Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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April 24, 2015 By Monica Gupta

सोच

सोच

एक जानकार बहुत अमीर हैं और उनकी विशाल हवेली  निर्माणाधीन थी. मैं वहां गई तो उन्होने मुझे कहा कि उपर तक जाकर सारा देख कर आओ. मेरे पूछने पर उन्होनें बताया कि सीढियों पर नही चढ सकते क्योकि घुटनों मॆ दर्द है लिफ्ट अभी लगी नही है. मैं सारा घर देख कर नीचे आ रही थी तो देखा कि पतले दुबले मजदूर कोई सीमेंट की बोरी लेकर उपर चढ रहे थे तो कोई दस दस ईटे … गजब की फुर्ती पाई थी उन मजदूरों ने.

बातो बातों में जानकार ने बताया कि कल मजदूर आपस मे बात कर रहे थे कि मालिक कितना अमीर है इतना आलीशान घर बनवा रहा है जबकि वो सोच रहे थे कि मजदूर कितने सुखी है सुबह से शाम तक आराम से काम करते हैं बीच में अपना टिफिन खाते हैं 1 घंटे की नींद लेते हैं और शरीर इतना मजबूत की भारी भारी सामान भी सीढियों पर ले जाए जबकि उन्हें स्वयं सीढी पर चढने के लिए सहारे की जरुरत होती है और काम का इतना तनाव रहता है कि नींद लाने के लिए भी गोली खानी पडती है.  वो बता रहे थे कि उनके हिसाब से मजदूर ही ज्यादा सुखी है. हालाकि इनका इलाज चल रहा है पर यह बात भी शत प्रतिशत सही है कि ठीक होने के बाद भी वो इतने एक्टिव कभी नही हो पाएगें.

मुझे महसूस हुआ कि वो भीतर से बहुत दुखी है. असल में ये भी सच है कि जो हमारे पास नही होता अक्सर हम उसी की इच्छा रखते हैं. मजदूरों को अमीरी प्रभावित कर रही थी और जानकार को उन मजदूरों का बढिया स्वास्थ्य. देखा जाए तो परेशान हम सब ही है पर अगर सकारात्मक नजरिया रखेंगें तो जिंदगी ज्यादा अच्छे ढंग से जी पाएगे अन्यथा परेशान ही रहेगें… इतने मे मजदूरो की चाय बन कर आ गई और वो सब सुड सुड करके चाय की चुस्की लेने लगे … बाहर निकली तो आंटी खम्भों और दीवार की तराई यानि पानी दे रही थी ताकि वो मजबूत बनें और मैं सोच रही थी कि इतनी इमारते बन गई अब हम उन्ही को मजबूत बनाने के लिए पानी देते हैं जबकि पहले हरियाली के लिए  पौधों को पानी दिया करते थे …

cartoon-building-monica

April 22, 2015 By Monica Gupta

आईए बहस करें

आईए बहस करें
तो जनाब !!! आईए बहस करें! क्या ? मुद्दा क्या है ?

देखिए ये तो बिल्कुल ही गलत बात है . आज के समय मे भी मुझे बहस का मुद्दा बताने की जरुरत है क्या. आज हर टीवी चैनल,हर चौपाल,हर गली हर होटल हर नुक्कड पर एक ही बहस चल रही है और आप पूछ रहे है कि ??? क्या ठीक है चलिए चलिए माफ किया. हां तो बताईए आपको क्या कहना है इस बारे में.

people talking photo

आईए बहस करें
ठहरिए… इससे पहले कि आप कुछ कहे. मै बताना चाह्ती हूं कि आजकल यही सब कुछ सुनने और देखने को मिल रहा है और यकीन मानिए मै भी सच्चे देशभक्त की तरह इसके यानि भ्रष्टाचार को मिटाने के हक मे हूं. कल किट्टी पार्टी मे हम 50 महिलाओ ने इस बात का जोरदार समर्थन किया सभी ने ताली बजा कर् इसका स्वागत किया.देखिए इसकी फोटू भी छपी है आज के अखबार मे.वो अलग बात है कि मेरी तस्वीर जरा सी छिप गई है और शीला जी की तस्वीर ज्यादा साफ आई है. असल मे, हर मीटिंग मे फोटोग्राफर वही लाती है ना तो दे दिए होंगे उसे ज्यादा रुपए. हुह !!!!

चलो खैर अगली बार मे इस फोटोग्राफर को आऊट ना करवा दिया तो मेरा नाम …
हां, तो मै बात कर रही थी भ्रष्टाचार खत्म करने की. आपको पता है कि बच्चो के स्कूल मे भी इसी उपलक्ष मे तरह तरह के आयोजन करवाए गए. निबंध प्रतियोगिता,चित्रकारी और वाद विवाद. मै तो व्यस्तता के कारण जा नही सकी पर इन काम्पीटिशन मे जिसे जज बनाया मै क्या.. हम सब जानते है कि कौन कौन प्रथम , दूसरा और तीसरा स्थान पाएगा. अजी, आपने सही पहचाना जो स्कूल को सबसे ज्यादा दान देते है .. बस उन्ही के बच्चो का ही ख्याल रखा गया ताकि स्कूल मे 10 कम्प्यूटर आ सकें और एक बडा सा हाल बन सकें.
हां, तो बात हो रही थी कि भ्रष्टाचार को खत्म करने की.

आजकल सभी दफ्तरो मे यही ज्वलंत विषय बना हुआ है.वो तो उन लोगो ने शुक्र मनाया कि मामला जरा सा delay  हो गया है नही तो बहुत लोग सुसाईड करने वाले थे. अब इतने आलीशान बंगले ,ठाठ बाठ और बच्चो की ऊचीं शिक्षा कहां और कैसे दिखाते.पर कुल मिला कर चर्चा का ज्वलंत विषय जरुर बना हुआ है और बहस जारी है कि इनका अब क्या होगा.
हां, तो बात हो रही थी भ्रष्टाचार की. आज जगह जगह रैली,जूलूस और हडताल की जा रही है. सब उसका हिस्सा बनना चाह्ते है और तो और इस दौरान समोसा,चाय पार्टी का लुफ्त भी उठा रहे हैं.जिसे देखो वही इस बात की शपथ ले रहा है कि ना वो रिश्वत लेगा और ना ही देगा. अब कहिए आपके क्या विचार है इस बारे मे. अजी कुछ तो बोलिए. लगता है आप इसका समर्थन नही कर रहे. बस… आप जैसे लोगो की वजह से ही तो देश इतनी भयंकर परेशानियो से दो चार हो रहा है. हमे देखिए, ना दिन देख रहे ना रात बस जुटे है इस अभियान मे.
क्या ? क्या कहा आपने ? आप भी जुडे है इस अभियान से ? ह ह हा !!! कैसे ? जरा मै भी तो सुनु. क्या? आपने खुद से वायदा किया है कि आप किसी को रिश्वत नही देंगे. और आप यह चाह्ते है कि मै भी खुद से यानि अपने दिल मे झांक कर खुद से वायदा करु कि मै खुद इसका समर्थन नही करुगी. बस अपने सच्चे दिल से वायदा करुं.
माफ करे महाशय. इतना समय नही है मेरे पास कि अकेले बैठ कर चिंतन करु और खुद से प्रण ले लू कि कभी ना रिश्वत दूगी और ना लूगी. इतना समय नही है मेरे पास. आजकल तो इतने चैनल और सभाओ के महाबहस मे भाग लेने के लिए निमंत्रण आ रहे है कि खुद से बात करने का यानि आत्मचिंतन का समय ही नही है मेरे पास.हां अगर आपके पास समय है तो आप भी इस महा बहस मे शामिल हो सकते हैं. मै आपके इस महाबहस मे शामिल होने की सिफारिश जरुर कर सकती हू असल मे,मेरी पहुंच बहुत ऊपर तक है.ह ह हा.इसलिए …क्या आप शामिल ही नही होना चाह्ते. हद है लगता है आपने देश प्रेम का जज्बा ही नही है.

चलिए सादर नमस्कार.फिलहाल मै बहुत व्यस्त हूं …हुह … ना जाने कहां से चले आते है और कहते है कि खुद को बदलो जमाना बदल जाएगा…..हुह !!!

आईए बहस करें … कैसा लगा ?? जरुर बताईएगा !!

April 20, 2015 By Monica Gupta

पहचान

 

 ( मोनिका गुप्ता)

( मोनिका गुप्ता)

पहचान (कविता)

नन्हू की चाची
दिव्या की मौसी
गीता की ताई
नीरु की आंटी
जमुना की बाई जी
दीप की भाभी
लीना की देवरानी
रानो की जेठानी
सासू माँ की बहू रानी
माँ की मोना
पति की सुनती हो
रामू की बीबी जी
मणि की मम्मी
इन नामो से मेरी

पहचान कही गुम हो गई
एक दिन
आईने के आगे
खुद को जानने की कोशिश की
तो
मुस्कुरा दिया आईना
और बोला
मेरी नजरो मे ना तुम
चाची हो ना ताई
ना भाभी हो ना बाई
बस

तुम सिर्फ तुम हो
सादगी की मूरत
दयालुता की प्रतीक
प्रेम की देवी

ईश्वर का प्रतिबिम्ब
बस …
तभी से अपने पास
आईना रखने लगी हूं
ताकि पहचान धुंधलाने पर
उसके अक्स मे खुद को जान सकू
पहचान सकू….
कि मैं भी कुछ हूं
कि मैं भी कुछ हूं ….( पहचान )

 

 

 

April 16, 2015 By Monica Gupta

किसान की दुर्दशा

किसान की दुर्दशा – फसल बर्बाद होने की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे  हैं. उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में 100 से भी ज्यादा किसान खुदकुशी कर चुके हैं जबकि महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्र प्रदेश और देश के दूसरे हिस्सों से भी किसानों की आत्महत्या की खबरें लगातार मिल रही हैं।

किसान की दुर्दशा

मीडिया में किसानों की आत्महत्याओं की बातें आ रही हैं, लेकिन मीडिया को इस मुद्दे को लेकर जितना गंभीर होना चाहिए, वह शायद नहीं है। राजनेताओं की लड़ाई में किसान का जो असली मुद्दा है, वह छुप जाता है।  टीवी चैनलों पर बहस में  किसान नहीं, राजनेता नज़र आते हैं।

राजनेता भी किसानों को लेकर बस अपने तरीके से ‘गंभीर’ नज़र आ रहे हैं। कोई रैली के जरिये किसानों का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहा है, तो कोई मुआवजे की बात कर रहा है। प्रधानमंत्री जी  ‘मन की बात’ से लेकर राजनीति के मंच तक किसान की बात कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए मुआवज़ा भी बढ़ा दिया है, जो अच्छी बात है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह मुआवजा किसानों तक पहुंच पाता है। अगर पहुंचता है, तो कितना ???

पिछले ही दिनों ऐसी खबरें आईं कि उत्तर प्रदेश के कुछ इलाक़ों में किसानों को मुआवजे के रूप में 50 से लेकर 200 रुपये तक के चेक दिए जा रहे हैं। सोचने की बात है कि ये मुआवजा है या किसानों के साथ मजाक।

अगर ऐसा ही हाल रहा, तो चाहे कितना भी मुआवज़ा बढ़ा दिया जाए, किसानों का हाल कभी सुधरने वाला नहीं है.. और भविष्य मे कुछ ऐसी खबर भी देखने सुनने को मिल सकती है .

cartoon-kissan suicide -monica gupta

किसान की दुर्दशा

किसान रैली

April 13, 2015 By Monica Gupta

Marriage Age

    Marriage Age

मणि के घर किसी काम से गई थी कि उसके घर कोई बुजुर्ग मेहमान आए हुए थे. उनके जाने के बाद मणि ने बताया कि वो अपनी लडकी की शादी का न्यौता देने आए थे. मैने कहा कि उसके दादा दादी थे क्या वो तब वो हैरानी से बोली … क्या हो गया ??? लडकी के मम्मी पापा थे.अब मेरे चौकने की बारी थी पर वो तो बहुत बडे लग रहे थे. शायद उनकी चौथी या पांचवी संतान होगी वो लडकी. इस पर फिर उसने चौकाया कि इकलौती बेटी है उनकी.

असल में, पहले तो माता पिता की देरी से शादी यानि 34 साल मे शादी हुई अब बेटी की भी 30 साल मे शादी … उफ !! सही है जिस तरह से शादी की उम्र खिसकती जा रही है अब यही देखने को मिला करेगा …पहले समय मे तो लडकी और उसकी मम्मी एक ही उम्र की लगा करती थी यंग यंग और अब.. हम हुए देख कर दंग दंग …

Marriage Age

 question photo

March 19, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Brave boy Siddesh

 

Brave boy Siddesh9-Yr-Old-Siddesh-Brave-School-Boy-Averts-Train-Accident

 

Brave boy Siddesh

 

Std IV student Siddesh’s timely alert about a broken track saves many lives on Bengaluru-bound trains

एक से बढ कर एक खबरो का बाजार गर्म है. बेसिर पैर की, फालतू और अंट शंट  खबरों के शोर मे बहुत अच्छी और प्रेरक खबरें खो जाती है और पटडी के  किनारे पर पडे पडे दम तोड देती है.

नेट सर्च करने के दौरान मैने बैंगलौर के  बहादुर बच्चे सिद्देश की खबर पढी जिसने एक भयंकर रेल  हादसा होने से बचा लिया. उस दिन मैने सारे चैनल खंगाल डाले पर कही भी इस बच्चे की खबर नही दिखाई दी फिर मैने अलग अलग अखबार जोकि आन लाईन थे उन पर देखा तो विस्तार से खबर पढी.

खबर कुछ ऐसे थी  कि नौ साल के बच्चे  Siddesh सिद्देश  ने एक ट्रेन हादसा होने से बचा लिया। वो   सरकारी स्कूल, Davanagere मे चौथा कक्षा  में पढ़ते  है। घटना रविवार सुबह की है।सिद्देश  ने  न सिर्फ अपने पिता मंजुनाथ को टूटी रेललाइन के बारे में बताया बल्कि अपनी लाल टी शर्ट लहराकर ट्रेन भी रोकी ।

Siddesh के पिता मंदुनाथ रेल लाइन से थोड़ी दूर पर एक छोटा होटेल चलाते हैं। उनके अनुसार  बच्चे ने   बताया, ‘मैंने टूटी हुई रेल लाइन देखी और परेशान हो गया। मैं जल्दी से अपने पिता जी को बताने के लिए दौड़ा।’ मंजुनाथ ने पहले तो बच्चे की बात को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन नन्हा सिद्देश उन्हें खींचकर रेलवे ट्रेक की ओर ले गया। वहां मंजुनाथ ने देखा की रेल लाइन तो सचमुच टूटी हुई है। वहां कुछ और लोग भी इकट्ठे हुए थे लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि इस बारे में क्या किया जाए। तब तक तो कुछ ट्रेनें वहां से गुजर भी चुकी थीं।

मंजुनाथ ने बताया  कि Siddesh हर रोज ट्रेनों को आते-जाते सुनता है और उनकी आवाज से अच्छी तरह वाकिफ है। सिद्देश की मां अंसुयम्मा ने बताया कि उनके  बेटे ने अपनी लाल टी शर्ट एक डंडे में लपेट दी और उसे लहराने लगा। उस समय हुबली- चिद्रांगदा एक्सप्रेस वहां से होकर गुजरने वाली थी।’

 वही रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि गर्मियों में अक्सर रेल लाइनें टेढ़ी-मेंढ़ी हो जाती हैं। कुछ यात्रियों ने सिद्देश की तारीफ की और जिला प्रशासन से उस बहादुरी के लिए अवॉर्ड दिलाने की अपील की। सिद्देश के स्कूल की हेडमास्टर गायत्री देवी एमसी ने कहा कि वह एक औसत स्टूडेंट है और पढ़ाई के अलावा दूसरी गतिविधियों में भी आगे रहता है। अब हेडमास्टर को लगता है कि वह एक बहादुर बच्चा है जिसने कई जिंदगियां बचाईं हैं।रेलवे स्टेशन मैनेजर ने कहा कि हमारे इंजिनियर ने बच्चे का शुक्रिया अदा किया और इनाम को तौर पर 500 रुपये दिए। हम  Brave boy Siddesh को ब्रेवरी अवॉर्डदिलाने की सिफारिश भी करेंगे।

 बात किसी भी तरह के पुरस्कार की नही है बात है कि किस खबर की कितनी अहमियत है अगर इस बहादुर बच्चे की खबर दिखाई जाए तो निसंदेह और भी बच्चे प्रेरणा ले कर अपने चारो तरफ हो रही गतिविधियों के प्रति सजग रह सकते है और एक भारतीय होने का फर्ज अदा कर सकते है.

मुझे व्यक्तिगत रुप से खबर बेहद प्रेरक लगी . इसलिए इसे विस्तार मे दिया. और भविष्य मे भी इस तरह की खबरों पर मेरी नजर रहेगी और ऐसे बहादुर बच्चों  के बारे मे लगातार लिखती रहूगी

बधाई और ढेर सारी शुभ कामनाएं सिद्देश !!! Siddesh  हमें आप पर गर्व है!!!  Brave boy Siddesh … Wow !!!

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