Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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November 23, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

अरविंद जी की सफाई

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( गूगल से साभार तस्वीर )

अरविंद जी की सफाई

आंख उठा कर भी न देखू जिससे मेरा दिल न मिले ,रस्मी तौर पर हाथ मिलाना मेरे बस की बात नही …

आज जब केजरीवाल जी की नीतीश जी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान लालू जी से मिलन के बारे में सफाई आई तो बस यही बात मन में आई कि केजरीवाल जी ये हम सभी ने देखा कि पहल लालू जी ने ही की थी पर … पर … पर आपको विरोध करना  चाहिए था आपने विरोध क्यों नही किया …!!  देखिए दो बातें हो सकती थी या तो आप कार्यक्रम में जाते ही  नही…. और अगर जाते तो दूरी बना कर रखते  पर आप गए भी और भाई चारा_गी से खुद को रोक नही पाए  या लालू जी नही रोक पाए और जबरदस्ती कर ली .. बहुत लोगों के दिल टूटे. जिनका मेरी तरह रहा सहा विश्वास बचा हुआ था वो भी अब डगमगा गया है क्योकि आम आदमी पार्टी  पार्टी जिस लक्ष्य को लेकर सिर उठा कर चली थी अब वही सिर उठ नही रहा और अन्य पार्टियों के  इस प्रश्न का सामना करने में असमर्थ हैं. कितनी लडाई करे और किस किस से लडाई करें कि अरविंद जी ने सही किया गले मिलकर  …  इसलिए अब यही बोलना पडता है कि हम कभी आम आदमी पार्टी में “थे” अब तो यही सोच है कि कोई सोच नही है बस दुख है और सिर्फ दुख है.

अब आप कुछ भी कहिए कोई भी सफाई दीजिए  या ना दीजिए कोई फर्क नही पडता… क्योकि हमारी सोच  तो कुछ इस तरह की है कि” आंख उठा कर भी न देखू जिससे मेरा दिल न मिले रस्मी तौर पर हाथ मिलाना मेरे बस की बात नही”

November 23, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

कैंसर और ईलाज

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कैंसर और ईलाज

आज सुबह दैनिक भास्कर अखबार पढते पढते एक खबर पर नजरे टिक गई . चाय का कप एक तरफ रख कर मैं जुट गई खबर पढने में …खबर थी कि 2050 के बाद विश्वभर में कैंसर से नही जाएगी किसी की जान .. (एम्बीकान 2015) यानि राष्ट्रीय कार्फ्रेस आफ एसोसिएशन आफ मेडिकल बायोकेमिस्ट आफ इंडिया के दौरान बताया गया कि वैज्ञानिक शोध मे जुटे हैं लंबा वक्त लगेगा पर कामयाबी की सम्भावना है.पढ कर राहत मिली  और एक स्माईल भी आ गई. क्योकि जिस तरह से खांसी जुकाम होता है ना आजकल वैसे ही कैंसर का सुनने को मिल रहा है. जिसे देखो उसे कैंसर…. मेरे अपने ही परिवार के ना जाने कितने लोगों को इसकी वजह से जिंदगी को अलविदा कहना पडा,

कैंसर की चपेट में  लगातार  ढेरों लोग नित आए जाए रहे हैं. कैंसर   महंगा ईलाज महंगा होने के साथ साथ  बहुत painfull भी है ईश्वर शोध करने वालो को और ज्यादा ताकत दे ताकि वो जल्द से जल्द इस बीमारी का तोड खोज सकें और हम किसी अपने को खोने से बच जाए… बाकि जितनी एहतियात आरम्भ से रखें उतना ही अच्छा… तब तक स्वस्थ रहिए

 

 

 

November 22, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

आईना – लघु कथा

आईना - लघु कथा

आईना – लघु कथा है जोकि दैनिक भास्कर की मधुरिमा में प्रकाशित हुई. कहानी में मा बेटे और नौकरी पेशा बहू का यथार्थ चित्रण है काम काजी महिलाओ को आईना दिखाती है..

आईना – लघु कथा

आमतौर पर कामकाजी महिलाएं अपने ऑफिस और काम में इतनी डूब जाती है कि घर परिवार उनका बहुत पीछे छूट जाता है और बाद में जब उन्हें समझ आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है यही सब दिखाने की कोशिश की है कहानी आईन में …

 

आईना - लघु कथा

आईना – लघु कथा

लीजिए पढिए एक नई कहानी कोट
कोट

स्कूल यूनीफार्म का कोट था। बड़े के छोटा हुआ तो दो साल छोटे ने पहन लिया। पर छोटा बडे़ से ज्यादा लंबा हो गया और उसके लिए नया कोट सिलवाना पड़ा। अब रीटा मौसी सोचने लगीं कि वो कोट जब बनवाया था, तब सात सौ का बना था… इसीलिए उसने सोचा कि इस साल तो किसी को नहीं दूँगी, उसे सहेजकर ट्रंक में रख लिया। अगली सर्दी में फिर ट्रंक खुला। कोट को उलट-पुलट करके फिर उसमें नीम के पत्ते और फिनाइल की गोलियाँ डालकर वापस रख दिया, क्योंकि वो अभी भी नया जैसा लगता था। एक साल फिर बीतने पर उसने हिम्मत करके ट्रंक से कोट बाहर तो निकाला, पर किसी को देने का मन बना ही नहीं पाई। पूरे साल बेचारा ट्रंक में पड़ा रहा।
आज रीटा मौसी ने आखिरकार, पाँच साल बाद सोच लिया कि कोट को किसी-न-किसी को जरूर देना है…. पर हाय… अब कोट दिखने में मैला और पुराना लगने लगा। एक बार तो रीटा मौसी ने बर्तन वाली को दिखाया वो भी नाक-मुँह चढ़ाकर बोली कि इसके तीन गिलास ही मिलेंगे, लेना है तो बोलो…. और घर की ओर झाँकती हुई बोली, कुछ नया और अच्छा नहीं है क्या….। रीटा मौसी ने बिना मोल-भाव किए उसे भगा दिया। अब रीटा मौसी किसी गरीब-फटेहाल को ढूँढ रही हैं जो वो कोट पहन ले…।

एक शाम एक गरीब-फटेहाल बच्चा आया, उसने फटाफट कोट निकालकर उसे दे दिया। उसने कोट तो पहन लियाए फिर बोला कि कोट गर्म नहीं है, कोई टोपी या दस्ताने हों तो… रीटा मौसी ने उसे भगा दिया…और दरवाजा बंद करके यही सोचने लगी कि काश… पाँच साल पहले ही यह कोट किसी जरूरतमंद को दे देती तो कितना अच्छा होता! क्योंकि आज कोट देकर भी न दिए के बराबर जो हो गया था।
कैसी लगी कहानी जरुर बताईएगा ..

मां शैलपुत्री – क्या है कहानी – Monica Gupta

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कहानी देवी दुर्गा के नौ रूप हैं. पहले स्वरुप मां शैलपुत्री की क्या है कहानी सुनिए या पढिए 3 मिनट 9 सैकिंड का ऑडियो read more at monicagupta.info

 

November 20, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

तीन पत्ती

show cartoon by monica gupta

तीन पत्ती(खेल राजनीति का)

किसी खेल से कम नही है राजनीति का खेल. छुप्पन छुपाई हो या लंग़डी टांग, या कबड्डी यहां सब जायज है अब, आज, जब जबरदस्त जीत के बाद नीतीश सरकार शपथ लेने जा रही है तो विपक्ष थोडा हैरान परेशान है कि किस तरह सरकार अपने पत्ते खोलेगी क्या रणनीति रहेगी .. ज्यादा कुछ विपक्ष कहना या करना नही चाह रहा बस कह रहा है कि शो कर दो अपने पत्ते खोलो फिर देखतें है कि क्या होगा

तीन पत्ती

November 5, 2015 By Monica Gupta

पतले होने के तरीके

    पतले होने के तरीके

Dieting

आज किसी काम से मणि के घर गई तो आलू के कटलेट खा रही थी. मुझे देख कर बोली बहुत टाईम पर आई हो .. गरमा गर्म है …और चटनी डाल कर सर्व करने लगी. मैनें पूछा अरे .. ये क्या !! तुम तो डाईट पर हो … वो बोली कि आज पूरे दिन आलू ही खाना है … और अगले दिन सिर्फ पनीर.. !!! अरे वाह !! मैने कहा ये बढिया है …पतले होने के तरीके

Dieting photo

Photo by TipsTimesAdmin

वैसे मैने एक दो दिन पहले पढा था कि सिर्फ केले खाना भी शरीर को पतला बनता है ..एक महिला ने डिटॉक्‍स करने और वजन घटाने के लिये 12 दिनों तक लगातार सिर्फ केले ही खाए और उसे खाकर वजन कम हो गया रिसर्च के मुताबिक केले को वेट लॉस डाइट प्‍लान में भी शामिल किया जा सकता है. केले में घुलनशील फाइबर  होता है, जिससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है. मणि ने यह भी बताया कि उसकी डाईटिशियन की सलाह यह भी है कुछ न कुछ थोडी थोडी देर में खाते रहना चाहिए खाली पेट रहने से वजन बढता है… अरे वाह !! मैं तो बातों के चक्कर में तीन कटलेट खा गई..!! कटलेट खाने के बाद मणि ने अपना वजन देखा और खुश हो गई ..

मैंने भी खुशी खुशी वजन देखा और चुप हो गई अरे बाप रे बाप इतना !!! और फिर हमेशा की तरह मणि से लडाई शुरु हो गई कि और खिला कटलेट … बढा दिया न वजन !!

वैसे पतले होने के तरीके यानि Dieting के बारे में आपका क्या विचार है … !!

November 5, 2015 By Monica Gupta

सहिष्णुता बनाम सहनशीलता

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सहिष्णुता बनाम सहनशीलता

गूगल सर्च में आप देखेगें तो पाएगें कि चाहे बडे से बडा नेता हो, लेखक हो, इतिकास कार हो , फिल्मी दुनिया से शाहरुख, सलमान खान  हों या योग गुरु बाबा रामदेव हो या फिर सोशल नेट वर्किंग साईट हो, गूगल प्लस हो,टवीटर हो, फेसबुक हो, ब्लाग हो या अन्य साईटस  या फिर मीडिया, अखबार और न्यूज चैनल…. सभी सहिष्णुता और असहिष्णुता के विषय पर जम कर बोल रहे हैं न सिर्फ वो जम कर बोल रहे हैं बल्कि बहस भी कर रहे हैं किंतु मैं आपको बोलना चाहूंगी कि वो तो बडे लोग हैं. कुछ भी, कभी भी, कैसे भी, कहीं भी बोल सकते हैं पर आपको बहुत सोच समझ और विचार के बोलना होगा

.देखिए अन्यथा न लीजिए बस मेरे कहने का यही भाव है कि सहिष्णुता या असहिष्णुता बोलने से पहले एक बार तसल्ली कर लें कि आपको ये शब्द बोलने में कोई कठिनाई तो नही. वो क्या है ना जरा मुश्किल है बोलने में. वैसे शब्द अच्छा है बोलने में रौब सा भी पडता है पर अगर आप इसे बोलने से दिक्कत महसूस कर रहे हैं, अटक कर बोलना पड रहा है  तो प्लीज रुकिए आप इसे  असहनशीलता या सहनशीलता बोल सकते हैं दोनो के मायने एक ही है यानि सहिष्णुता और असहिष्णुता या सहनशीलता या असहनशीलता ….

और जहां तक लिखने की बात है वो तो आप कापी पेस्ट कर ही सकते हैं इसमे कोई दिक्कत नही…. अब जब मायने एक ही है फिर बोलने में टेंशन किसलिए लेनी इसलिए ये मेरा सुझाव है… !!

हां …तो आप क्या कह रहे थे सहिष्णुता, असहिष्णुता के बारे में …!! बोलिए बोलिए बेबाक होकर पूरे विश्वास के साथ अपनी राय रखिए . किसी की स्वत्रंता हमें मिले या न मिले पर कुछ भी बोलने की स्वतंत्रता तो है ही…

सहिष्णुता बनाम सहनशीलता

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