लोहडी का त्योहार
घर घर जाकर कल कुछ गरीब परिवार के बच्चे लोहडी मांग रहे थे. मैने उन्ही से पूछ्ना शुरु किया कि कितनी खुशी हो रही है. ज्यादातर बच्चे खुश थे क्योकि पतंग उडाने को मिलेगी और जो दो चार पैसे मिलेगें उससे डोर खरीदेंगें. केशब ने भी बताया कि जब उसका पिता कमाई करके नही आता तो बहुत खुशी होती है.
मैने हसंते हुए उसकी बात को सही किया कि” कमाई करके आतें हैं” तब खुशी होती है. बोला “नही” !!! जिस दिन कमाई करके आता है खूब पीता है उसे, उसकी मां और बहन को बिना वजह डांटता और मारता है. जिस दिन कमाई करके नही आता उस दिन हम सब “खुशी खुशी” चुपचाप सो जाते है.
सभी बच्चे भी बोलने लगे कि हां….केशू का बाप बहुत गंदा है.. बाहर तक आवाजे आती है लडाई की और फिर वो आगे दूसरे घर मे लोहडी मांगने बढ गए और मैं निशब्द केशब को जाते देखती रह गई.
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