Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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January 20, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

मेरी भी सुनिए

मेरी भी सुनिए

राहुल गांधी जी के भाषण के बाद शुरु हो गया टोका
टिप्पणी का दौर कि भाषण कैसा था? क्या वो अपना पद सम्भाल पाएगें? तरह तरह के प्रश्न …!!! पक्ष
गुणगान कर रहा है और विपक्ष उनके भावुक भाषण पर व्यंग्य कर रहा था.

 

  मेरी भी सुनिए

अगर मैं अपनी बात करु जोकि किसी पार्टी से नही है बस एक आम नागरिक कि हैसयित से अपनी बात कहना चाह रही हूं कि भाषण
सुनकर कही ना कही यह बात तो यकीनन सामने आई कि राजनीति मे उन्होने अपने
परिवार के बहुत महत्वपूर्ण लोगो को खोया है. हम सभी की सहानूभूति उनके साथ है
और हमेशा रहेगी पर आज हर आम नागरिक महंगाई , भ्रष्टाचार और खासकर हम महिलाए
अपनी सुरक्षा आदि के मामले को लेकर इतनी त्रस्त हो चुकी है बस हम
भावुकता ही भावुकता से सरोबार हैं. 

ऐसे मे बस और कुछ नही एक एक्शन ही
चाहिए ताकि एक माहौल ऐसा तैयार हो जाए कि खुली हवा मे चैन की सांस ले सके
जहां दुख और दर्द का नामोनिशान ही ना रहे.

राहुल जी का यह कहना कि “आज से
राहुल गांधी सबके लिए काम करेगा. मैं वादा करता हूं कि मैं आप सबको एक ही
नजर से, एक ही तरीके से देखूंगा. चाहे वह बुजुर्ग हो, महिला हो, अनुभवहीन
हो… मैं उसे सुनूंगा और समझने की कोशिश करूंगा” और उनका यह भी कहना कि
अब वो जज की भूमिका निभाएगे ना कि वकील की. एक उम्मीद सी जागी है… हमारी
शुभकामनाऎं!!!!

मेरी भी सुनिए !!!

rahul gandhi photo

Photo by Πρωθυπουργός της Ελλάδας

Emotions/Rahul Gandhi 

   मेरी भी सुनिए के बारे में आपके क्या विचार हैं ??

 

January 16, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

जब कैंसर को शिकस्त दी – आत्मविश्वास से भरी सच्ची घटना

Importance of Mothers in Life

जब कैंसर को शिकस्त दी – आत्मविश्वास से भरी सच्ची घटना – मैं एक हीरोईन से मिली … आपके मन में माधुरी दीक्षित, हेमा मालिनी या आलिया भट्ट आ रहे होंगे पर नही… ये जो हीरोईन हैं इनका नाम कभी अखबार मे नही आया… कभी ब्रेकिंग न्यूज नही बनी पर मेरी नजर में किसी हीरोईन से कम नही …और अगर आप सुनेगें तो आप भी कह उठेंगें कि वाकई ये है सही मायनों नें हीरोईन …

 जब कैंसर को शिकस्त दी – आत्मविश्वास से भरी सच्ची घटना

मेरी खबर- कैंसर से जीत…  मणि के घर जाना हुआ. उसके घर रिश्तेदार आए हुए थे. उनके साथ एक प्यारी सी 3 महीने की गुडिया भी थी. गोल मटोल गुडिया के चेहरे पर स्माईल इतनी प्यारी थी कि मन करा कि उसे गोदी मे ही लिए रहूं. पर उनको वापिस जाना था इसलिए वो अपने मम्मी पापा के साथ चली गई. उनके जाने के बाद मणि ने बताया कि इस प्यारी सी गुडिया की मम्मी को यानि पप्पी को कैंसर था.

जब कैंसर को शिकस्त दी – आत्मविश्वास से भरी सच्ची घटना –

 

Hats Off ….!!!  उसे लगभग 8-9 महीने पहले पता चला और वो मुम्बई चले गए वही रह कर इलाज करवाया. इसी बीच अनेकों बार उसकी कीमोथैरेपी भी हुई. जहां एक तरफ उसका खाने का मन नही करता था वही दूसरी तरफ अपने भीतर पल रही नन्ही जान के लिए खाना और अच्छी डाईट लेनी भी जरुरी थी. मैं हैरान और हक्की बक्की होकर सारी बाते सुने जा रही थी. एक तो कैंसर का नाम ही डरावना है उस पर कीमो, आप्रेशन या रेडिएशन ना जाने कितनी तरह की प्रक्रिया से गुजरना पडता है

ऐसे मे मन हार जाता है पर पप्पी ने ना सिर्फ उसे सहन किया बल्कि अपने जज्बे को जिंदा रखते हुए अपनी बेटी को जन्म भी दिया हालाकि वो आप्रेशन से ही हुई पर उसके बाद भी वो कैंसर का ईलाज करवाती रही. अब वो ठीक होकर वापिस अपने शहर लौट रही थी इसलिए यहां पर थोडी देर के लिए रुकी.

काश मुझे पहले पता होता तो मै जरुर उसकी हौंसला अफजाई करती और उसकी पीठ थपथपाती. मैं अपने घर जाने के लिए खडी ही हुई थी कि पप्पी सामने खडी थी. वो अपना पर्स ले जाना भूल गई थी इसलिए दुबारा आई थी. अचानक उसे सामने खडा देख कर मेरी आखे छ्लछ्ला आई और मैने उसे गले से लगा लिया और उसकी बहुत बहुत तारीफ की जिसकी वाकई मे वो सच्ची हकदार थी.

प्यारी से मुस्कान लिए वो वहां से चले गए और मैं अपने घर लौटती हुई यही सोचती रही कि बेशक पप्पी कोई नामी गिरामी खिलाडी, अभिनेत्री या कोई जानी मानी हस्ती नही है पर जिस विश्वास के साथ उसने अपने दर्द को सहा और एक बच्ची को जन्म दिया वो मेरे लिए किसी रियल हीरोईन से कम नही है. ईश्वर करे अब वो हमेशा स्वस्थ रहे और सेहतमंद रहे.

बीती ताहि बिसार दे – बीती हुई बात को पकड कर बैठना सही नही – Monica Gupta

बीती ताहि बिसार दे – बीती हुई बात को पकड कर बैठना सही नही – अक्सर हम past की बातों को लेकर बैठ जाते हैं और अपना भविष्य खराब कर लेते हैं. घर पर एक जानकर आईं. . read more at monicagupta.info

 

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मेरी खबर आपको कैसी लगी … !!!!

 

monica gupta

January 12, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

सुखवंत कलसी

  सुखवंत कलसी  

नन्हों की दुनिया के सम्राट हैं सुखवंत कलसी      

Sukhwant Kalsi ….!!!

 Journey from commerce to comics !!!

sk

बच्चो और बचपन  का नाम लेते ही मन मे बहुत सारी बाते उभर कर आती  है जैसाकि पढाई, मासूमियत, शरारते, मस्ती और कार्टून. जी हां, बच्चो और कार्टून का गहरा नाता है. चाहे वो टीवी पर देखे या बच्चो की पत्रिका मे पढे. खुद को तनाव रहित और रिलेक्स करने के लिए यह कार्टून वाकई मे बहुत ताजगी दे जाते हैं. ये तो बात हुई बच्चो की जो कार्टून पढते हैं.

आईए, आज आपकी मुलाकात ऐसी शखसियत से करवाते हैं जो अपने बचपने से ही ऐसे मनोरंजक, ज्ञानवर्धक कार्टून बनाने लगे.जी हां, खुद बनाने लगे और उन्होने सौ नही, हजार नही बल्कि आप बच्चो के लिए दस हजार से भी ज्यादा कार्टून बनाए हैं.

चलिए आप को मैं हिंट देती हूं और आप ही बताईए कि  उन आसाधारण प्रतिभा का नाम है क्या !!! मूर्खिस्तान, जूनियर जेम्स बांड…. !!! अरे क्या !!! आप पहचान गए !!! अरे वाह !! आप तो बहुत जल्दी पहचान गए. बिल्कुल सही पहचाना!!! वो महान कलाकार है श्री सुखवंत कलसी जी.सुखवंत कलसी जी ना सिर्फ़ नन्हो की दुनिया के कार्टून सम्राट हैं बल्कि टेलिविजन की दुनिया मे भी उन्होने एक से एक बढ कर लेखन कार्य किया है और उन धारावाहिको को शीर्ष तक ले कर गए हैं.

सुखवंत जी से मिलने से पहले कई बार मन मे यह बात  आई कि इतने महान और व्यस्त कलाकार है पता नही बात करेगे या नही, समय देंगे या नही पर मेरी हैरानी और खुशी की सीमा नही रही जब सुखवंत जी ने ना सिर्फ समय दिया बल्कि अपने बचपन के बारे मे बहुत सी बाते बताने का भी वायदा किया. उनसे मिलने के बाद शुरु हुआ बातो का सिलसिला.

 चिर परिचित सहज मुस्कान से साथ सुखवंत कलसी जी ने बताया कि उनका जन्म 14 जुलाई को कानपुर मे हुआ. पापा इंजीनियर थे और मम्मी घर का काम सम्भालती थी.चार भाई बहन यानि उनके एक बडे भाई और दो बहने है. वो सबसे छोटे हैं और छोटे होने के नाते बेहद शरारती और लाडले थे.फिर मैने बात की पढाई की तो मुस्कुराते हुए बताने लगे कि वो पढाई मे ठीक ठीक ही थे पर स्कूल मे पढते पढते उन्होने दूसरी गतिविधियो मे भी बहुत बढ चढ कर हिस्सा लिया और उसमे मुख्य थी चित्रकारी.

 उन्होने अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि स्कूल मे जब उनके हाउस की डयूटी लगती थी तो वो अपने नोटिस बोर्ड पर कार्टून बनाकर डालते थे और उस समय पूरा स्कूल उमड पडता था यह देखने को कि आज इन्होने क्या बनाया है. स्कूल के टीचर भी बहुत खुश होते और बहुत उत्साहित करते.

मैने बीच मे ही पूछ कि इतनी छोटी उम्र मे कार्टून बनाने शुरु किए. अखबारो या बच्चो की पत्रिकाओ मे देने के बारे मे कुछ बताईए. उन्होने हसंते हुए बताया कि उन दिनो घर मे मम्मी “सरिता” मैगजीन  पढा करती थी. इसके इलावा “मनोरमा” व अन्य पत्रिका घर पर आया करती थी.बस तब यह विचार आया कि उनमे भेजकर देखते हैं. एक बार सरिता मे कार्टून भेजने पर जवाब आया. जिसमे सम्पादक महोदय ने लिखा था कि  कि रेखाचित्र कमजोर है.प्रयास जारी रखिए सफलता अवश्य मिलेगी. उस पत्र मे बहुत प्रोत्साहित किया और वो कार्टून और वो पत्र अभी तक उन्होने सम्भाल कर रखा हुआ है.पर उसमे बाद भी  प्रयास जारी रखा और ईश्वर की कृपा रही और कार्टून छ्पने शुरु हो गए. इसके इलावा एक और भी मजेदार बात हुई एक बार कार्टून बना कर जब वो स्वयं सम्पादक से मिलने गए तो उनकी दीदी और दीदी के रिश्तेदार साथ मे थे. सम्पादक महोदय कार्टून के बारे मे जो भी बात कर रहे थे वो दीदी के रिश्तेदार से सुखवंत कलसी समझ कर ही कर रहे थे बात खत्म होने के बाद दीदी ने जब उन्हे यह बताया कि सुखवंत तो ये है तब वो इतने हैरान हुए कि ये सुखवंत है.इतना छोटा बच्चा और  इतने अच्छे कार्टून बना रहा है.उन्हे विश्वास ही नही हुआ.

बातो बातो मे ही एक किस्सा याद करते हुए उन्होने बताया कि एक बार सम्पादक महोदय ने उनसे कहा कि आजकल बहुत बचकाना कार्टून बना रहे हो इस पर उन्होने हंस कर कहा तो आप “चंपक” मे स्थान दे दीजिए. इस पर सम्पादक महोदय भी हंसे बिना नही रह सके. सुखवंत जी ने बताया कि ये बात वो इसलिए बताना जरुरी समझते हैं कि ज्यादातर बच्चे हौंसला अफजाई ना मिलने से हिम्मत हार जाते है पर वो हिम्मत नही हारे बल्कि और हर बात को बहुत सकारात्मक रुप से स्वीकार कर के और अपने काम मे दिन रात जुटे रहे.

उन्होने बताया कि पहले उनके पास साईंस विषय था बाद मे उन्होने कामर्स ले ली और फिर कामर्स से कामिक्स तक का लंबा सफर शुरु हो गया.

सन 1972 से “सरिता”, “मनोरमा”, “कारवा”,”वोमेंस ईरा”,”धर्मयुग” आदि कोई किताब ऐसी नही रही जिसमे उन्होने अपना कार्टून ना दिया हो और बच्चो की पत्रिका “दीवाना”( बात बेबात की),”मेला”(भोलू)आदि और फिर 1980 मे डायमंड कामिक्स( हीरा मोती, राजन इकबाल),मनोज कामिक्स, चित्रा  भारती आदि ढेर सारी कामिक्स पर काम किया. सफर ऐसे ही आगे बढता रहा. बाल पत्रिका “नन्हे सम्राट” का भी सम्पादन कर रहे हैं या दूसरे शब्दो मे यह कह सकते है कि “नन्हे सम्राट” के वो ही जन्मदाता है. “नन्हे सम्राट” इस उद्देश्य को लेकर चले कि उसमे सिर्फ और सिर्फ बच्चो का जबरदस्त मनोरंजन हो. ताकि जब बच्चे उसे पढे तो बस हंसी खुशी की दुनिया मे ही खो जाए. उन्होने जो सोचा वो कर के भी दिखाया क्योकि यह उनकी व उनकी टीम के अथक मेहनत और प्रयास का ही नतीजा है कि “नन्हे सम्राट” अपनी अपार सफलता के  25 साल पूरे होने जा रहा हैं और बहुत ही जल्द 300वां अंक प्रकाशित होगा. यह बात बताते हुए उनके चेहरे से खुशी मानो टपक रही थी.बच्चो के इस प्यार से उन्हे यकीनन बहुत उर्जा मिली और नए नए आईडिया आते चले गए.

अपने टीवी के सफर के बारे मे उन्होने बताया कि 98-99 मे वो मुम्बई शिफ़्ट हो गए और फिर शुरु हुआ टीवी पर लेखन का दौर. “मूवर्स एंड शेखर्स” मे लगभग 250 स्क्रिप्ट उन्होने लिखी और लालू यादव के स्टाईल से शेखर सुमन छाने लगे. इसमे वो खुद भी कभी कवि तो कभी वैज्ञानिक की भूमिका मे नजर आए. बताते बताते हो मुस्कुराने लगे.इसी सिलसिले मे वो लालू जी से भी मिले और लालू जी भी उनसे मिलकर खुश हुए बल्कि उनके काम की बेहद तारीफ भी की. इसके साथ साथ दूरदर्शन तथा अन्य ढेर सारे चैनलो के लिए इन्होने हास्य लेखन किया जैसे “नीलाम घर”,”कामेडी सर्कस भाग 1”,”द ग्रेट इंडियन लाफदर चैलेंज”, “गोलमाल”,”हम आपके है वो” आदि ढेर सारे ऐसे धारावाहिक है जिनका लेखन उन्होने किया.सुप्रसिद्द हास्य कलाकार “राजू श्रीवास्तव” के लिए भी यह लगातार लिख रहे है और सांसद “नवज्योत सिह सिद्दू” के लिए बहुत पंच लाईने लिख रहे हैं.

बच्चो को संदेश देते हुए उन्होने  कहा कि जिंदगी मे सबसे जरुरी पढाई है. हां, अपनी पढाई के साथ साथ अपने पसंद के काम को भी चुन सकते हो पर पढाई सबसे ज्यादा जरुरी है और अपने मम्मी पापा का कहना मानना भी बहुत जरुरी होता है. वो जो भी कहते है हमारे ही भले के लिए होता है और अभिभावको को भी यह संदेश दिया है कि बच्चो की रुचि देख कर उन्हे उत्साहित करने की कोशिश करनी चाहिए.पर दूसरे बच्चे से तुलना भी नही करनी चाहिए. हर बच्चे मे अपनी अपनी खूबी अपनी प्रतिभा होती है.बजाय उसे दबाने के उस खूबी को उभारना चाहिए.

वाकई मे, सुखंवत कलसी जी से मिलकर बहुत खुशी हुई.वाकई मे मैने उनका बहुत सारा समय लिया !!!! पर उनके कार्टून जैसा नही !!! 

skj

मैने उन्हे आप सभी की तरफ से ढेर सारी शुभकामनाए दी. उनसे मिलकर एक ही बात जहन मे आ रही है कि ….

“पढो तो किताब है जिंदगी,सुनो तो ज्ञान है जिंदगी पर हंसते रहो तो आसान है जिंदगी”

 

मोनिका गुप्ता

 

January 9, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

सहयोग की भावना पर कहानी

सहयोग की भावना पर कहानी

सहयोग की भावना पर कहानी है ये लघु कथा जोकि दैनिक भास्कर समाचार पत्र की मधुरिमा में प्रकाशित हुई थी. ये कहानी आपसी रिश्तों का अहसास करवाती है…

सहयोग की भावना पर कहानी

दो दोस्तों के बीच में प्यार और विश्वास की कहानी है.. कहानी दो दोस्तों और उनके बीच एक अनोखी दोस्ती की है …

सहयोग की भावना पर कहानी

सहयोग की भावना पर कहानी

 

 

Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता – Monica Gupta

कहानी – सहयोग

सुबह से ही दिनेश बहुत परेशान सा घूम रहा था.  असल मे, कुछ देर पहले ,उसके बचपन के दोस्त रवि की पत्नी का फोन आया था वो धबराई हुई आवाज मे बोल रही थी  कि भाई साहब, हमे आपकी मदद चाहिए. वैसे तो दिनेश और रवि बहुत ही अच्छे दोस्त  थे…

read more at monicagupta.info

बाउ जी( एक अन्य कहानी)

करीब एक साल से विन्नी के ससुर बहुत बीमार चल रहे थे। उसके पति डॉ. भूषण जी-जान से उसकी सेवा में जुटे थे। पहले तो घर में ही उनका इलाज हो रहा था पर ज्यादा तबीयत ठीक न देखते हुए पिछले तीन महीने से वो उन्हीं के अस्पताल में थे। विन्नी का एक पाँव अस्पताल में तो दूसरा घर पर रहता।

एक शाम डॉ. भूषण की तबीयत ठीक नहीं थी, इसीलिए वो अस्पताल नहीं जा पाए। उन्हें पूरा आराम मिले और देर रात उन्हें अस्पताल से फोन आने की वजह से उठना न पड़े, इस कारण विन्नी ने उनका मोबाइल बंद कर दिया और लैंडलाइन के फोन के तार निकाल दिए। उसके मन में बस यही विचार था कि ससुर जी की सेवा करते-करते उसके पति खुद ही बीमार न पड़ जायें।
सुबह आँख किसी के दरवाजा खटखटाने से खुली। पड़ोसी के घर विन्नी के लिए फोन था। रातभर उसके परिवार के लोग फोन लगाते रहे, पर फोन नहीं मिला। विन्नी की छोटी बहन रोते-रोते फोन पर बता रही थी कि उनके बाउ जी के साथ रात सड़क दुर्घटना हो गई और उनके जीजा का फोन नहीं मिला, इसीलिए सही डॉक्टरी सेवा न मिल पाने के कारण उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा।

विन्नी हक्की-बक्की-सी खड़ी-की-खड़ी रह गई।

कात्यायनी माता – मां दुर्गा का छ्ठा रुप – Monica Gupta

कात्यायनी माता – मां दुर्गा का छ्ठा रुप हैं माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कहानी है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बेहद कठिन तपस्या की थी।

उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय बाद् जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। Read more…

 

January 8, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

धुंध का कहर

dhund-monica cartoon

धुंध का कहर

कई बार कुछ नजर नही आता धुंध के कारण  जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। सुबह के समय वाहनों की आवाजाही में भारी दिक्कतें आती है वही अगर आपको यहां भी कुछ न दिख रहा हो तो समझ जाईए कि धुंध का ही प्रभाव है .

धुंध का कहर

January 7, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

दीदी की चिठ्ठी

 दीदी की चिठ्ठी

 

प्यारे नन्हे दोस्तो,

कैसे हो. दोस्त और दोस्ती बहुत प्यारे शब्द हैं. आपको एक सच्ची बात बताती हूं. सामी के पापा की बदली जयपुर हुई तो उसने नए स्कूल मे दाखिला लिया.वहां उसकी दोस्ती राज से हुई. राज अच्छा था पर एक ही गंदी आदत थी कि वो बात बात मे अपशब्द या गाली देकर बात करता. सामी ने बहुत बार उसे समझाया पर एक दिन तंग आकर उसने बोल दिया कि अगर उसने गलत बोलना बंद नही किया तो वह उससे जिंदगी भर बात नही करेगा. राज अपने नए दोस्त को खोना नही चाहता था बस उसने ठान लिया कि आगे से गंदी बात बोलना हमेशा के लिए बंद. पता है कि इस बात के कुछ दिनो के बाद राज के मम्मी पापा सामी के घर उसे थैक्स बोलने आए कि जो काम वो इतने समय से नही कर पाए सामी मे झट से कर दिया और राज को सुधार दिया. इस बात को 15 साल हो गए हैं और आज भी दोनो पक्के दोस्त हैं.आप भी अच्छे बच्चो से दोस्ती करना और अगर दोस्त मे कोई कमी हो तो उसे दूर करने की कोशिश जरुर करना. जाते जाते एक बात मै आप सभी से कहना चाहूगी कि “एक अच्छी किताब सौ दोस्तो के बराबर होती है पर एक अच्छा और प्रेरित करने वाला दोस्त तो पूरी की पूरी लाईब्रेरी ही होता है”.

ढेर सारी शुभकामनाओ के साथ   😀 

आपकी दीदी

मोनिका गुप्ता

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