Monica Gupta

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August 9, 2015 By Monica Gupta

हिल स्टेशन यात्रा -एक अनुभव

hills photo

Photo by diana_robinson

 

हिल स्टेशन यात्रा -एक अनुभव

एक हिला देने वाला अनुभव … जी हां मैने भी की हिल स्टेशन यात्रा… क्या ??? आपको विश्वास नही हो रहा ??? क्या मैं पूछ सकती हूं कि विश्वास न करने की क्या वजह है ??? फोटो ??? ओह … हां !!! ये तो सच है कि  कोई फोटो नही डाली पर इसका मतलब यह भी नही की हम गए ही नही… !!! असल में, कैमरा तो था पर तस्वीरे ली ही नही.. कैमरा बैग में ही पडा रहा.

बात ये हुई कि वैसे तो हम हिल स्टेशन पर जाते ही रहते हैं… अरे हां सच में … जाते रहते हैं … अब आपने बात सुननी है या मैं न बताऊं … ठीक है … तो मैं कह रहे थी कि वैसे तो हम हिल स्टेशन पर जाते ही रहते हैं  पर अब की बार जो अनुभव हुआ वो कभी नही भूलेगा. हुआ ये कि हर बार की तरह इस बार हम अपनी कार में नही गए उसके बजाय बडी गाडी यानि कैब  कर ली ताकि सपरिवार जाए और खूब मस्ती करें.कार बुक करवा दी और वो समय पर पहुच भी गई. हमने सारा सामान कार मे भरा और चल पडे मस्ती भरे सफर में पर अब ये बनने वाला था अंग्रेंजी वाला सफर … Suffer…

कार का ड्राईवर बहुत अच्छा था . सुबह सवेरे उसने चलने से पहले कार मे लगी भगवान की फोटो को प्रणाम किया और धूप बत्ती की. फिर भक्ति वाले गाने भी चला दिए … सुबह सवेरे एक दम खाली सडक थी और वो 30 की स्पीड से कार चला रहा था. रिक्शा भी आराम से हमे ओवरटेक कर सकती थी. खैर, जब उससे थोडी तेज चलाने को कहा गया तो वो बोला कि वो अभी रास्तों के लिए नया है इसलिए हमने भी कुछ नही कहा … कार आराम आराम से चलती रही … पर जो लोग ड्राईव करते हैं यकीनन वो इतनी धीमी गति शायद सहन नही कर सकते.. खैर जैसे तैसे आगे बढते रहे और जब बातो बातों में उसने ये बताया कि उसका ये पहला अनुभव है पहली बार कार लेकर निकला है तो हमने सोचा  बस … अब तो गए काम से !!!  क्योकि उसकी सबसे बडी वजह ये थी कि कई बार लगता था उसमें आत्मविश्वास ही नही है तो कई बार लगता उसमे भरपूर आत्मविश्वास है इतना आत्मविश्वास है कि हमारा ही डममगा रहा था क्योकिं खाली सडक पर बिल्कुल  धीमी गति  से चलाता और जब किसी वाहन को ओवरटेक करता तो इतनी तेज की लगता अब ठुकी कार…. तब ठुकी !!!

सांस रोक कर और  हम आखे फाड फाड कर उसकी ड्राईविंग  देखते रहे और बोलते रहे अब धीरे करो अब तेज करो …  एक बार तो उसे झपकी भी आने को हुई तो हमने कहा कि कार रोक कर आराम कर लो तो भी उसने मना कर दिया. जब हमने उससे ये कहा कि कार हम चला लेंगें तो भी उसने इंकार कर दिया कि अगर कुछ हो गया तो … कौन भरेगा…!!! मेरे मन में आया कि कह दूं कि और हमे कुछ हो गया तो उसकी भरपाई कौन करेगा !!! पर चुप रही… !!!

आगे जाकर सामने से धुमावदार रास्ता शुरु हो रहा था.. वो हैरान रह गया कि ये कैसी सडक है … हमने कहा कि कैसी क्या ??? पहाडी रास्ता है … इस पर वो बोला अरे ऐसा कैसा होता है … यानि की वो कभी पहाड पर गया ही नही था उसने तो पहाड ही पहली बार देखा था…  हे भगवान !!! ..हमारी सिट्टी पिट्टी गुम की होगा क्या … एक बार दुबारा ट्राई किया कि हम को कार दे दो हम चलाते है इस पर फिर उसने मना कर दिया कि फिर वो सीखेगा कैसे….. मानो सारा सीखना यही से ट्राई करना है … सांस रोकर कार मे बैठे रहे… वही एक साईड का शीशा बंद ही नही हो रहा था … मौसम की ठंड और भीतर की गरमी जबरदस्त तूफान पैदा कर रही थी… जिस तरह से उसकी ड्राईविंग थी….  मैं…  मैं तो यहां तक सोचने लगी थी कि कल अखबार की हैड लाईन क्या होगी … कार  50 फुट  गहरे खड्डे में गिरी. परिवार के सभी लोग …. !!! रास्ते के साईन बोर्ड मुंह चिढा रहे थे कि आपकी यात्रा सुखद हो और घर पर आपका कोई इंतजार कर रहा है…

जैसे तैसे करके हिल स्टेशन पहुंचे और कार से उतर कर जान में जान आई … और तुरंत  होटल के कमरे मे ही धुस गए. हिम्मत ही नही थी कि सैर करने जाए .. वही वापसी की भी चिंता थी क्योकि पहाडों से उतरते वक्त और  ज्यादा सावधान रहने की जरुरत होती है … उसे बहुत मनाया कि कार हम लोग चला लेंगें पर उसने मना कर दिया. एक बार मन किया हम दूसरी टैक्सी कर लेते हैं पर बुकिंग इतनी ज्यादा थी कि अगले हफ्ते ही  टैक्सी मिल पाती.

खैर,  दिन बीता और  हम कही धूमने नही निकले… मन ही नही कर रहा था. और हमारा वापिस जाने का समय आ गया.  बस भगवान से यही प्रार्थना थी कि सकुशल पंहुचा दे…  धडकते दिल से हम कार मे बैठे और एक दूसरे के हाथ कस कर पकड रखे थे. कोई देवी या देवता का स्मरण करना नही छोडा … अम्मा ने तो व्रत भी बोल दिए और जीजी ने प्रसाद … !!!रास्ते में बारिश भी थी और धुंध भी … बस उतरते  ही जा रहे थे उतरते ही जा रहे थे…  सांस में सांस तब आई जब हम घर के आगे खडे थे. फटाफट कार से सामान निकाला . जान बची सो लाखो पाए …

फिर उसका हिसाब किताब करने बाहर आए तो फिर धूप बत्ती कर रहा था बोला भगवान बहुत ग्रेट है उसने बहुत रक्षा की … मैने वाकई मे , कार मे लगी भगवान जी की फोटो को प्रणाम किया कि रक्षा इन्होने ही की वरना अपना प्रोग्राम तो पक्का ही था उपर जाने का …

पर जाते जाते मैं उसे इतना जरुर बोली कि थोडी प्रैक्टिस और करो … खासकर किसी कार को ओवर टेक करते समय स्पीड का ध्यान रखना जरुरी होता है वो बोला कि जिसने उसे सिखाई वो भी यही बोलता था इसलिए उसने उससे सीखना ही छोड दिया था … मेरे पास अब कहने को कुछ नही बचा और तुरंत घर दौड गई…

अब तो कसम ही खा ली कभी टैक्सी नही करेगें अपनी कार से ही जाएगें कम से कम एंजाय तो कर सकेंगें …इस हिल स्टेशन की यात्रा ने तो पूरा ही हिला कर रख दिया …  वैसे आपको एक बात बताऊ कि तस्वीर एक दो तो ली थी पर शक्ल इतनी धबराई हुई और चेहरे से मुस्कान नदारद थी इसलिए डाली ही नही कि कही आप लोग डर ही न जाए !!!

ऐसा अनुभव आप के साथ कभी न हो … शुभकामनाएं !!!!

 

August 7, 2015 By Monica Gupta

मैंगो फैस्टिवल

mango

मैंगो फैस्टिवल यानि आम का त्योहार.

कुछ दिन पहले अखबार मे  पढा कि मैंगो फेस्टिवल चल रहा है. पढते-पढते अचानक हंसी आ गई. बुरा ना मानिएगा पर सच  मे, आजकल , आम आदमी का ही त्योहार चल रहा है और उस त्योहार का नाम है ‘महंगाई’. कोई हाल है क्या. अमीर और अमीर होता जा रहा है और गरीब और ज्यादा गरीब पर असली बैंड बज रहा है आम आदमी का. जिसकी हालत किसी भी तरह आम की विभिन्न किस्मो से अछूती नही है.

पैरी, मलिका और सुंदरी बनने के दिन तो अब हवा हुए … महंगाई ने  तो जनाब  उसका अचार,चटनी और मुरब्बा बना कर रखा हुआ है. किसी मिक्सी मे गोल गोल घूमते शेक की तरह उसकी हालत हो गई है जिसे हर नेता या पैसे वाला बहुत तबियत से स्वाद ले लेकर  निचोड रहा है. बेचारे का रंग  सफेदा की तरह् सफेद पड गया है मानो किसी ने सारा का सारा खून निचोड लिया हो. और अब तो ये हालत हो गई है कि वो सीधा चलना ही भूल गया है और लंगडा आम की तरह लगड़ा कर चल रहा है. अम्बी जैसी खटास जीवन मे भर गई है और शरीर पीला इस कदर हो गया है मानो जन्म से ही पीलिया का मरीज हो …

उफ ये आम आदमी !! ना जाने कितने सब्जबाग तोता परी सपने देखे होगे इसने भी. पर जिस तरह दशहरे मे रावण धू-धू करके चल जाता है ठीक वैसे ही उसके सपने भी दशहरी हो चले है और सब …!!! बेचारे ही हालत आम पापड जैसी हो चली है … जिसे काला नमक डाल कर बडा स्वाद लेकर खाया  जाता है

इससे भी बढ कर  विडम्बना क्या होगी कि अब आम ही नही खा पा रहा आम आदमी. तो हुआ ना ये  आम आदमी का  त्योहार.  इस त्योहार के  लिए ना तो आपको कही टिकट लेना पडेगा और ना कही जाना पडेगा. नजर घुमा कर तो देखिए जनाब,  मैंगो मैन फेस्टिवल ही फेस्टिवल दिखाई दे जाएगा जिसमे आम आदमी फुस होता ओह क्षमा करें हाफुस होता दिखाई देगा …

कैसा लगा ये लेख … जरुर बताईगा 🙂

August 7, 2015 By Monica Gupta

वो तीस दिन -बाल उपन्यास

monica gupta woh tees din

वो तीस दिन -बाल उपन्यास  ( मोनिका गुप्ता)

क्या ??? आपने अभी तक नही पढी … पढ लीजिए बहुत ही अच्छा बाल उपन्यास है वो तीस दिन … फिर न कहना कि हमें तो पता ही नही था नही तो जरुर पढते … अब तो online भी ले सकते हैं नेशनल बुक ट्रस्ट की साईट पर जाकर ..

 

August 6, 2015 By Monica Gupta

एक पत्र सरकार के नाम

कैसे आएगी स्वच्छता

 

writing letter  photo

 

एक पत्र सरकार के नाम

एक बच्ची की चिठ्ठी

नमस्ते सरकार अंकल,

आप कैसे हैं? आशा है ठीक ही होंगें. सरकार अंकल वैसे मुझे चिट्ठी लिखने का जरा भी अनुभव नही हैं क्योकि आजकल ईमेल का जमाना है पर मेरे मम्मी-पापा कहते हैं कि अगर सरकार तक कोई बात पहुंचानी हो तो पत्र ही लिखा जाता है… इसीलिए मै अपनी बात पत्र के माध्यम से ही कह रही हूं.

सरकार अंकल, वैसे मैं अभी छ्ठी स्कूल में ही पढ़ रही हूं पर खुद को लगता नहीं कि मै छोटी हूं क्योंकि घर पर और बाहर इतनी टेंशन है कि मुझे लगता है कि मै समय से पहले ही बहुत बडी हो गई हूं. मेरा बचपन कहीं खो सा गया है. खैर,यह बात बताने के लिए मैने आपको पत्र नही लिखा है. बल्कि मै आपसे कुछ निवेदन करना चाह्ती हूं.

सरकार जी, सच पूछो तो मुझे काला धन, स्विस बैंक या लोकपाल के बारे मे जरा-सी भी जानकारी नही है और न ही मेरे दिमाग में ये सारी बातें आ पाएंगी. मै तो बस आपसे जरा सी विनती करना चाहती हूं कि हर रोज होने वाले बंद और हडतालों को रुकवा दीजिए. मेरे पापा की छोटी-सी दुकान है जिससे हम तीन भाई-बहनो का खर्चा चलता है. कभी किसी तो कभी किसी वजह से दुकान बंद हो जाती है तो उस दिन हमें फाका करना पडता है और सभी को खाली पेट ही सोना पडता है.

दूसरी बात यह है कि  बिजली ही नही होती. बहुत कट लगते हैं  और कभी गलती से आ भी जाए तो वोल्टेज इतना कम होता है कि लगता ही नही कि बिजली है. फोन करो तो कोई फोन नही उठाता या फिर नम्बर व्यस्त आता रहता है. बरसात हो तो सुनने को मिलता है कि पीछे से गई है, पता नही कब आएगी.

अगली बात मेरे स्कूल से है. हैरानी है कि हमारे टीचरो को अपने विषय का ज्ञान ही नही है. अगर कोई बच्चा खडा होकर कोई प्रश्न पूछ ले तो वो  नाराज हो जाते हैं और कक्षा से बाहर खडे होने की सजा दे देते हैं. वैसे तो टीचर हैं ही कम, ऊपर से सरकार के काम से अक्सर डयूटी लग जाती है तो पढाई की वैसे ही छुट्टी हो जाती है. आप इस बात  पर भी  जरुर ध्यान देना कि स्कूल मे कृपा करके मिडडे मील बंद हो जाए.

हर रोज गंदा खाने से पेट खराब तथा दर्द अब सहन नही होता. इसके  इलाज के लिए रुपया अलग से खर्च करना पडता है, इस करके हम घर से खाना लाकर खुश है.

सरकार अंकल, अगली बात यह कि कचहरी के फैसले जल्दी करवा दिया करो. मेरे दादा जी की जमीन का केस पिछ्ले 24 साल से चल रहा है. दादा जी भी अब नही रहे और पिताजी को बार-बार तारीख पर जाना पडता है जिस करके बहुत तनाव हो जाता है हमारे घर पर. शायद एक लाख मिलना है पर अभी तक जैसाकि  मैने मम्मी पापा को बाते करते सुना है लाख से ज्यादा तो खर्चा अभी तक हो ही गया है.

सरकार अंकल, मुझे अपना भारत देश बहुत अच्छा लगता है. कल ही मैने निबंध प्रतियोगिता ने ‘मेरा भारत महान’ विषय पर लेख लिखा था जिसके लिए मुझे सम्मानित भी किया गया था. मै भी देश के लिए बहुत कुछ करना चाहती हू पर इतनी परेशानियां और दुख मेरी हिम्मत को तोड रहे हैं.

अंकल, कोई गलती हो तो क्षमा करना. मैने पहले भी लिखा था कि मुझे ज्यादा समझ नही है, ज्ञान भी नही है पर, असल मे, अपने परिवार और दोस्तो का दुख देखा नही जा रहा था इसलिए आपको पत्र लिखना पड़ा. नही तो मै आपको तकलीफ नही देती. मै जानती हू कि आपके कंधों पर कितना बोझ है.

पता नही कि  मेरा ये पत्र आपको कब तक  मिलेगा. पर जब भी मिलेगा मुझे आशा ही नही पूरा विश्वास है कि आप मुझ  छोटी-सी बच्ची की बात का जवाब जरूर देग़ें.

आपके घर पर सब कैसे हैं? सबको हमारी तरफ से नमस्कार बोलना.

पत्र के जवाब इंतजार मे

शेष फिर

आपकी नन्ही  देशवासी

 

August 6, 2015 By Monica Gupta

धारावाहिकों के किरदार

 

tv serial indian photo

Photo by jepoirrier

 

धारावाहिकों के किरदार

एक जानकार को डिनर पर आमत्रित करने के लिए फोन किया तो उन्होने कहा कि वो साढे नौ बजे के बाद  ही घर से चलेगें क्योकि वो अपना पसंदीदा सीरियल छोड नही  सकते. वैसे ये कहानी घर घर की है पर मेरा मानना ये है कि  टीवी  सीरियल सीरियसली कभी नही देखना चाहिए क्योकि ना सिर्फ मुख्य किरदार कभी भी बदल सकते हैं बल्कि  कहानी 10- 20 साल तक भी आगे जा सकती है और तो और  पूरी  कहानी ही बदल सकती है … कुछ समय पहले एक सीरियल आता था लौट आओ तृष्षा … कहानी हट कर थी इसलिए देखना शुरु किया .. इस मे वो बच्ची भी थी जो बजरंगी भाईजान मे थी.

खैर, देखते ही देखते अच्छी खासी सस्पैंस वाली कहानी  बिल्कुल ही बदल गई. फिर उसमे अलग अलग  कोर्ट केस ही रह गए  जिसका पहले की कहानी से कोई लिंक ही नही था और केस भी ऐसे जो हर बार नई कहानी लेकर आते  जैसाकि  अदालत सीरियल मे होते थे कभी वो सीरियल 40 मिनट का होता कभी 50 मिनट का  और फिर अचानक सीरियल ही बंद हो गया.

एक धारावाहिक महाराणा प्रताप आ रहा है दो साल आगे कर दिया कोई दिक्कत नही दिक्कत तब आई जब मुख्य पात्र अकबर को ही बदल दिया. जरा सोचना चाहिए जो अपना समय निकाल कर इन धारावाहिको को देखते हैं उनके दिल पर क्या गुजरती होगी .एक समय था जब 13 एपिसोड ही  होते थे दर्शक दिल से देखते थे फिर एपिसोड की संख्या बढने लगी अब तो कोई हाल ही नही. शायद ही कोई बिरला सीरियल  होगा जिसका कभी कोई किरदार ही न बदला हो… यकीनन सभी किरदार बहुत मेहनत करते हैं और अपना बेस्ट भी देते हैं पर अगर देखते ही देखते किरदार ही बदल जाए तो दर्शक बेचारा भी क्या करे किसके पास जाए किसके पास रोना रोए … आज के फास्ट लाईफ मे वो भी तो समय निकाल रहा है ना देखने के लिए ….

तो अगर आप किसी भी धारावाहिक को देख रहे है जरुर देखिए उसका पुन प्रसारण भी देखिए पर अचानक  बदलाव के लिए  भी तैयार रहिए  और सबसे अहम बात ये कि इन सीरियल्स को  सीरियसली देखना बंद कर दीजिए…

August 5, 2015 By Monica Gupta

एक पत्र दुल्हनियां के नाम

 

indian bride photo

Photo by naveen chander joshi

एक पत्र दुल्हनियां के नाम ….

बचपन मे घर घर खेलने वाली देखते ही देखते इतनी बडी हो गई कि आज अपना ही घर बसाने  पिया के घर जा रही है.जहां एक तरफ् मम्मी पापा  को खुशी होती है वही दूसरी ओर उनके सुखद भविष्य को लेकर अंजाना सा भय उनके मन मे व्याप्त  रहता है.

इसमे कोई शक नही कि समय बहुत तेजी से बदल रहा है और इसी आपा धापी मे हमारी मान्याताए भी बदल रही है. आजकल पापा तो व्यस्त रह्ते ही है साथ ही साथ  मम्मियां भी नौकरी करने लगी है और इसी वजह से ज्यादातर बच्चे होस्टल मे रहने लगे है और यहां तक की अपने  घर की शादी जैसे मौको पर  मम्मी को भी आफिस से  ज्यादा से ज्यादा हफ्ते की छुट्टी ही मिल पाती है.

वैसे देखा जाए तो इसमे कोई दिक्कत भी नही है आजकल सब रेडिमेट हो रहा  है.शादी के लिए हाल ,खाना पीना आदि  वगैरहा सारे इंतजाम. बस आर्डर बुक करवा दो और सभी चिंताओ से मुक्त हो जाओ. और मेहमान भी चंद घंटे के लिए आते हैं और चले जाते है किसी के पास समय ही नही होता.

मम्मी पापा को शादी के समय  बस एक ही चिंता हमेशा रहती है और वो है शादी के बाद वो अपना घर बार कैसे सम्भालेगी. इसमे कोई शक नही कि आजकल आप सभी लडकियां बहुत स्मार्ट हो गई हो. खूब शिक्षित हो गई हो और हजारो कमाने लगी हो.और आप अपना भला बुरा खूब अच्छी तरह से समझती हो या कई बार ऐसा भी होता है कि  आप किसी की बात सुनना भी पसंद नही करती.

प्यारी दुल्हनियां, शादी कोई गुड्डे गुडिया का खेल नही. यह एक बेहद पवित्र बंधन है और इस रिश्ते की गरिमा को रखने के लिए कुछ बाते ख्याल रखनी बहुत ही जरुरी है. पति पत्नी के एक साथ मिल जुल कर ही गृहस्थी रुपी गाडी आराम से चला  सकते हैं. आप आजकल देख ही रही है कि एकल परिवार ज्यादा होने लग गए है. बेटा भी अपने घर से दूर रह कर नौकरी करने लगा है.ऐसे मे पति पत्नी दोनो की सूझबूझ से घर खूबसूरत बन सकता है. अपना आचरण नारी सुलभ यानि लज्जा,सादगी, शालीनता और वाणी मे मिठास रखें. अपने घर परिवार को पूरा समय दें. बजाय जो आपके घर मे होता था उसका अनुसरण करने के  आपको अपने  नए घर और पति के परिवार के हिसाब से ही एडजस्ट करना होगा. बात बात पर व्यंग्य करना या किसी बात पर कटाक्ष करना बहुत चुभ जाता है इसलिए जो भी बोले और किसी के लिए भी बोले बहुत सोच समझ कर ही बोले.वैसे यही बात वर पक्ष पर भी लागू होती है और  यह सब आपसी तालमेल से ही आएगी.

सबसे जरुरी बात यह है कि अपने घर की बात घर की चार दीवारी मे ही रहे. छोटा मोटा झगडा हर घर मे होता है इसलिए बजाय इधर उधर बाते करने के या हर बात फोन करके घर बताने के  कोशिश करे कि  बात घर मे ही  मिल बैठ कर करे और उसका निष्कर्ष निकाले. सूझबूझ से आप अपने घर की बगिया महका सकती हैं. अपने नए प्यारे से घर को समझे और समझादारी से काम लें…

बाते तो बहुत सारी है अभी आप नई दुनिया मे कदम रखने जा रही है इसलिए अभी के लिए इतना ही ….

अपने नए जीवन की शुरुआत के पहले कदम ले लिए ढेर सारी शुभकामनाएं…

 

शेष फिर

आपकी शुभचिंतक

 

 

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