Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 26, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात

रिश्वतखोरी - आईए रिश्वत दें https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/07/audio-sani.mp3

क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर  4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात

बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. जब गांव गांव जाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा था.लोगो को समझाया जा रहा था कि  खुले मे शौच नही जाओ आसान नही था क्योकि सदियों से चली आ रही मानसिकता बदलना मुश्किल था.

 

ऑडियो

ऑडियो

 

एक बार महिलाओ को समझाने के बाद कि कोई अगर शौच के लिए बाहर जाए तो उसे रोको तो कुछ महिलाओं ने मुझे घेर लिया और बोली कि ठीक है निगरानी कर लेंगें पर  हम को ये बता दो कि पैसा कितना मिलेगा… पैसा ??? किस बात का पैसा ??? इस पर वो बोली कि हम निगरानी करेगी.

सुबह शाम बच्चों बडो को बाहर शौच जाने से रोकेगी इसलिए..मैने उन्हे आराम से पूछा कि बताओ कितना पैसा चाहिए. कोई बोली पाचं सौ तो कोई बोली सात सौ रुपया महीना तो होना ही चाहिए. क्या ??? मैने कहा बस ?? 500 – 700 रुपए महीना. उन्होनें सोचा कि बहुत कम बोल दिया शायद तो एक खडी होकर बोली हजार मैडम जी हजार चाहिए.  क्या ??? सिर्फ हजार !!!

सफाई की कीमत सिर्फ हजार रुपए. इस पर वो फिर सोचने लगी क्योकि शायद इतनी उम्मीद नही थी उनमे महिलाओं मे कानाफूसी होने लगी.मैने उन्हें शांत करवाया और बोला कि ये स्वच्छता अभियान है स्वच्छता अभियान … इस अभियान के अगर आप हजार क्या लाख भी मांगोगे तो भी कम है क्योकि ये जो काम आप लोग करने जा रहे हो यह अमूल्य है बहुमूल्य है इसकी कीमत का तो कोई अंदाजा ही नही लगाया जा सकता.

इस समय वहां पिन ड्राप साईलेंस थी. कोई सिर पर पल्लू डाले तो कोई नाक पर पल्लू रखे मेरी बात गम्भीरता से सुन रही थीं. मैने कहा अच्छा चलो एक बात बताओ … आपको ये पता है कि पहले हमारा देश आजाद नही था. बहुत लोगों ने कुर्बानी दी …

कुछ की आवाज आई कि म्हारा दादा म्हारा ससुर , तो कोई बोली म्हारे भी ताऊ, ने हिस्सा लिया था … मैने कहा कि अरे वाह !! ये तो बहुत अच्छी बात है कि आप उस परिवार से हो … अच्छा ये तो बताओ कि क्या आपने कभी सुना कि जो लोग देश के लिए लडे. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया उन्होने ये कहा हो कि हम इस लडाई मे तभी हिस्सा लेंगें जब आप हमें पैसे दोगे ..

सब हंसने लगी और बोली ऐसे थोडे ही न होता है बल्कि जिन जिन ने इस आंदोलन में  हिस्सा  लिया उन्होनें अपने गहने, जेवर तक भी दान मे दे दिए थे. बिल्कुल … मैने कहा  बस दिल में एक ही लग्न थी, जज्बा था और  निस्वार्थ सेवा भाव था कि हर हालत में देश को आजाद करवाना ही है कितने लोग तो बेनाम ही रह कर देश के लिए लडे और जान कुर्बान कर दी  कि देश को आजाद करवाना है और देखो सच्चे मन से देश के लिए लडे और आज हम आजाद है…

आज भी एक लडाई हमे लडनी हैं और वो लडाई है गंदगी के साथ …ताकि हमारी आने वाली पीढी  स्वच्छता में सांस ले सके. उसका जड से  सफाया करना है  और उस्के लिए सभी का  साथ चाहिए और निस्वार्थ सेवा भाव चाहिए और आप है कि पैसे मांग रहे हैं  ..इन बातों ने उनको सोचने पर मजबूर कर दिया.

अचानक  कुछ महिलाए बोल पडी … न जी हम कुछ नही लेंगें … सफाई रखेंगें और अपने गांव का देश मॆं नाम जरुर करेंगें … उस समय मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो मैने बहुत बडी लडाई जीत ली. बात गांव की नही बल्कि शहर की भी है अब तो जगह जगह शहर में भी गंदगी के ढेर दिखाई देते हैं…

 

मोनिका गुप्ता , स्वच्छता अभियान

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात

प्रत्यक्षम किम प्रमाणम … आईए देखिए पहले गांव की क्या हालत होती थी और स्वच्छता अभियान के बारे में लोग की सोच क्या हो गई …

स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला – सफलता की कहानी – Monica Gupta

स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला Swachh Bharat Abhiyan – Village Vaidwala स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला .सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के चलते गांव एक मिसाल read more at monicagupta.info

 

गंदगी हम फैलातें हैं और दोष सरकार पर मढ देते हैं हम अपने कर्तव्य भूल जाते हैं अधिकार याद रखते हैं जबकि समाज के प्रति भी हमारे कुछ दायित्व हैं जिसको निभाना हमारा फर्ज है……….

वैसे स्वच्छता के बारे में आपकी क्या राय है ? जरुर बताईएगा …!!

July 1, 2015 By Monica Gupta

स्वच्छता का महत्व – स्वच्छता का अहसास

Total Sanitation Campaign in Haryana

स्वच्छता का महत्व समझना बहुत जरुरी है. लोगों को स्वच्छता का अहसास करवाना जरुरी है ताकि वो इसकी मह्त्ता समझ सकें. इसके लिए सभी को मिल कर पहल करनी होगी

 

स्वच्छता का महत्व

swachata ka mahatva

कैसे करवाया स्वच्छता का अहसास

स्वच्छता का महत्व जहन में रखते हुए स्वच्छता का अहसास करवाया गया.

बात  2007 -2008 की है तब स्वच्छता अभियान हरियाणा के जिला सिरसा  में जोर  शोर से चला हुआ था. Zee News की रिपोर्टर  हम इस अभियान की  डाक्यूमैंट्री बना रहे थे तो स्वाभाविक है गांव गांव जा कर लोगो से इस अभियान के बारे मे साक्षात्कार ले रहे थे.

गांव में जा जा कर लोगों को समझाना कि खुले में शौच न जाओ ये अच्छा नही है …. आसान नही था. क्योकि बरसों से बाहर जाकर शौच करने का रिवाज रहा है तो कहां मानेगें ये लोग ….  फिर भी चलो सोच में उनकी थोडा बदलाव आया. कुछ गांव के लोग बहुत  समझदार थे  तो कुछ गांव के लोग बिल्कुल न समझ  और कुछ तो लडने को ही उतारु हो जाते कि हम तो बाहर शौच जाएगे कर ले  जो करना है …  ऐसे मे उनकी सोच बदलने मॆ कुछ समय लगा.

अभियान के दौरान एक गांव की महिलाए  सामने आने से कतरा रही थी.  बहुत समझाया  और कुछ देर बाद थोडी सी महिलाए सामने आई. आते ही महिलाओं ने मुझे घेर लिया और बोली कि हम न जाने इस अभियान को … हम को ये बता दो कि पैसा कितना मिलेगा… पैसा ??? किस बात का पैसा ??? इस पर वो बोली कि हम निगरानी करेगी. सुबह शाम गांव वालों को बाहर  जाने से रोकेगी तो समय भी तो लगेगा उसी लिए पूछ रहे हैं कि पैसा कितना लगेगा… उन दिनों मैं “जी न्यूज चैनल” की संवाददाता भी हुआ करती थी और  प्रशासन की ओर से डोक्य़ूमैंटी भी  बना रहे थे. मुझे ज्यादा बोलने का अनुभव तो नही था पर चूकि इस अभियान को बहुत नजदीक  से देख रही थी  और जिले के ADC डाक्टर युद्दबीर सिह ख्यालिया जोकि इस अभियान को आगे बढा रहे थे उनकी बाते सुन सुन कर मन में जोश भरा हुआ था. मन में  ढेरों विचार उमड रहे थे.

उन्हे  पेड के नीचे बैठा दिया और बोला कि बताओ कितना पैसा चाहिए. कोई बोली पाचं सौ तो कोई बोली सात सौ रुपया महीना तो होना ही चाहिए. क्या ??? मैने कहा बस ?? 500 – 700 रुपए महीना. उन्होनें सोचा कि बहुत कम बोल दिया शायद तो एक खडी होकर बोली हजार मैडम जी हजार चाहिए.  क्या ??? सिर्फ हजार !!! सफाई की कीमत सिर्फ हजार रुपए. इस पर वो फिर सोचने लगी और बोली पद्रंह सौ रुपए … फिर महिलाओं मे कानाफूसी होने लगी.

मैने उन्हें शांत करवाया और बोला कि ये स्वच्छता अभियान है स्वच्छता अभियान … इस अभियान के अगर आप हजार क्या लाख भी मांगोगे तो भी कम है क्योकि ये जो काम आप लोग करने जा रहे हो यह अमूल्य है बहुमूल्य है इसकी कीमत का तो कोई अंदाजा ही नही लगाया जा सकता.

कोई सिर पर पल्लू डाले तो कोई नाक पर पल्लू रखे मेरी बात गम्भीरता से सुन रही थीं. मैने कहा अच्छा चलो एक बात बताओ … आपको ये पता है कि पहले हमारा देश आजाद नही था. बहुत लोगों ने कुर्बानी दी … कुछ की आवाज आई कि म्हारा दादा ससुर , ताऊ, ने भी हिस्सा लिया था … मैने कहा कि अरे वाह !! ये तो बहुत अच्छी बात है कि आप उस परिवार से हो … अच्छा ये तो बताओ कि क्या आपने कभी सुना कि जो लोग देश के लिए लडे. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया उन्होने ये कहा हो कि हम इस लडाई मे तभी हिस्सा लेंगें जब आप हमें पैसे दोगे .. सब हंसने लगी और बोली ऐसे थोडे ही न होता है बल्कि जिन जिन ने इस आंदोलन में  हिस्सा  लिया उन्होनें अपने गहने, जेवर तक भी दान मे दे दिए थे. बिल्कुल … मैने कहा  बस दिल में एक ही लग्न थी, जज्बा था और  निस्वार्थ सेवा भाव था कि हर हालत में देश को आजाद करवाना ही है कितने लोग तो बेनाम ही रह कर देश के लिए लडे और जान कुर्बान कर दी  कि देश को आजाद करवाना है और देखो सच्चे मन से देश के लिए लडे और आज हम आजाद है.

आज भी एक लडाई हमे लडनी हैं और वो लडाई है गंदगी के साथ … उसका जड से  सफाया करना है  और आपका साथ चाहिए आपकी निस्वार्थ सेवा भाव चाहिए और आप है कि पैसे मांग रहे हो ..

इन बातों ने उनको सोचने पर मजबूर कर दिया . मैने कहा कि इतिहास बदलने जा रहे हो  इतिहास आप लोग .. क्या कभी सोचा है आपने … सफाई के मामले मॆं पूरी दुनिया में देश एक  देश नम्बर एक पर होगा  हमारा देश वो भी आप लोगो की वजह से …

इतने में कुछ महिलाए बोल पडी … न जी हम कुछ नही लेंगें … सफाई रखेंगें और अपने गांव का देश मॆं नाम करेंगें …

इनकी बात सुनकर मन खुशी से नाच उठा कि मैनें भी  स्वच्छता की अलख जगाई.  कुछ लोगों को तो प्रेरित किया स्वच्छता  के लिए  कम से कम … 😀

जिस जोश मे ये अभियान सिरसा में आगे बढा वो वाकई मे देखने लायक था.  जिसका मुख्य श्रेय डाक्टर ख्यालिया और उनकी पूरी टीम को जाता है. निसंदेह अगर गांव वाले आगे न आते जागरुक  न होते तो स्वच्छता कभी नही आ सकती थी इसलिए गांव वाले, गांव के सभी स्कूल के  टीचर, पंच सरपंच की बेहद मह्त्वपूर्ण भूमिका रही. छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग ने इस अभियान मे योगदान दिया.

तब सिरसा के 333 गांवो मे से 260 गांवों को निर्मल ग्राम पुरस्कार मिला . जिसे महामहिम प्रतिभा पाटिल जी ने हिसार में सम्मानित किया. सिरसा के हर गांव मॆ जय स्वच्छता के नारे गूंजने लगे और लोग खुशी से नाच उठे.

 

 

 

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