Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 30, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता और स्वास्थ्य

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छता से स्वास्थ्य रक्षा

स्वच्छता और स्वास्थ्य की बात चलती है  तो हमारे जहन में सबसे पहले स्वच्छता से स्वास्थ्य रक्षा ही आती है आमतौर पर लोग स्वच्छता का सीधा सम्बंध शौचालय बनाने या इसका इस्तेमाल करने से ही निकालते है. यह बात ठीक है कि शौचालयों का बनाना और इस्तेमाल करना स्वच्छता का जरूरी अंग है पर इसक साथ साथ दूसरी बात भी उतनी ही जरूरी है जितनी शौचालयों के बारे में जागरूकता का होना…

क्या हैं स्वच्छता के अन्य जरूरी अंग

स्वच्छता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है

  1. पीने का पानी का रख रखाव और बर्ताव
  2. बेकार पानी की निकासी
  3. मानव मल का सही निबटान
  4. कूड़े कचरों का सही निबटान
  5. घर तथा भोजन की स्वच्छता
  6. व्यक्तिगत सफाई
  7. ग्रामीण स्वच्छता सामुदायिक एवं पर्यावरण स्वच्छता

पीने के पानी का रख रखाव और बर्ताव

जब बात पीने के पानी की चलती है और खास तौर पर गांवों की बात होती है ता हमारे मन में पनघट कुऐं या हैंंड पम्पों की तस्वीर ही घूमती है जहां पर ठेठ घूघंट में ढकी महिलाए मटको में पानी भर भर के ले जा रही है  और वही दूसरी तरफ औरते कपडेे भी धो रही है.   बच्चे नहा भी रहे है और तो और  उसी पास खड़े गंदे पानी में  मच्छर, मक्खी भिनभिना रहे है वही पानी कच्चे रास्ते को गंदा बदबूदार बनाता हुआ जोहड़ में जा मिलता है   वही पशु स्नान कर रहे होते है बस यही से शुरू होती है बीमारियों की जड़ अगर ऐसे वातावरण दूषित जल का प्रयोग किया जाए तो हैजा, दस्त, पीलिया जैसे रोगों का खतरा बना रहता है इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि साफ और स्वच्छ पानी ही इस्तेमाल करे। पर ऐसे माहौल में पानी स्वच्छ पानी कैसे हो। उसके लिए हमें कुछ बातों का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए जैसे कि जहां से पानी भरे… अगर कुआ है तो ढ़का हो अगर वहां जल हत्था लगा है तो वो जगह एकदम से सूखी और साफ हो वहां सही प्रकार से नाली बनाई हो ताकि पानी वहां जमा ही ना होने पाएं आमतौर पर खुली नदी या तालाब बीमारियों के घर माने जाते है इसलिए इसे बचे।

पानी भरने के जो भी स्त्रोत है वो सब पक्के होने चाहिए अब एक बात और बहुत जरूरी है कि जब भी पानी भरे उसे बर्तन का पहले धो ले और उसमें अपनी अगूलियां ना डुबवाए

पानी पीने के लिए डण्डी वाले लोटे का इस्तेमाल करे और पानी के बर्तन को हमेशा ढक कर ही रखें। हां कई बार पीने का सुरक्षित स्थान नही होता तो ऐसे में पानी का उबालना चाहिए।

20 मिनट उबाल कर पानी के रोगाणु नाष्ट हो जाते है उबालने के साथ साथ एक अन्य साधन भी है क्लोरीन से उसे साफ करना  असुरक्षित पानी का सुरक्षित बनाने का यह सबसे सरल, असरदार रसायन है क्लोरीन की दवाई स्थानीय चिकित्सा केद या दुकानों से मिल जाती है। इसलिए हमें अगर स्वस्थ रहना है तो पानी का स्वच्छ पान बहत जरूरी है इसलिए यह जरूरी है कि पानी जहां से ले वो जगह ढ़की हुई। साफ हो।

–           साफ बर्तन में पानी भरना चाहिए या फिर पानी भरने से पहले बर्तन साफ पानी  में धोना बहुत जरूरी है।

–           पाने के पानी को ढ़क कर रखना निहायत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है कि डंंडी वाला लोटा इस्तेमाल किया जाए या फिर लम्बी गर्दन वाली सुराही पीने के पानी के लिए इस्तेमाल की जाएं इसमें पानी दूषित होने के कारण बहुत कम होते है वैसे भी आजकल मटको एवं घड़ो में नलके लगे आने लेग है यह भी सुविधा जनक तथा स्वच्छता लिए होते है क्योंकि बार-बार ढ़कन्न हटा कर पानी पीने की जरूरत ही नही रहती

इसके पीने वाले पानी को हमेशा उंची जगह पर रखना चाहिए ताकि जल्दी से घूल मिटटी ना पड़े तो हमने देखा कि अगर साफ पानी का कोई साधन ही ना मिले तो पानी का उबाल कर या फिर क्लारीन की टिकिया डाल कर उसका इस्तेमाल करना चाहिए।

बेकार पानी की निकासी:-

जैसा कि पहले बताया गया है कि आमतौर पर पानी भरने वाली जगह सही ढ़ग से निकासी ना होने के कारण पानी खड़ा रह जाता है ऐसे मे ना सिर्फ गन्दगी बदबू फल जाती है बल्कि मच्छर, मक्खी बीमारियों का केन्द्र बन जाते है ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि बेकार पानी की निकासी सही ढ़ग से हो घर में अगर रसोई घर में पानी बाहर निकलने का पक्का रास्ता हो तो वो सबसे बेहतर है और वो रसोई घर से निकला बेकार पानी अगर बगीचे में लगी सब्जियों और खेते में जाए तो सोने पर सुहागा हो जाए। इससे पानी का सही इस्तेमाल भी हो जाता है और बगीचा और खेतो को भी पानी मिलता रहता है।

कूड़े कचरे का सही निबटान:-

गांव का नाम लेते ही हमारे दिलों दिमाक में बस भैंसे गाय, गौबर, गन्दगी ही आते है तो क्या यह गोबर और गन्दगी ही गांव की पहचान बन चुकी है इससे छुटकारा नही पाया जा सकता। जी हां, इसे बिल्कुल दूर किया जा सकता है सड़क और गलियों में पड़ा कूड़ा ना सिर्फ मच्छरों को जन्म देकर बीमारियों बढ़ाता है बल्कि टेटनस के रोगाणु खुले घाव से शरीर मे आते है और इससे नवजात बच्चों की जान का भी जबरदस्त खतरा हो सकता है।

अकसर कूड़े और गदगी के ढेर के पास सूअर, कुतो सांड़ो आदि जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है और मच्छर, मक्ख्यिों और कॉकरोच की संख्या तो पूछिए ही मत … अगर बीमारी से बचना है तो स्वच्छता रखनी ही पडेगी.

मानव मल का सही निबटान

जहां खुल्ले में मल बीमारियों को निमत्रंण देता है  इसको बनाने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नही होती अब यह अपनी घरेलू स्थिति, भूजल विज्ञान, क्षेत्र में प्राप्त निर्माण वस्तुओं का प्रकार, आदत, निवाज और खुद की सहुलियत और दुष्टिकोण पर निर्भर करता है कि वो किस प्रकार का शौचालय बनाना चाहते है।

घर की सफाई, सुव्यवस्था एवं सुरक्षित भोजन

गांव के लोगों के ज्यादातर घर छोटे, अंधेरे वाले होते है जहां ताजी हवा की निकासी सही प्रकार से नही होती इसके साथ-2 सारा परिवार एक ही कमरे में रहता है और ज्यादातर रसोई घर भी वही एक कोने में बना होता है ऐसे में सहज ही कल्पना इससे ना सिर्फ गांव स्वच्छ और सुन्दर बनेगा बल्कि निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए भी दावेदार हो सकते है।

व्यक्तिगत सफाई

अभी तक हमने बात की घर व आस पड़ोस की सफाई की। अब हम आते है अपनी व्यक्तिगत सफाई पर। जी हां जितनी जरूरी घर की सफाई है उतनी ही जरूरी खुद की सफाई भी है। कई रोग ऐसे है जो व्यक्तिगत सफाई के अभाव में ही फलते है हमे विश्वास नही होगा लेकिन हाथो की सफाई हममें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। आमतौर पर झाडू या बर्तन धोने के बाद या शौच जाने के बाद या सिर्फ बच्चे का शौच साफ करने के बाद हाथो को उतनी अच्छी तरह नहीं धोते जितने धोने चाहिए।

सामुदायिक एंव पर्यावरण स्वच्छता:-

स्वच्छता के बारे में जागरूकता होनी बहुत ही जरूरी है। क्योंकि अगर वातावरण स्वच्छ नहीं होगा तो स्वच्छ जीवन शैली नही बन पाऐगी। मान ले कि हमने अपना घर तो साफ करके चमका लिया पर कूड़ा बाहर ही सड़क पर फेंक  दिया। ऐसे में गन्दगी के कीटाणु मच्छर, मक्खी सब गन्दगी पर जाने के बाद आराम से घर के भीतर भी आऐगे और ज्यादा गन्दगी फैलाऐगे अब लोग घरो में सोख्ता गडडे तो बनवा लेते है पर उसकी देखभाल ना होने की वजह से उसका पानी सड़क पर ही बहे जाता है और गन्दगी फैलाता है।

स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत बनाम गांधी जयंती पिछ्ले साल यानि सन 2014 में 2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई. आरम्भ में झाडू हाथ मे लेकर फोटो खिचवाने See more…

 

तो यह हुए स्वच्छता के सात विभिन्न अंग सभी बहुत जरूरी है और इनको अपनाने से जीवन खुशहाल और रोग मुक्त हो जाएगा।

अगर आपके भी स्वच्छता को लेकर कोई विचार हों तो जरुर सांझा करें …

 

 

August 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

ये सफलता की कहानी किसी एक व्यक्ति की नही बल्कि पूरे गांव की है.  पूरा गांव  जय स्वच्छ्ता के नारे गूंज उठा. एक कहानी नही हकीकत है और हकीकत है हरियाणा के जिला सिरसा के गांव फूलकां की.

ये तभी सम्भव हुआ जब जिला प्रशासन की टीम ने गांवों का दौरा किया और लोगो में जागृति  आई…

गांव की निवासी पुष्पा देवी बताती है कि पहले अपने गांव में आते जाते जाते शर्म आती और आज इस गांव में इतनी स्वच्छता आ गई है कि हमारा गांव अपने नाम जैसा  फूल जैसा खूबसूरत हो गया है..

वही गांव के बच्चों प्रदीप और कलावती ने बताया कि वो निगरानी करते और लोगो को खुले में शौच जाने को मना करते जब लोग नही मानते तो इनके शौच पर मिट्टी डाल कर आते ताकि बीमारियों से बचाव हो सके.

स्कूली टीचर श्री जगदेव फौगाट ने भी बताया कि बच्चों ने स्वच्छता के मह्त्व को बहुत जल्दी समझा.

आज ये गांव पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त है यही इस गांव की सफलता की कहानी है क्योकि सभी के सांझे प्रयासों से स्वच्छता आई तभी आज इस गांव की महिला नाच रही है गा रही है और जय स्वच्छता नारे गूंज रहे हैं

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

Swachh Bharat Mission-Gramin

Swachh Bharat Mission-Gramin Swachh Bharat Mission-Gramin – Kanganpur – Nirmal Bharat Abhiyan – TSC – DOST बात उन दिनों की है जब गांव के लोग खुले में See more…

 

 

July 1, 2015 By Monica Gupta

स्वच्छता के नारे

101-swachhta-ke-naare

स्वच्छता के नारे / स्वच्छता पर नारे

स्वच्छता हम सभी के लिए बेहद जरुरी है जानते हैं हम सब पर फिर भी मानते नही है और गंदगी फैलाए चले जाते हैं. ये कहना भी सही नही है कि गंदगी गांव के असभ्य और अनपढ लोग फैलाते हैं.

गंदगी पढे लिखे लोग भी बराबर की ही फैलाते हैं. हैरानी की बात तो तब हुई जब गांव के लोगों मे स्वच्छता की अलख जगाई गई उन्हें खुले मे शौच जाने से होने वाली बीमारियों के बारे मॆं बताया गया तो ना सिर्फ उन्होने घर में शौचालय बनवाया बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करने के लिए नारे भी बना दिए.

ये स्वच्छता के नारे बनाए हैं हरियाणा में  जिला  सिरसा के गांव वालो ने …  जिला प्रशासन के समझाने पर  एक नई चेतना जागी और स्वच्छता को एक नया आयाम दिया …

नारे स्वच्छता अभियान के

गाँव वालों ने तो स्वच्छता  अभियान को नर्इ दिशा देने के लिए ढ़ेरों नारे बना दिए।
• मूँगफली में गोटा, छोड़ दो लोटा।

• ना जिलें में, न स्टेट में, सफार्इ सारे देश में

• 1-2-3-4, कुर्इ खुदवा लो मेरे यार

• सफार्इ करना मेरा काम, स्वच्छ रहें हमारा गाँव।

• सुन ले सरपंच, सुन ले मैम्बर, कुर्इ खुदवा लें घर के अंदर

• बच्चें, बूढ़े और जवान, सफार्इ का रखो ध्यान
• आँखों से हटाओ पटटी, खुले में न जाओ टटटी

• खुले में शौच, जल्दी मौत

• नक्क तै मक्खी बैन नी देनी, खुल्ले में टट्टी रहन नी देनी

• लोटा बोतल बंद करो, शौचालय का प्रबन्ध करों।

• मेरी बहना मेरी माँ, खुले में जाना ना ना ना….

• ताऊ बोला तार्इ से, सबसे बड़ी सफार्इ सै

• खुले में शौच, पिछड़ी हुर्इ सोच

इस अभियान से लम्बे समय तक जुडे रहने के कारण बहुत नारे पढे सुने और देखे … वाकई नारों में एक अलग ही शक्ति है जागरुक करने की… इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैने भी कुछ नारे लिखे , कुछ गांव वालो के लिए और  कुछ नारे नेट से सकलिंत किए और उस ई बुक को

” 101 स्वच्छता के नारे” का नाम दिया…  लिंक नीचे दिया है …

 

101-swachhta-ke-naare

101-swachhta-ke-naare

महात्मा गांधी भी स्वच्छता पर जोर देते रहे और पंडित नेहरु भी स्वच्छता की अहमियत जनता को समझाते रहे.

महात्मा गाँधी

स्वच्छता स्वतंत्रता से भी महत्वपूर्ण है
स्वच्छता में ही र्इश्वर का वास होता है

पं0 जवाहर लाल नेहरू

जिस दिन हम सबके पास अपने प्रयोग के लिए एक शौचालय होगा मुझे पूर्ण विश्वास है कि उस दिन देश अपनी प्रगति की चरम सीमा पर पहुँच चुका होगा।

जय स्वच्छता

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