Dealing with Difficult Family Members – How to Deal with Difficult Family Members – रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए एक छोटा सा उसूल बनाते हैं, रोज कुछ अच्छा याद रखते हैं और कुछ बुरा भूल जाते हैं… मैंनें अपनी पिछली वीडियो में बताया था कि कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनसे दूरी बनाना ही सही है.. जिसमे अलग अलग 9 तरह के लोगो के बारे में बताया था… उस वीडियो पर बहुत सारे कमेंटस और मैसेज आए कि ऐसे लोग अगर हमारे घर परिवार में हो तो क्या करें… उनसे कैसे दूरी बनाए.. वो नेगेटिव भी हैं jealous करते हैं, बात बात पर criticize करते हैं.. आलसी होते है… गप्प भी मारते हैं.. !! तो यही सोच लिए मैं किचन में चली गई और सोचने लगी कि जो ऐसे हों उनके साथ कैसे डील करें ?? क्या क्या बातें अपनाई जानी चाहिए..
Dealing with Difficult Family Members – How to Deal with Difficult Family Members
किचन में धीमी आंच में सब्जी बन रही थी और बहुत अच्छी महक आ रही थी… मैंने क्या किया कि आंच तेज कर दी गैस की कि सब्जी जल्दी बन जाएगी तो मैं काम करने बैठ जाऊंगी.. तो क्या हुआ.. कुछ ही देर में मुझे जले जले की महक आने लगी.. और मैने ये भी महसूस किया कि सब्जी कच्ची भी है.. जब धीमी आंच थी तो क्या हुआ अच्छी तरह से सिक भी रही थी और बन भी रही थी पर तेक आंच करने पर जल भी गई और बनी भी नही तो मुझे पहले पोईंट का ख्याल आया कि रिश्तों की आंच भी तेज नही होनी चाहिए.. तेज आंच में रिश्ते अक्सर खराब हो जाते हैं यानि पेशेंस होनी चाहिए.. तो सबसे पहले तो यही बात की सब्र संयम होना चाहिए…
बहुत लोग कहते हैं कि हम में संयम नही है… तो मैं उन लोगो एक उदाहरण देना चाहूगी.. मान लीजिए आपका व्रत है… आपने सारा दिन कुछ नही खाना और पानी भी नही पीना.. घर पर कोई नही है फिर भी आप पानी नही पीती कुछ नही खाती ये ही संयम हैं… कि बस नही खाना… संयम एक ऐसा युद्द है जो अपने ही विरुद्द होता है.. और हम जीत कर ही बाहर निकलते हैं… तो अगर आप ये सोच रखते हैं कि संयम नही है तो संयम तो है… जरुरत है बस थोडा मैच्योर थोडा समझदार बनने की… !!
फिर दूसरी बात आती है हमारी सोच – कि आप क्या सोच रखते हैं कि रिश्तें कैसे बनें रहें?? मधुर या खराब?? यकीनन हमारा जवाब होगा मधुर.. हम सभी चाहते हैं . पर जरा दिल पर हाथ रख कर बताईए कि कि क्या मन में जरा भी नेगेटिविटी नही है… नही है तो बहुत अच्छी बात है पर अगर है तो.. पॉजिटिव सोच रखिए… अगर हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हम रिश्ते बेहतर बना सकते हैं..
फिर तीसरी बात आती है calm polite रहना है.. आप ये ही सोच रहे होंगें कि हम तो अच्छा ही बनाना चाहते हैं पर सामने वाला ही सही नही होता.. तो क्या सामने वाला सही नही हम अपने संस्कार भूल जाएगें.. नही ना.. हमें गिरना नही है. हमें अपनी decency शिष्टता नही खोनी.. flexible रहना है..
नर्म रहना है और हमारी जुबान से अच्छा और उदाहरण कहां मिल सकता है ?? 32 दांतों के बीच में सम्भल कर रहती है 32 दांत कठोर होते हैं वो टूट जाते हैं पर जुबान अंत तक बनी रहती है… तो नम्र रहना चाहिए और शांत रहना है
हमें अपनी बाऊंडरी सेट करनी है.. हमारी रेखा क्या है यानि हमें चाहे कुछ हो जाए संयम का साथ नही छोडना.. मिस बिहेव, अपशब्द हमें नही बोलने…
4. अब बात आती है कि जब सामने वाला कुछ कहें तो किस तरह से रिएक्ट करें…
पहली बात तो ये कि क्या वो हमेशा ऐसे ही हैं या कभी कभी कुछ गलत बोलते हैं..कभी कभी बोलते हैं तो वजह जानने की कोशिश कीजिए कि ऐसी क्या बात है जो उन्हें बार बार डिस्टर्ब करती है और वो उस तरह से रिएक्ट करते हैं…
आप उनसे पूछ सकते हैं help offer कर सकते हैं आप परिवार की बात करते हैं तो परिवार के दुख सुख सब एक ही होते हैं
फिर बात आती है कि नही उनकी nature ही ऐसी है वो हमेशा ऐसे ही रहते हैं हैं.. तो उनके साथ अलग तरह से रिएक्ट करना चाहिए..
जैसे.. मान लीजिए किसी ने कुछ कह दिया और आपको वो पसंद नही आया तो या उस समय बात का विषय बदल देना चाहिए.. या चुपचाप बिना कुछ बोले उस जगह से चले जाईए… बोल कर या मुंह बना कर नही जाना.. interaction limit में रखनी है…
आपने खुद को समझाना है कि मैं स्ट्रांग हूं और मैं कुछ गलत या नेगेटिव नही बोलूंगी क्योकि मुझे ऐसे संस्कार नही मिले हैं.. फिर घर में बच्चे भी है उन पर भी बुरा असर पड सकता है..
खुद को नार्मल करने के लिए पानी पी लिजिए या अपनी पसंद का टीवी सीरियल लगा लीजिए.. जो बात आपको रिलेक्स करती है वो करनी है.. ताकि ध्यान उस तरफ से हट जाए..
फिर भी वो अगर बात करनी ही पडे या जवाब देना ही पडे तो बिना अग्रेसिव हुए दीजिए.. अपनी तरफ से कोई question नही पूछना.. या करना.. अपना काम करते रहिए eye contact नही बनाईए इससे दूसरा समझ जाएगा कि अभी बात नही करना चाहती..
अगर वही बात बार बार हो रही है तो मान लीजिए कोई एक महिला के परिवार के बारे में कमेंट करता है.. मजाक बनाता है फिर अपनी बात साफ साफ कह दीजिए… नार्मल लहजे में कि आज आपने ऐसा कहा मुझे अच्छा नही लगा.. ताकि वो बात दुबारा करे ही ना..
अगर घर में कोई ऐसा भी हो जिससे आप सारी बात कह सके.. तो बहुत ही अच्छा है पर वो विश्वास के होने चाहिए ताकि कभी कभार वो बीच बचाव कर सकें.. जैसे मान लीजिए घर पर सास बहू और पति हैं.. सास बहु की नही बनती तो पति बीच बचाव कर सकते है और पति पत्नी का झगडा हो जाए तो सास बचाक करे या ससुर.. कोई न कोई ऐसा हो तो बहुत अच्छा है..
कुल मिलाकर रहना तो हमने परिवार के साथ ही है एक ही छ्त के नीचे रहना है तो कोशिश मन मुटाव खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए… एक अच्छा उदाहरण पेश करना चाहिए..
और magic words का इस्तेमाल करते रहना चाहिए जैसा कि गलती हो गई तो मान लीजिए.. किसी दूसरे से हो गई तो चलो कोई बात नही.. आगे से मत करना.. किसी ने मदद की तो थैक्स
कुछ अच्छा काम किया तो उन्हें appreciate कीजिए आज तो बहुत अच्छा काम किया… मैं आपकी केयर करती हूं.. मुझे आपकी चिंता है..
और अगर बात नही बन रही तो अपनी तरफ से नेगेटिव या कडवे बातें नही करनी चाहैए..
रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए एक छोटा सा उसूल बनाते हैं,
रोज कुछ अच्छा याद रखते हैं और कुछ बुरा भूल जाते हैं…
बदला लेकर नहीं खुद को बदल कर देखिये!
न तेरी शान कम होती न रुतबा घटा होता
जो गुस्से में कहा तूने वो हंस कर कहा होता..
Dealing with Difficult Family Members – How to Deal with Difficult Family Members