Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

ये सफलता की कहानी किसी एक व्यक्ति की नही बल्कि पूरे गांव की है.  पूरा गांव  जय स्वच्छ्ता के नारे गूंज उठा. एक कहानी नही हकीकत है और हकीकत है हरियाणा के जिला सिरसा के गांव फूलकां की.

ये तभी सम्भव हुआ जब जिला प्रशासन की टीम ने गांवों का दौरा किया और लोगो में जागृति  आई…

गांव की निवासी पुष्पा देवी बताती है कि पहले अपने गांव में आते जाते जाते शर्म आती और आज इस गांव में इतनी स्वच्छता आ गई है कि हमारा गांव अपने नाम जैसा  फूल जैसा खूबसूरत हो गया है..

वही गांव के बच्चों प्रदीप और कलावती ने बताया कि वो निगरानी करते और लोगो को खुले में शौच जाने को मना करते जब लोग नही मानते तो इनके शौच पर मिट्टी डाल कर आते ताकि बीमारियों से बचाव हो सके.

स्कूली टीचर श्री जगदेव फौगाट ने भी बताया कि बच्चों ने स्वच्छता के मह्त्व को बहुत जल्दी समझा.

आज ये गांव पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त है यही इस गांव की सफलता की कहानी है क्योकि सभी के सांझे प्रयासों से स्वच्छता आई तभी आज इस गांव की महिला नाच रही है गा रही है और जय स्वच्छता नारे गूंज रहे हैं

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

Swachh Bharat Mission-Gramin

Swachh Bharat Mission-Gramin Swachh Bharat Mission-Gramin – Kanganpur – Nirmal Bharat Abhiyan – TSC – DOST बात उन दिनों की है जब गांव के लोग खुले में See more…

 

 

August 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो – Total Sanitation Campaign in India ,Nirmal Bharat Abhiyan ,’Swachh Bharat Abhiyan या स्वच्छता अभियान नाम कोई भी हो मकसद सिर्फ एक है कि हमारा भारत देश स्वच्छ हो खुले में शौच से मुक्त हो 

  स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छ भारत अभियान के एक नए जारी किए गए वीडियो में कंगना रनौत लक्ष्मी के रूप में दिखती हैं और अमिताभ बच्चन जी  की आवाज़ है. इस वीडियो में संदेश दिया गया है कि सफाई न रखने पर लक्ष्मी आपका घर छोड़ कर चली जाएंगी, आप चाहे तो उन्हें रोक लें. बेशक, स्वच्छता अभियान में चाहे विद्द्या बालन जी हों या अमिताभ जी….  पर असली हीरो होते हैं गांव वाले जो  स्वच्छता से प्रेरित होकर अपने गन्दे और शौच युक्त गांव का नक्शा ही बदल देते हैं . एक बडा सा सलाम हैं उन गांव वालो को जिन्होने अपने गांव को गांव नही परिवार समझा और देखते ही देखते गांव का नक्शा ही बदल गया..

यह कोई सुनी सुनाई बात नही बल्कि मेरे सामने की बात है और गांव वालो के जज्बे से उनका सफाई के प्रति प्रेम देख कर मैं इतना उत्साहित हो गई कि मैने स्वच्छता एक अहसास पर पूरी किताब ही लिख डाली.

अहसास स्वच्छता का ………… पुस्तक को लेकर आपके मन में ढ़ेरो सवाल उठ रहें होंगें कि आखिर इस पुस्तक के माध्यम से स्वच्छता का अहसास कैसे करवाया जा सकता है। सच पूछो तो, हम सभ्य समाज के सभ्य नागरिक हैं, पढे़- लिखे और समझदार भी हैं लेकिन सही मायनों में देखा जाए तो अनपढ़ और असभ्य की श्रेणी में आते हैं क्योंकि जिस समाज में हम रहतें हैं उसी को गंदा कर रहें हैं।

यहां बात भ्रष्टाचार की नहीं बल्कि उस कूडे़- कर्कट की है जो हमारें चारों तरफ फैला है और कूडेदान एक तरफ खडे़- खडे़ गंदगी का मुँह ही ताकते रह जातें हैं और तो और सड़क के किनारें, दीवारों की ओट को शौचालय का रूप देकर दिन-रात गंदगी में इजाफा किया जा रहा है। सड़क पर चलते हुए थूकना और पूरी सड़क को कूडादान समझना आम बात है। अगर यह पढ़े- लिखे सभ्य समाज को चित्रित करता है तो गाँव वालों को किस श्रेणी में रखेंगें क्योंकि वो तो वैसे भी अनपढ़, सीधे-साधारण गरीब, किसान और मज़दूर होतें हैं।

भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत गाँव वासियों की सोच में एक ऐसा बदलाव, ऐसी जागरूकता देखने को मिली जिसकी सपनें में भी कल्पना नहीं की जा सकती थी। बस, यहीं मुझे पुस्तक लिखने का मकसद मिल गया कि आज जो अहसास इन गाँव वासियों को हो रहा है उसकी महक उन लोगों तक भी पहुँचे जो अभी तक इससे अछूते हैं। मैनें अपनी तरफ से पुस्तिका में स्वच्छता और उससे आए बदलाव के बारे में जानकारी देने की पूरी कोशिश की है और मुझे उम्मीद ही नही पूरा विश्वास है कि इसको पढ़ने के बाद आप भी और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने में मदद करेंगें।
अहसास ……………स्वच्छता का

“देशोऽस्ति हरयाणारव्यः पृथिव्यां स्वर्गसनिन्नभः” यानि हरियाणा नाम का एक देश हैं जो धरती पर स्वर्ग के समान है। यह विक्रमी संवत् 1385 के शिलालेख से उद्घृत है जो दिल्ली के निकट सारवान गाँव से मिला है।

सन् 2005 में जिला फतेहबाद के निकट भिरड़ाना गाँव में खुदाई के दौरान एक ऐसी सभ्यता मिली जो स्वच्छता से रहती थी। खुदाई के दौरान नालियाँ और मुख्य नाला इस ढ़ंग से बनाया गया था कि ऐसा मालूम देता था कि जिस समय यहां लोग रहते होंगें उस समय गंदगी का नामो-निशान नही होगा क्योंकि घर-घर में नालियाँ इस सफाई से बनाई गई थी कि पानी रूकने या जमा होने का कोई मतलब ही नही था।

सफाई, एक अनमोल गहना है जिसे हर एक अपने पास रखना चाहता है पर उसे सहेज कर रखने के चक्कर में वो इसे सम्भाल कर नहीं रख पाता और नतीजा…….. हमें चारों तरफ गंदगी, कूडे़, कीचड़ आदि का साम्राज्य मिल जाता हैं। बात शहर की हो या गाँव की, गन्दगी हर जगह हैं। हाँ, अगर तुलना की जाए तो गाँव में गंदगी का तो बहुत ही बुरा हाल है। गलियों में जमा पानी, रूढि़यों के ढे़र, कूड़ा-कर्कट और तो और बाहर खेतों में शौच जाते गाँव-वासी गन्दगी और फैलती जानलेवा बीमारियों में बढ़-चढ़ कर योगदान दे रहें हैं।

ना तो उन्हें कोई समझाने वाला है और ना ही कोई जागरूक करने वाला। जबकि इतिहास के पन्ने पलटने पर हम पढ़ते है कि खाना खाने से पहले और खाने के बाद हाथ धोना, प्रतिदिन नहाना, कमरे मे जाने से पहले चप्पल-जूतें उतारना, बिना स्नान किए रसोई में ना जाना, प्रसूति के बाद माँ तथा बच्चें को कुछ समय के लिए संक्रमण से बचाने के लिए अलग कमरें में रखा जाता था। व्यक्तिगत स्वच्छता का उल्लेख मनुस्मृति में भी मिलता है। मोहनजोदाड़ो और हड़प्पा की खुदाई भी स्वच्छता की साक्षी रहीं हैं।
आज जबकि देश इतनी प्रगति कर रहा है। हर रोज नई-नई वैज्ञानिक खोजें हो रही है ऐसे में लोग गन्दगी से दूर क्यों नहीं जा पा रहें? क्यों वो घर और गलियों के आगे इकट्ठा बदबूूदार पानी देखकर भी कुछ नहीं करते? क्यों मच्छरों को उन्होनें अपनी नियति समझ लिया है और क्यों सदियों पुरानी चली आ रही खुल्ले में शौच जाने आदत से उन्हें इतना भावनात्मक लगाव है।

 

देखा जाए तो क्यों यानि प्रश्न बहुत हैं। आखिर कोई तो रास्ता होगा इससे बाहर निकलने का। जबकि सभी को पता है कि स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल की कमी से 80ः बीमारियाँ पैदा होती हैं। प्रति वर्ष विश्व भर में 5 वर्ष से कम आयु के 15 लाख बच्चें मौत के शिकार बनते हैं।
आंकड़ा सुनकर सिरहन दौड़ जाना स्वाभाविक है पर स्वाभाविकता से परे एक कटु सत्य है और वो है कैसे भी करके गंदगी को दूर भगाना, लोगों को अच्छे रहन-सहन के तरीकों की जानकारी देना, बेकार पानी की निकासी, पीने के पानी की सम्भाल, कूडे़-कर्कट के साथ-साथ मानव मल का सही ढ़ंग से निपटान, व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ ग्रामीण स्वच्छता को जान कर, समझ कर उस पर अमल करना।
इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर प्रयास किए जाते रहे और सन् 1986 में भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (सी0आर0एस0पी0 ) की शुरूआत की गई। सन् 1999 में भारत सरकार द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान की शुरूआत की गई।

sawacchta book by monica gupta

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात – Monica Gupta

क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर 4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. जब गांव गांव जाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा था.लोगो को समझाया जा रहा था कि खुले मे शौच नही जाओ आसान नही था क्योकि सदियों से चली आ रही मानसिकता बदलना मुश्किल था.

https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/07/audio-sani.mp3 क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर  4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. Read more…

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

August 8, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत अभियान और बच्चों की भूमिका

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छ भारत अभियान और बच्चों की भूमिका

स्वच्छता अभियान के दौरान, गांव के  बच्चों मे स्वच्छता के प्रति उत्साह देख कर हमनें ये वीडियो बनाई थी

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान, सिरसा , हरियाणा , गांव सिकंंदरपुर

बात उन दिनों की है जब हरियाणा के सिरसा में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान जोरो शोरो से चला हुआ था और सभी गांव वाले एक जुट होकर अपने अपने गांव को स्वच्छ बनाने में जुटे थे. तभी हमने यह महसूस किया कि बच्चे इस अभियान को बहुत गम्भीरता से ले रहे हैं और अपने गांव की न सिर्फ निगरानी कर रहे हैं बल्कि जो भी बाहर शौच के लिए जाता है उसे समझाते हैं और जो नही समझता उसकी शौच पर मिट्टी डाल कर आते ताकि बीमारी न फैले … ये देख आदमी इतना शर्मसार हो जाता  कि वो कुई बना कर उसी में जाने लगा… !!!

बेशक, बच्चों को  जिला प्रशासन और टीचर्स ने मिलकर गाईड किया पर उन्होनें इसके महत्व को समझा और स्वच्छ  गांव  बनाने में जुट गए. कभी रैली निकालना तो कभी खुद झाडू लेकर सफाई में जुट जाना …उनके इसी जोश को देख कर हम भी प्रेरित हुए और बच्चों की वीडियों बना डाली. उन दोनो शकंर अहसान जी का ये गीत बहुत सुर्खियों में था और  इस गाने पर कोई थीम बेस्ड वीडियो भी बनानी थी तब हमने इसे बनाया  स्वच्छता पर …

sawacchta-book-by-monica-gupta

स्वच्छता के नारे – Monica Gupta

• 1-2-3-4, कुर्इ खुदवा लो मेरे यार read more at monicagupta.info

वैसे स्वच्छता को लेकर आपकी क्या सोच है जरुर बताईगा … !!!

 

July 26, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात

रिश्वतखोरी - आईए रिश्वत दें https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/07/audio-sani.mp3

क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर  4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात

बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. जब गांव गांव जाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा था.लोगो को समझाया जा रहा था कि  खुले मे शौच नही जाओ आसान नही था क्योकि सदियों से चली आ रही मानसिकता बदलना मुश्किल था.

 

ऑडियो

ऑडियो

 

एक बार महिलाओ को समझाने के बाद कि कोई अगर शौच के लिए बाहर जाए तो उसे रोको तो कुछ महिलाओं ने मुझे घेर लिया और बोली कि ठीक है निगरानी कर लेंगें पर  हम को ये बता दो कि पैसा कितना मिलेगा… पैसा ??? किस बात का पैसा ??? इस पर वो बोली कि हम निगरानी करेगी.

सुबह शाम बच्चों बडो को बाहर शौच जाने से रोकेगी इसलिए..मैने उन्हे आराम से पूछा कि बताओ कितना पैसा चाहिए. कोई बोली पाचं सौ तो कोई बोली सात सौ रुपया महीना तो होना ही चाहिए. क्या ??? मैने कहा बस ?? 500 – 700 रुपए महीना. उन्होनें सोचा कि बहुत कम बोल दिया शायद तो एक खडी होकर बोली हजार मैडम जी हजार चाहिए.  क्या ??? सिर्फ हजार !!!

सफाई की कीमत सिर्फ हजार रुपए. इस पर वो फिर सोचने लगी क्योकि शायद इतनी उम्मीद नही थी उनमे महिलाओं मे कानाफूसी होने लगी.मैने उन्हें शांत करवाया और बोला कि ये स्वच्छता अभियान है स्वच्छता अभियान … इस अभियान के अगर आप हजार क्या लाख भी मांगोगे तो भी कम है क्योकि ये जो काम आप लोग करने जा रहे हो यह अमूल्य है बहुमूल्य है इसकी कीमत का तो कोई अंदाजा ही नही लगाया जा सकता.

इस समय वहां पिन ड्राप साईलेंस थी. कोई सिर पर पल्लू डाले तो कोई नाक पर पल्लू रखे मेरी बात गम्भीरता से सुन रही थीं. मैने कहा अच्छा चलो एक बात बताओ … आपको ये पता है कि पहले हमारा देश आजाद नही था. बहुत लोगों ने कुर्बानी दी …

कुछ की आवाज आई कि म्हारा दादा म्हारा ससुर , तो कोई बोली म्हारे भी ताऊ, ने हिस्सा लिया था … मैने कहा कि अरे वाह !! ये तो बहुत अच्छी बात है कि आप उस परिवार से हो … अच्छा ये तो बताओ कि क्या आपने कभी सुना कि जो लोग देश के लिए लडे. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया उन्होने ये कहा हो कि हम इस लडाई मे तभी हिस्सा लेंगें जब आप हमें पैसे दोगे ..

सब हंसने लगी और बोली ऐसे थोडे ही न होता है बल्कि जिन जिन ने इस आंदोलन में  हिस्सा  लिया उन्होनें अपने गहने, जेवर तक भी दान मे दे दिए थे. बिल्कुल … मैने कहा  बस दिल में एक ही लग्न थी, जज्बा था और  निस्वार्थ सेवा भाव था कि हर हालत में देश को आजाद करवाना ही है कितने लोग तो बेनाम ही रह कर देश के लिए लडे और जान कुर्बान कर दी  कि देश को आजाद करवाना है और देखो सच्चे मन से देश के लिए लडे और आज हम आजाद है…

आज भी एक लडाई हमे लडनी हैं और वो लडाई है गंदगी के साथ …ताकि हमारी आने वाली पीढी  स्वच्छता में सांस ले सके. उसका जड से  सफाया करना है  और उस्के लिए सभी का  साथ चाहिए और निस्वार्थ सेवा भाव चाहिए और आप है कि पैसे मांग रहे हैं  ..इन बातों ने उनको सोचने पर मजबूर कर दिया.

अचानक  कुछ महिलाए बोल पडी … न जी हम कुछ नही लेंगें … सफाई रखेंगें और अपने गांव का देश मॆं नाम जरुर करेंगें … उस समय मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो मैने बहुत बडी लडाई जीत ली. बात गांव की नही बल्कि शहर की भी है अब तो जगह जगह शहर में भी गंदगी के ढेर दिखाई देते हैं…

 

मोनिका गुप्ता , स्वच्छता अभियान

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात

प्रत्यक्षम किम प्रमाणम … आईए देखिए पहले गांव की क्या हालत होती थी और स्वच्छता अभियान के बारे में लोग की सोच क्या हो गई …

स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला – सफलता की कहानी – Monica Gupta

स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला Swachh Bharat Abhiyan – Village Vaidwala स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला .सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के चलते गांव एक मिसाल read more at monicagupta.info

 

गंदगी हम फैलातें हैं और दोष सरकार पर मढ देते हैं हम अपने कर्तव्य भूल जाते हैं अधिकार याद रखते हैं जबकि समाज के प्रति भी हमारे कुछ दायित्व हैं जिसको निभाना हमारा फर्ज है……….

वैसे स्वच्छता के बारे में आपकी क्या राय है ? जरुर बताईएगा …!!

June 27, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता का महत्व बनाम संकीर्ण मानसिकता

बापू गांधी ( मोनिका गुप्ता)

स्वच्छता का महत्व बनाम संकीर्ण मानसिकता

अगर स्मार्ट सिटी बनानी है तो हमें अपने दिमागों को भी स्मार्ट बनाना होगा …

कुछ देर पहले एक जानकार का फोन आया … वो अपने किसी मित्र के लिए बात कर रहे थे कि वो समाज सेवा से जुडना चाहता है क्या मैं किसी एनजीओ को जानती हूं.. मैने कहा अरे वाह!! ये तो बहुत अच्छी बात है … वैसे आज यूथ में समाज के प्रति कुछ करने का जज्बा बढ रहा है..

इस पर उन्होने कहा कि ऐसा कुछ नही है असल में, वो दो तीन जगह इंटरव्यू दे रहा है अगर कोई इस तरह के यानि समाज सेवा चाहे स्वच्छता हो या रक्तदान … के सिर्फ प्रमाण पत्र मिल जाएगें तो प्रोफाईल ज्यादा अच्छा हो जाएगा .. ओह !! यानि मात्र दिखावा ?? मैं ऐसी किसी संस्था को नही जानती क्षमा करें कह कर मैने फोन रख दिया पर दुख जरुर हुआ कि लोग ऐसा भी करते हैं..

 

बापू गांधी ( मोनिका गुप्ता)

बापू गांधी ( मोनिका गुप्ता)

स्वच्छता के नारे – Monica Gupta

स्वच्छता के नारे स्वच्छता हम सभी के लिए बेहद जरुरी है जानते हैं हम सब पर फिर भी मानते नही है और गंदगी फैलाए चले जाते हैं. read more at monicagupta.info

 

हम और हमारे सामाजिक दायित्व जरुर सुनिएगा

July 1, 2015 By Monica Gupta

स्वच्छता के नारे

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स्वच्छता के नारे / स्वच्छता पर नारे

स्वच्छता हम सभी के लिए बेहद जरुरी है जानते हैं हम सब पर फिर भी मानते नही है और गंदगी फैलाए चले जाते हैं. ये कहना भी सही नही है कि गंदगी गांव के असभ्य और अनपढ लोग फैलाते हैं.

गंदगी पढे लिखे लोग भी बराबर की ही फैलाते हैं. हैरानी की बात तो तब हुई जब गांव के लोगों मे स्वच्छता की अलख जगाई गई उन्हें खुले मे शौच जाने से होने वाली बीमारियों के बारे मॆं बताया गया तो ना सिर्फ उन्होने घर में शौचालय बनवाया बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करने के लिए नारे भी बना दिए.

ये स्वच्छता के नारे बनाए हैं हरियाणा में  जिला  सिरसा के गांव वालो ने …  जिला प्रशासन के समझाने पर  एक नई चेतना जागी और स्वच्छता को एक नया आयाम दिया …

नारे स्वच्छता अभियान के

गाँव वालों ने तो स्वच्छता  अभियान को नर्इ दिशा देने के लिए ढ़ेरों नारे बना दिए।
• मूँगफली में गोटा, छोड़ दो लोटा।

• ना जिलें में, न स्टेट में, सफार्इ सारे देश में

• 1-2-3-4, कुर्इ खुदवा लो मेरे यार

• सफार्इ करना मेरा काम, स्वच्छ रहें हमारा गाँव।

• सुन ले सरपंच, सुन ले मैम्बर, कुर्इ खुदवा लें घर के अंदर

• बच्चें, बूढ़े और जवान, सफार्इ का रखो ध्यान
• आँखों से हटाओ पटटी, खुले में न जाओ टटटी

• खुले में शौच, जल्दी मौत

• नक्क तै मक्खी बैन नी देनी, खुल्ले में टट्टी रहन नी देनी

• लोटा बोतल बंद करो, शौचालय का प्रबन्ध करों।

• मेरी बहना मेरी माँ, खुले में जाना ना ना ना….

• ताऊ बोला तार्इ से, सबसे बड़ी सफार्इ सै

• खुले में शौच, पिछड़ी हुर्इ सोच

इस अभियान से लम्बे समय तक जुडे रहने के कारण बहुत नारे पढे सुने और देखे … वाकई नारों में एक अलग ही शक्ति है जागरुक करने की… इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैने भी कुछ नारे लिखे , कुछ गांव वालो के लिए और  कुछ नारे नेट से सकलिंत किए और उस ई बुक को

” 101 स्वच्छता के नारे” का नाम दिया…  लिंक नीचे दिया है …

 

101-swachhta-ke-naare

101-swachhta-ke-naare

महात्मा गांधी भी स्वच्छता पर जोर देते रहे और पंडित नेहरु भी स्वच्छता की अहमियत जनता को समझाते रहे.

महात्मा गाँधी

स्वच्छता स्वतंत्रता से भी महत्वपूर्ण है
स्वच्छता में ही र्इश्वर का वास होता है

पं0 जवाहर लाल नेहरू

जिस दिन हम सबके पास अपने प्रयोग के लिए एक शौचालय होगा मुझे पूर्ण विश्वास है कि उस दिन देश अपनी प्रगति की चरम सीमा पर पहुँच चुका होगा।

जय स्वच्छता

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