेचारी रोती रही कि उसने चोरी नहीं की ……….। उसके बाद आपने दूसरी कामवाली भी नहीं रखी और मैंने भी आपको सच्चार्इ नहीं बतार्इ। एक बार संजय अंकल आए थे तो मैंने उनकी सिग्रेट भी पी थी पर थोड़ी सी।
जब आप हर रोज सुबह मुझे स्कूल जाने के लिए उठाती, मुझे दूध देती और मेरे बालों को सहलाती तो मुझे बड़ा गुस्सा आता कि क्या है, सुबह-सुबह मेरी नींद खराब कर देती हैं ……….. काश मम्मी की तबियत ही खराब हो जाए ताकि न मुझे दूध पीना पड़े और न ही स्कूल जाना पड़े। सारा दिन घर पर मजे से बैठ कर टी.वी. देखूं। पर मम्मी, सच, आज आपको अस्पताल गए चार दिन हो गए हैं। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि चालीस दिन हो गए हैं।

मम्मी, आपकी बहुत याद आ रही है अब प्लीज, घर आ जाओ। मेरी सारी गलतियों की सजा पिटार्इ करके दे दो। सन्नी के लिखे अक्षर धुंधले हो गए। पर वो जल्दी से चिठ्ठी लिखकर उसे मम्मी तक पहुंचाना चाह रहा था इसलिए उसने फटाफट आँसू पोंछे और लिखना जारी रखा।
मम्मी, मैं आपसे माफी मांगता हूं और वायदा करता हूं कि जितना प्यार से आप मुझसे बात करती हो उससे भी ज्यादा प्यार से रहूंगा आपका कहना मानूंगा और आपके हाथ से सुबह-सुबह दूध पी पीऊंगा। मम्मी पता है आज मैं मंदिर भी गया था वहां से चरणामृत पीकर आपकी तबियत की भगवान से विनती की कि हे भगवान जी, मेरी मम्मी को फटाफट ठीक कर दो।
तभी आवाज आर्इ कि उसकी चाची ने सारा सामान टोकरी में रख दिया है। सन्नी के पापा भी घर आ गए थे बोले कुछ तबियत ठीक है। उसने फटाफट कागज मोड़ कर उस पर ‘सिर्फ मम्मी के लिए लिख दिया और प्लेट के नीचे नैपकिन के ऊपर अपनी चिठ्ठी को धड़कते दिल से रख दिया। मम्मी का हँसता चेहरा बार-बार उसे नज़र आ रहा था।
पापा जल्दी में थे और चले गए। सन्नी डर रहा था। मम्मी पढ़ेगी तो क्या सोचेगी ……….. अगर उस चिठ्ठी को किसी और ने पढ़ लिया तो ……….!!
पर अब कुछ नहीं हो सकता था चिठ्ठी जा चुकी थी। सन्नी को खुद पर गुस्सा आने लगा कि उसने इतनी जल्दी में चिठ्ठी क्यों दे दी। ना नीचे ढ़ंग से अपना नाम लिखा। बिना खाना खाए अपना कमरा ठीक करके वो चुपचाप सो गया। चाची एक बार उससे खाने का पूछने आर्इ लेकिन उसके मना करने पर उन्होंने दुबारा उससे पूछा नहीं। बस, अब सन्नी मन ही मन चाह रहा था कि मम्मी जल्दी घर आ जाए …………. तो वो कभी भी मम्मी को तंग नहीं करेगा। उधर उसे चिठ्ठी का भी डर लग रहा था कि मम्मी उसके बारे में क्या सोचेंगी। वो मन ही मन चाहने लगा कि मम्मी वो कागज देखे ही नहीं और खाना वापिस आने पर वो उस चिठ्ठी को फाड़ कर फैंक देगा। और हमेश के लिए अच्छा बच्चा बन जाएगा। यह बात भी बिल्कुल सच है कि उसकी मम्मी बहुत प्यार करती थी और जब वो बतमीजी से बोलता, कहना नहीं मानता तो वो उसकी बातें दिल से लगा लेती उधर से काम वाली बार्इ के जाने के बाद वो सारा काम खुद करने लगी। टैन्शन और काम के बोझ से अचानक उनकी तबियत बिगड़ गर्इ और अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। आज सन्नी को महसूस हो रहा था कि वो मम्मी के बिना  कुछ भी नहीं। पापा तो काम में ही व्यस्त रहते हैं और दादी-दादा गाँव में रहते हैं चाची-चाचा दूसरे शहर में रहते हैं।
यहीं सोचते-सोचते वो सो गया। शाम को आँख खुली तो पापा की आवाज आ रही थी कि अस्पताल में उन्होंने खाना नहीं खाया। पर तबियत बेहतर है शायद कल घर ही आ जाए। सन्नी उठ कर बाहर भागा। उसने टोकरी में देखा तो चिठ्ठी वैसी ही रखी मिल गर्इ शायद किसी ने पढ़ी ही नहीं थी। सन्नी ने फटाफट टोकरी से वो चिठ्ठी निकाल कर उसे अपनी अलमारी में छिपा दिया। सोच कि समय मिलने पर फैंक दूंगा।
मम्मी कल घर आ जाएगी तो आज घर का माहौल कुछ हलका था। सन्नी सभी से बात कर रहा था और चाची के साथ घर की सफार्इ भी करवा रहा था। उसमें एक नया जोश भरा था।
बड़ी मुश्किल से दिन बीता। दोपहर को मम्मी घर आ गए। वो बहुत कमजोर लग रही थीं। सन्नी ने मम्मी को फल काट कर दिए। शाम को मम्मी के पास ही लेटा रहा था। एक-दो दिन में चाची और दादा जी भी चले गए थे। मौका मिलते ही उसने वो चिठठी भी फाड़ कर फैंक दी थी। मम्मी अब काफी ठीक होने लगी थी।

पर एक बात सन्नी को कभी पता नहीं लगेंगी कि उस दिन मम्मी ने उसकी चिठ्ठी पढ़ ली थी लेकिन सन्नी को महसूस तक नहीं होने दिया ताकि उसे दुख न हो कि उनके बेटे ने कितने गलत काम किए हैं। पर अब उसने गलती सुधार ली है और वायदा किया है तो उनके लिए यही बहुत था। उस दिन अस्पताल में चिठ्ठी पढ़ने के बाद उनसे खाना नहीं खाया गया और सन्नी की बाल सुलभ भावनाओं को समझते हुए चिठ्ठी उसकी जगह पर रखकर उन्होंने वापिस भिजवा दी थी। घर में ये बात किसी को भी पता नहीं चली।
अब सब ठीक है। सन्नी अच्छा बच्चा बन गया है। मम्मी का कहना मानता है और स्कूल में किसी से झगड़ा नहीं करता। सन्नी खुश है कि मम्मी ने उसकी चिठ्ठी नहीं पढ़ी और मम्मी खुश है कि सन्नी ने चिठ्ठी में अपनी सारी गलितयों को मानकर माफी माँग ली है और अब वो सुधर रहा है। तुलसी ने भी काम पर आना दुबारा से शुरू कर दिया। सन्नी ही उसे लेकर आया। मम्मी के पूछने पर सन्नी ने बताया कि जब आपकी तबियत बिल्कुल ठीक हो जाएगी तब दुबारा हटा देना। मम्मी ने सब जानते-बूझते उससे कुछ नहीं कहा और मेरा अच्छा बेटा कहकर उसे बाँहों में ले लिया।

बाल कहानी अहसास …. कहानी आपको कैसी लगी… आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार है 🙂

June 16, 2015 By Monica Gupta

प्रसन्न हुए भगवान

प्रसन्न हुए भगवान

 

  milk in a bowl photo

Photo by Joelk75

गाँव में साधु बाबा पधारे हुए थे। उन्होंने गाँव वालों के मन में यह बात ड़ाल दी थी कि मुझे भगवान ने भेजा है। वह तुम सभी से नाराज है। इसका प्रमाण भी दिखाया कि जब वह पूजा के लिए कच्चा दूध रखतें हैं तो वह स्वयं उबलने लगता है।भोले-भाले गाँव वाले उनकी बातों में आ गए। बाबा की तो चांदी हो गर्इ। वह दोनों हाथों से धन लेने लगे बहुत से लोग बाबा की सेवा भी करने लगे किसलिए? अरे भार्इ। भगवान का गुस्सा कम करने के लिए दान, दक्षिणा और सेवा का काम जरूरी था।

समय बीतता रहा। लेकिन हर रोज कच्चे दूध में उबाल आता रहा और बाबा कहते भगवान अब भी नाराज है, दान बढ़ाओ। बहुत दिन बीते बाबा वहाँ से जाने की सोचने लगे कि  रूपया खूब इक्ठ्ठा  हो गया अब खिसका जाए बहुत बुद्धु बना लिया यहाँ के लोगों को।

एक दिन बाबा के यहाँ झाड़ू-बुहारी करने वाले चंदू ने सफार्इ के दौरान एक थैले में ढ़ेर सारा चूना देखा। उस नासमझ ने सोचा शायद कोर्इ गलती से यहाँ रख गया होगा। भला चूने की डलियां बाबा के किस काम की। यह सोच कर वह दीवारों पर पुतार्इ करने के लिए उसने तुरन्त वो चूना भिगो दिया। पर यह क्या ? पानी में से तो बुलबुले उठने लगे। पहले तो उसने सोचा कि वह भगवान की ही नाराजगी है पर बाद में उसने सोचा कि चूना गरम होता है बुलबुले या भाप तो उठेगी ही।

अब चन्दू को बाबा की पोल समझ आ रही थी। वह समझ गया था कि चूना, बाबा ने अपनी कुटिया में क्यों रखा ? उसने असल में कुछ चीजें ताप या उष्मा क्रियाए करती है। कुछ उष्मा शोषी होती हैं। जिस कारण पानी के संयोग से ठंडी हो जाती हैं। जबकि पानी के संयोग से ठंडी हो जाती हैं। जबकि चूना उष्माक्षेपी है वह पानी के संयोग कर उष्मा देता है। चूने की डलिया पानी में डालने पर भाप निकलना इसका उदाहरण है। अब रही बात दूध उबलने की तो उस दूध में उपसिथत पानी से कि्रया कर उष्मा निकालता है और दूध उबलता हुआ प्रतीत होता है।

हर शाम की तरह इस शाम को भी बाबा की कुटिया के आगे भारी भीड़ जमा होने लगी यह जानने के लिए कि भगवान अभी प्रसन्न हुए या नाराज ही चल रहे हैं। पूजा का समय हो चला था, बाबा ने पूरी कुटिया छान मारी पर उन्हें कही चूना ही नहीं मिल रहा था। उन्होंने सोचा कि आज मैं गांव वालों को कच्चे दूध से ही पूजा करवा देता हूँ, कह दूँगा भगवान खुश हो गए और मैं यहाँ से किसी दूसरे गाँव चला जाऊँगा। पर लालच का क्या करते ? बाबा ने सोचा यहाँ तो इतना पैसा, सोना, चांदी मिल रहा है। दूसरे गाँव में मिले ना मिले। वह सोच ही रहे थे तभी उन्हें बाहर से कुछ आवाजें आती सुनार्इ दी। वो बाहर आए तो चंदू लोगों को कुछ बताकर पूजा करवा रहा था। उसने गाँव वालों को बतालाया कि किस तरह बाबा हमारी आंखों में धूल झोंक कर कच्चे पानी मिले दूध में चूने की ड़लियां ड़ालते रहे। और हमें यह कुछ ही देर में उबलता हुआ दिखने लगता।
पोल खुल चुकी थी। चारों तरफ से बाबा घिर चुके थे। मरता क्या न करता उन्होंने अपनी गलती मान ली और मुझे पुलिस के हवाले ना किया जाए यह हाथ जोड़कर निवेदन करने लगे। गाँव वालों को दया आ गर्इ।
गाँव वालों ने सारा पैसा, सोना, चाँदी, जवाहरात लौटा देने पर बाबाा को माफी दे दी और उसे गाँव से निकाल दिया गया। आखिर कुछ गलती तो उनकी भी थी। इस तरह अंधविश्वास में जीना भी तो गलत है।

  • « Previous Page
  • 1
  • …
  • 38
  • 39
  • 40
  • 41
  • 42
  • …
  • 59
  • Next Page »

Stay Connected

  • Facebook
  • Instagram
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

Categories

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

  • Home
  • Blog
  • Articles
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Poems
  • Stories
  • Kids n Teens
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Anti Spam Policy
  • Copyright Act Notice

© Copyright 2024-25 · Monica gupta · All Rights Reserved