शिमला और खूंखार बंदर
जो भी शिमला जाता है उसका सामना बंदरों से तो होता ही होता है… पहाड और बंदर यकीनन पर्याय ही तो है… जहां शहरी लोगों के लिए ये बंदर आकर्षण का केंद्र बनते हैं वही कुछ देख कर डर के मारे चिल्लाने भी लगते है… और कुछ लोग इनके कोप के भागी भी बन जाते हैं ये मेरा अपने परिवार के साथ का पर्सनल अनुभव है. जब शिमला में बंदर ने काट लिया था.. यकीनन गुस्सा आया था कि मारो इनको पर आज जब इनको मारने की खबर हकीकत में पढी तोयकीन मानिए मैं सकते में आ गई…
असल में आज मित्र की फेसबुक वॉल पर खबर पढी कि केन्द्र सरकार ने शिमला शहर में उत्पाती बंदरों को मारने की अनुमति दे दी है. अगले छह माह के लिए यह मंजूरी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जारी की है. इसके तहत नगर निगम शिमला के दायरे में लोग उत्पाती वानरों को मारने में सक्षम होंगे. खबर के अनुसार प्रदेश में सवा तीन लाख से भी ज्यादा बंदर हैं और हर साल 180 करोड़ का नुकसान कृषि व बागबानी को पहुंचाते हैं।
बेशक, जो भी शिमला या आसपास गए होंगें… बंदरों का निशाना जरुर बने होंगें…. हम भी निशाना बने हैं पर क्या यह सही कदम है खूंखार की उपाधि देकर इन्हें मारना कहा तक उचित है…!!
Marauding monkeys to now face bullets in Shimla
Declared vermin, the marauding monkeys will be shot down in areas outside forests to check their menace.
The Ministry of Environment, Forests and Climate Change, in a communication to the Himachal Pradesh government on March 14, declared the rhesus monkey as vermin within Shimla’s municipal limits, which legally allows their elimination. read more at eenaduindia.com
हरियाणा मे भी कुछ जगह जैसाकि जींद के आसपास भी बहुत बंदर है पर कोई न कोई रास्ता इन्हें भगाने का सोचना चाहिए ..मारने का क्या मतलब . ???
पूरी तरह से असमहत…..