आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी
आप पार्टी बनने के बाद पार्टी मे छिपा भीतरी धमासान भी सामने आया और अरविंद जी यही बोलते रहे कि सब लोग नए है कोई राजनीति भूमि से नही है कोई अनुभव नही है धीरे धीरे समय बीता और पार्टी को सत्ता से जाना पडा. फिर दुबारा पार्टी का धूमधडाके से अगमन हुआ अब पार्टी पर जो “ऎल” या नौसिखिया की मोहर लगी है अब हटेगी या अब भी वैसे ही लगी रहेगी यही बात अरविंद केजरीवाल भी बता रहे है कि ये भी जनता से ही पूछना पडेगा कि “एल” का निशान लगा रहने दें या हटा दें पर जो हो भीतरी धमासान अभी भी जारी है.
आम आदमी पार्टी
हिंदी
हिंदी
बेशक, हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी है पर इस बात मे भी दो राय नही है कि हम प्राथमिकता आज भी अंग्रेजी को ही देते हैं. हम चाह्ते है बच्चा अच्छे अंग्रेजी स्कूल मे पढे और अच्छी गिटर पिटर अंग्रेजी बोले . इस कार्टून मे हिंदी, अंग्रेजी को पलडे मे तोलने का प्रयास किया गया है और सच्चाई भी यही है हिंदी का पलडा आज भी अंग्रेजी की तुलना में कमजोर ही है.
Please Vote
Please Vote
पार्टी कोई भी हो सभी नेता वोट की जुगाड मे हैं कि किसी तरह से वोट उन्हें ही मिले. दीवारो पर, सडकों पर , गलियों मे पोस्टर और बैनर लगे नेता हर छोटे बडे के पास जाकर वोट देने की अपील कर रहे हैं. वही एक भिखारी भाजपा नेता को कह रहा है कि ईश्वर आप का भला करे… कहने का भाव यह है कि वो तो शायद भाजपा के बारे मे ही कह रहा है पर नेता जी का मन शायद AAP का सोच रहा है !!!
Cartoon-Politics
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बात चुनाव की हो और दलबदलू का जिक्र न आए … ऐसा भला कभी हो सकता है. नेता वही जो हर बार पार्टी बदले और जनता से वायदे करे. अब इस कार्टून मे नेता जी की पत्नी का दर्द झलक रहा है. नेता जी बेचारे 20 साल से एक ही पार्टी मे है और श्रीमति जी उन्हे फोर्स यानि दवाब डाल रही है कि पार्टी बदल लो ..
सभी ऐसा करते है पर आप नही … मालिश करते हुए नेता जी का ब्रेन वाश न कर दे …Cartoon-Politics
चुनाव
चुनाव
आमतौर पर हम चाह्ते हैं कि हमारे पास कोई जादुई चिराग हो और हम उससे जो भी मांगें वो हमे दे… पर ये इच्छा तब पल्टी मार जाती है जब चुनाव नजदीक होते है क्योकि हम लोगो की मानसिकता यही होती है कि चुनाव के समय उम्मीदवार का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाया जाए वही उम्मीदवार भी वोट की चाह मे जनता जनार्दन को खुश करने मे ही जुटा रहता है.
यह कार्टून भी यही कुछ दिखा रहा है क्योकि अब चुनाव आ गए हैं और जिन्न की कोई जरुरत नही … अब तो उम्मीदवार ही जिन्न की भूमिका निभाएगें … हम्बै 🙂
चुनाव
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