Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 5, 2015 By Monica Gupta

नाजुक है रिश्ता

नाजुक है रिश्ता

चार महीने पहले एक जानकार की शादी हुई थी. तब किसी कारण से जा नही पाए. कल पता लगा कि वो अपने घर आई हुई है तो सोचा कि आज मिल ही आती हूं. मणि को फोन कर ही रही थी कि साथ चलते हैं इतने में वो घर ही आ गई.. जब मैने उससे कहा तो वो बोली कि नही जाना उनके घर क्योकि वो लड कर आ गई है और सुनने मे यही आया है कि वो कभी वापिस नही जाएगी अब !! अरे !! मैने कहा ये क्या बात हुई .. !!  अभी समय ही कितना हुआ है शादी को और इतनी जल्दी ऐसा निर्णय लेना !!! मुझे याद है कि शायद शहर की सबसे महंगी शादी थी वो … और दहेज का तो पूछो ही मत ऐसे में झगड कर घर वापिस आ जाना ???

sad girl photo

फिर मेरी और मणि की इसी विषय पर बात हुई कि आखिर इतनी जल्दी क्यो अलगाव की नौबत आ रही है.. मणि का कहना था कि जो लडकी आज खुद कमाती है आत्मनिर्भर है शायद इसलिए वो दब कर नही रहना चाह्ती या अगर बात दब कर रहने की ना भी हो बराबरी की हो और शायद हमारा पुरुष समाज स्वीकार नही कर पा रहा हो या शायद दोनों की ईगो का टकराव हो या पैसा हो या … हमारी बहस अभी भी जारी है  शायद आप कोई कारण बता सकें कि क्यो हो रहे हैं विवाह के तुरंत  बाद अलगाव… ??

August 3, 2015 By Monica Gupta

पहला कदम पहली मुस्कान – एक अविस्मरणीय अनुभव

कहानी -थकावट ( मोनिका गुप्ता)

पहला कदम पहली मुस्कान – एक अविस्मरणीय अनुभव

टेलिविजन पर एक विज्ञापन आता था. वो पहला कदम पहली मुस्कान…. जिसमे मम्मी अपने नन्हे से  बच्चे को चलना सीखाती है और एक दिन उसे उसी के नन्हे नन्हे पैरो से डगमगाते हुए चलते देख कर भावुक हो जाती है.

सच मे समय ऐसे ही बदलता रहता है.आज जो बच्चे थे वो अब बडे हो रहे हैं और वो अपने बडो को भी सीखा रहे हैं अब आप सोच रहे होगें कि बच्चे क्या सीखाएगे. हैरान होने की जरुरत नही अब आप खुद ही देखिए अगर कुछ नेट पर,मोबाईल पर मैसेज या फोटो कैसे लेनी है या कुछ भी पूछना है तो बच्चो को सारी जानकारी होती है इसलिए यह सब हम बच्चो से ही तो सीखते हैं.

escelator photo

अब देखिए ना बडे बडे शहरो मे मैट्रो चलने लगी हैं. शापिंग माल, पीवीआर इत्यादि खुल गए हैं. अब वो इतने बडे यानि बहुमंजिला होते हैं  कि  उसमे लिफ्ट भी होती है और ऐस्कीलेटर भी.ये भी सब नए जमाने की तकनीक है और हमे इनके साथ भी चलना चाहिए पर कई बार डर भी लग जाता है.

मेरी सहेली मणि ने बताया कि उसका बडा बेटा गुडगाव मे सर्विस कर रहा है जब वो उससे मिलने गए तो उन्होने पिक्चर का प्रोग़ाम बना लिया. उस पीवीआर और शापिगं माल पर ऐस्कीलेटर था. पता नही पर मणि  को उससे बहुत डर लगता था तो  बस उसने  ऐलान कर दिया कि वो किसी भी हालत मे इस पर नही जाएगी और वो सभी बिना पिक्चर देखे वापिस जाऐगे.

ऐसे मे मणि का बेटा पहले तो मम्मी को समझाता रहा फिर उसने बहुत प्यार और नर्मी  से मम्मी का हाथ पकडा और मासूमियत से बोला कि बस जैसे मै कहू वैसे ही करते रहना. मणि की दिल की धडकने बढे जा रही थी और पैर कापें जा रहे थे. लाख मना करने के बावजूद बेटा नही माना और बडो की तरह समझाते हुए उस ऐस्कीलेटर पर पहला कदम रखने को कहा. जब मणि की  एक ना चली तो उसने हिम्मत दिखाई और कुछ ही पलो मे वो ऊपर की ओर जा रहे थे.

ऐसी ही हिम्मत बढाने के लिए उसने दो तीन चक्कर और लगवाए इससे मणि का  पूरा डर खुल गया. उसने मुझे बहुत भावुक होते हुए बताया कि उसे वो समय याद आ गया जब बचपन मे वो बेटे को  चलना सीखाती थी और  जब वो चलते चलते  जमीन पर गिर जाता था था तो कभी झूठ मूठ से फर्श की पिटाई करती और कभी कहती ओ देखो ये तो चींटी मर गई आपके नीचे आकर. आज बातो बातो मे बॆटे ने भी बहुत सारे कारण देकर उसका ध्यान बांटा  और उसके अंदर छिपे हुए डर को चुटकियो मे भगा दिया. तो बताईए परिवर्तन अच्छे ही हुए ना.

मणि की बातो ने, सच मे, सोचने को मजबूर कर दिया कि समय के साथ हमेशा मिलकर चलने मे ही भलाई है.कोई बडा छोटा नही होता.सभी से मिलकर दोस्त बन कर रहना चाहिए.हम सभी एक दूसरे के काम आते है और यही तो है परिवार.बात यह भी नही है कि बेटी बेटे की बजाय ज्यादा ध्यान रखती है यह हमारी अपनी सोच है जैसा आप परिवार मे माहौल देंगे आपको वैसा ही मिलेगा.

कल आपने बच्चे को उंगली पकड कर चलना सीखाया आज वो आपकी आप उंगली थाम कर चल रहे हैं. किसी ने सच ही कहा है कि रिश्ते हथेली पर मिट्टी की तरह होते हैं यदि ढीले से पकडेगें तो वो रहेगे और अगर कस कर पकडेगे तो आपकी ऊगलियोँ मे से निकल जाएगे. अपना छोटा सा संसार सहेज कर रखे आपको यह परिवर्तन प्यारा लगेगा.

पहला कदम पहली मुस्कान – एक अविस्मरणीय अनुभव  को लेकर अगर आपकी कोई राय या अनुभव हो तो जरुर बताईएगा

परवरिश       भी जरुर पढिएगा

 

कैसा लगा आपको ये लेख … जरुर बताईएगा 🙄

August 3, 2015 By Monica Gupta

आई बरसात तो

rain photo

Photo by VinothChandar

आई बरसात तो

आहा से आह तक का सफर

इन दिनो बरसात की खबर पढ कर या सुनकर मन मायूस हो जाता क्योकि हमारे शहर मे बरसात हो ही नही रही थी. ऐसी बात नही है कि यहां बादल नही आते. बादल गरजने के साथ साथ् बिजली भी खूब चमकाते  पर वो कहते है ना जो गरजते है वो बरसते नही बस …. ऐसा ही कुछ हो रहा था. बहुत मन था कि बरसात आए तो आनंद लें. गर्मा गर्म अदरक और इलाइची की चाय के साथ हलवा और पकौडे बनाए. बच्चो के साथ बारिश मे भीगे और कागज की नाव चलाए. पर खुशी से  आहा करने का मौका ही नही मिल रहा था. यही सोचते सोचते मैं अखबार के पन्ने पलटने लगी. तभी अचानक आखो मे आगे अंधेरा सा छा गया. अरे! चिंता मत करे. कोई चक्कर वक्कर नही आया मुझे पर ऐसा लग रहा था कि जो सूर्य महाराज पूरी तेजी से भरी दोपहरी मे चमक रहे थे अचानक उनकी चमक हलकी पड  गई.बाहर देखा तो  आसमान मे बहुत काला बादल  था. आज तो यकीनन बरसना ही चाहिए. मै सोच ही रही थी कि अचानक बूदाबांदी शुरु हो गई और मन मयूर नाच उठा.

इतने मे बच्चे भी वापिस लौट आए और कपडे बदल कर हाथ मे छतरी और बरसाती पहन कर कागज की नाव बना कर  बरसात  का आनंद उठाने को तैयार हो गए. उधर मेरी भी सहेलियाँ आ गई और हमने बरसात का खूब  मजा उठाया. प्रकृति एक दम साफ साफ धुली धुली लग रही थी.गमलो मे लगे पौधे हवा के साथ हिलते हुए ऐसे लग रहे थे मानो अपनी खुशी का इजहार कर रहे हों.  फेसबुक पर भी बरसात की सूचना दे दी गई और लाईक और कमेंट का अम्बार लग गया.. और तो और दो तीन निकट  दोस्तो का तो बधाई के लिए फोन भी आ गया कि आखिरकार भगवान ने आपकी सुन ली. सारे चेहरे खिले खिले थे.ऐसा लग रहा था मानो खुशी बरस रही थी.  माहौल खुशनुमा हो चला था. अचानक तापमान इतना कम हो गया कि पंखा भी एक नम्बर पर करना पडा. काफी देर तक भीगने के बाद कपडे बदल कर् बच्चे नेट पर काम करने लगे और सहेलियो ने भी विदा ली.

तभी अचानक बहुत तेज बिजली चमकी और मेरी आखं खुली. अरे! ये सपना था. बाहर आकर देखा तो सचमुच मूसलाधार  बरसात हो रही थी. बेशक मन खुश हुआ.पर इतनी तेज बरसात देख कर चिंता भी हो गई. तभी बिजली चली गई. चिंता इस बात की थी कि अभी बच्चे भी नही वापिस आए थे. फोन करने लगी तो वो भी डेड हो गया था. मोबाईल का नेटवर्क तो वैसे ही दुखी कर रहा था. रेंज ही नही होती कभी इसकी. खैर! सोचा कि चलो इतने पकौडो की तैयारी कर लूं रसोई मे गई तो देखा कि रसोई की नाली मे पानी जाने की बजाय बाहर आ रहा था यानि सीवर ओवरफ्लो कर रहा था. बाहर सडक पर देखा तो वो पूरी भर गई थी और ऐसा लग रहा था कि पानी किसी भी क्षण घर मे आ सकता  है  और देखते ही देखते पानी अंदर आना शुरु हो गया. असल मे बाहर सडक को ऊंचा  बनाया जा रहा है शायद इसी लिए .. !!!

वो क्षण किसी भंयकर सपने से कम नही था. मैने तीन चार पर अपने को चिकोटी काटी कि यह सब सपना ही हो.पर आह! अफसोस यह सपना नही हकीकत था. ना बिजली ना फोन ना मोबाईल और ऊपर से घर मे आता पानी. मेरा सारा शौक हवा हो गया.

बस भगवान से  सच्चे दिल से एक ही प्रार्थना कर रही हूं  कि बरसात  को तुरंत रोक दो मै 11 रुपए का प्रशाद चढाऊगी.पर भगवान तक  मेरी अर्जी जब तक  लगी  तब तक काफी देर हो चुकी थी. बरसात के लिए खुशी की आहा अब तक दुख भरी  आह  मे बदल चुकी थी. सरकार, प्रशासन और अडोस- पडोस को कोसते हुए नम हुई आखों से सारे काम भूल कर झाडू, कटका लिए बरसात के रुकने की इंतजार कर रही हूं !!!

आई बरसात तो … बरसात ने दिल तोड दिया

कैसा लगा आपको ये व्यंग्य जरुर बताईएगा 🙂

August 3, 2015 By Monica Gupta

मौन व्रत

cartoon by Monica gupta

मौन व्रत

कई बार खबरों की वजह से विचारो की गहमा गहमा इतनी ज्यादा हो जाती है कि मौन रहना ही सर्वोतम है

August 2, 2015 By Monica Gupta

उफ ये मुस्कुराहट

satire-monicagupta-bhasker

(व्यंग्य)

                                           उफ ये मुस्कुराहट        

इस तनाव भरे माहौल मे अगर कोई कहे कि मुस्कुराओ तो बहुत ही अजीब सा लगता है वैसे ऐसा मेरा मानना है पर पिछ्ले दो चार दिन से कुछ ऐसा हुआ कि मुझे अपने विचार बदलने पडे और मै भी हंसने मुस्कुराने के मैदान मे कूद पडी. वैसे आपको एक सच बात बताऊ कि हँसने खिलखिलाने का शौक तो मुझे बचपन से ही था पर बडे होते होते कुछ ऐसा होता चला गया कि हँसी भी कही दब कर रह गई. दो दिन पहले मेरी सहेली मणि आई उसने बताया कि मुस्कुराहट तो अनमोल गहना है इसे हमेशा धारण करना  चाहिए. वही बाजार मे खरीददारी करते एक अन्य दोस्त ने बताया कि जब 2 सैंकिंड की मुस्कान से फोटो अच्छी आ सकती है तो मुस्कुराने से जिंदगी भी तो अच्छी हो सकती है कि नही. पता नही क्यो पर मुझे बात जम गई. और बस सोच लिया कि अब जो हो सो हो. हमेशा हसंना और मुस्कुराना ही है और अपनी अलग पहचान बनानी है.

अगली सुबह मे बहुत अच्छे मूड मे सो कर उठी और सैर को निकल पडी. एक दम शांत माहौल मे मैने एक पेड चुना और वहाँ हाथ ऊपर करके ठहाका लगा कर जोर जोर से हंसने लगी. इतना ही नही बीच बीच मे ताली भी बजा रही थी इस बात से बिलकुल बेखबर कि सामने ही एक मोटी लडकी व्यायाम करने के लिए रस्सी कूद रही थी और वो गिर गई थी. पता तब चला जब शायद उसकी मम्मी आग्नेय नेत्रो से मुझे धूरने लगी और उसके पास खडा आज्ञाकारी कुत्ता भी मुझ पर बेहिसाब भौकने लगा. इससे पहले मै अपनी सफाई मे कुछ कहती उनकी लडकी और जोर जोर से रोने लगी और मैने चुपचाप खिसकने मे ही भलाई समझी. उफ!! मैने ठंडी सासं ली और धडकते दिल के साथ  घर लौट आई.

घ्रर लौटी तो हमारी पडोसन मिक्सी मांगने आई हुई थी. पर पता नही क्यो आज उसे देखकर मुझे हसीं आ गई. असल मे, वो क्या है ना कि वो डकारे बहुत लेती है. पहले तो मै कुछ नही कहती थी पर जब से हंसना अनमोल गहना है और जिंदगी हंसने से बेहतर बनती है तो सोचा कि आज हंस ही लूं इतने  दिनो बाद खिलखिलाकर हँसी तो शायद उसे बुरा लगा. उसने हसंने का कारण पूछा  तो मैने भी हंसते हुए बता दिया कि उसकी डकार सुनकर मुझे बहुत हंसी आती है. इस पर वो बहुत नाराज हुई और बाहर चली गई. मै एकदम चुप हो गई. इतने मे वो फिर आई और गुस्से मे वहाँ रखी मिक्सी ले गई.मै चुपचाप उसे देखती रह गई.उफ ये मुस्कुराहट!!!

अगले दिन किसी कवि सम्मेलन मे जाना था. वहां एक महोदय बहुत देर से कविता पे कविता सुनाए चले जा रहे थे. मेरे साथ बैठी महिला मुहं पर रुमाल रख कर धीरे धीरे  हसें जा रही थी. मैनें इधर उधर नजरे घुमा कर देखा तो कोई उबासी ले रहा था तो कोई सिर खुजला रहा था तो कोई मोबाईल पर मैसेज भेजने मे जुटा था यानि कुल मिलाकर माहौल मे सन्नाटा था. मैने कनखियो से एक दो बार उस महिला को  देखा तो  भीतर ही भीतर वो इतनी हंस रही थी इतनी हंस रही थी कि उसके आंसू निकल रहे थे.बस फिर क्या था. बोर तो मै भी हो रही थी पर उसे देख कर हंसने वाली बात याद आ गई और उसे देख कर मै जोर से खिलखिला कर हंस पडी. उसके बाद आपको ज्यादा बताने की जरुरत नही क्योकि आप सभी बहुत समझदार है. मुझे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और मै चुपचाप बाहर आ गई.उफ!! बहुत महंगी पडी ये मुस्कुराहट.

समझ नही आ रहा था कि आखिर गलती हो कहाँ रही है.खैर रुआसी होकर घर लौट आई. शाम को बेटा हंसता मुस्कुराता घर आया और उसने मुझे उसका नया पासपोर्ट दिखाया. मै खुशी खुशी देखने लगी पर पासपोर्ट की फोटू मे उसकी मुस्कान ही गायब थी. मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि आजकल पासपोर्ट पर फोटो खिचवाते समय  चेहरे पर कोई भाव नही आना चाहिए…!! यही नियम है.

मुझे लगा कि मेरे लिए भी यही ठीक होगा और फिर मैनें अपने को पहले की तरह बनाने मे ही भलाई समझी और चुपचाप बिना मुस्कुराए काम मे जुट गई….

कैसा लगा ??? जरुर बताईगा??

ये व्यंग्य दैनिक भास्कर की मधुरिमा पत्रिका में प्रकाशित हुआ था.

 

August 1, 2015 By Monica Gupta

जानवर और हम

animals photo

Photo by DiAichner3

जानवर और हम

घर के सामने से एक महिला बच्चों के साथ जा रही थी. बच्चे आपस मे लड रहे थे और महिला बोल रही थी क्या कुत्ते बिल्ली की तरह लडते रहते हो…मैं सोचने लगी कि हम लोग जानवरों  का नाम हम कितनी सहजता से ले लेते हैं.

कुछ दिन पहले एक जानकार बता रही थी कि उसकी बेटी तो एकदम गाय है गाय.  वो तो उसकी सास ही नागिन की तरह फुंकारती रह्ती है. वही मेघा अपने छोटे भाई को बंदर की उपाधि दे रखी है. मनुज ने बताया  जब वो  बाल कटवाने गया तो नाई ने कहा कि क्या रीछ की तरह बाल बढा रखे हैं. अक्सर सुनने में यह भी आता है कि फलां आदमी तो बैल की तरह  सारा दिन चरता ही रहता है या क्या खा खा कर हाथी बने जा रहा है.

विजय का कहना है कि उसका मालिक खुद तो सारा दिन भौकते रहता है और उससे गधे की तरह काम करवाता रहता है. आफिस मे कुछ लोग तो गिरगिट की तरह रंग बदलने मे माहिर होते हैं तो वही  कुछ लोग किसी के आगे शेर बन जाते हैं तो कोई किसी के सामने भीगी बिल्ली. मिताली भी किसी से पीछे नही है उसका मानना है कि उसकी आखे हिरणी की तरह है. निशा अपनी जेठानी के लिए कहती है कि वो तो लोमडी की तरह चालाक है और जेठ बिच्छु जैसा !!! इतना ही नही. किसी को किसी की नजर  चील जैसी  लगती है तो यह कहने से भी कोई पीछे नही हटता कि  तुम्हारी अक्ल घास चरने गई है क्या?? बात बात पर कछुए और खरगोश का उदाहरण देना आम बात है!! इसके इलावा सुअर, उल्लू, मुर्गा आदि नाम का इस्तेमाल भी अक्सर हमारे द्वारा होता रहता है.

तो देखा आपने जानवरो की आड मे हम लोग क्या क्या नही बोल जाते.  इतना ही नही अब बात को ज्यादा क्या बढाना  वैसे आप खुद ही समझदार हैं कुछ लोग तो बात बात में जानवरो के बच्चो को भी बीच मे ले आते हैं. हे भगवान !!! … कैसी भेडचाल है ये !!! वैसे आप तो ऐसे नही होंगें है  ना !!!

जानवर और हम

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