विदेश यात्रा
Net Neutrality
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Donate without compromising इंटरनेट के इस्तेमाल में सुविधा को लेकर सेवा प्रदाताओं द्वारा भेदभाव किए जाने के खिलाफ चल रही बहस के बीच आनलाइन खुदरा बाजार सेवा कंपनी फ्लिपकार्ट ने आज कहा कि वह एयरटेल की ‘एयरटेल जीरो’ सेवा से जुड़ने के लिए उस कंपनी के साथ बातचीत से हट रही है।फ्लिपकार्ट के एक प्रवक्ता ने कहा ‘हम एयरटेल के साथ उसके मंच एयरटेल जीरो के लिए मौजूदा चर्चा से बाहर निकल जाएंगे। हम भारत में नेट निरपेक्षता के वृहत्तर मुद्दे के प्रति प्रतिबद्ध होंगे।’ एयरटेल जीरो सेवा को नेट की निरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताते हुए ऐसी योजनाओं का विरोध किया जा रहा है।
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Media Bytes
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आज नेता लोग कोई भी मौका नही चूकते. बस कैमरे के आगे कुछ भी भडकाऊ बोल देंगें और जब लगेगा कि गलत है तो तुरंत sorry भी बोल देंगें … ऐसे मे नेता जी को कुत्ते ने काट लिया और दर्द से बिलबिलाने पर कुत्ते ने कहा आप लोग भी तो लोग बाईट देने मे तो एक्सपर्ट है पर जब हमने बाईट दी तो काहे बिलबिला रहे है बे !!!
Laughing Club
Mahila
Mahila
Mahila नामक कविता मैनें नारी जगत को प्रेरित करने के लिए लिखी है. असल में, हम महिलाए, अक्सर घबरा कर चुपचाप बैठ जाती है जबकि अगर हम हिम्मत , बहादुरी और दिलेरी से सामना करेंगें तो मुसीबत दुम दबाती नजर आएगी .. ऐसे तनाव भरे माहौल से महिलाओ को जागृत करने के लिए इसे लिखा है ….
बढती चल …
बढती चल तू कदम बढा. दुनिया मे अलग पहचान बना
कर हिम्मत मत सिर को झुका
संशय नही
अनूप तू, अपवाद तू
विराट तू और इष्ट तू
अविरल है तू रत्नाकर तू
उदगम है तू उन्मुक्त तू
उल्लास और उडान तू
चपल तू करिशमा तू
योग्य तू सरताज तू
ज्वलंत तू ,नियति है तू
परिवेक्ष का है साक्ष्य तू
यश तू प्रतिभा है तू
सहज तू सोम है तू
कर सुधा का पान तू
कर नव विहान का सूत्रपात
जन जागरुकता की ऐसी अलख जगा
बस बढती चल तू कदम बढा
दुनिया मे अलग पहचान बना.
Mahila आज के माहौल में महिला सशक्तिकरण की बात करने से पहले हमें इस सवाल का जवाब ढूंढना जरूरी है कि क्या सशक्तिकरण के जमानें में क्या वास्तव में महिलायें सशक्त हैं ?
इतिहास गवाह है कि मानव सभ्यता के विकास के साथ साथ “ताकतवर को ही अधिकार” मिला है। और धीरे-धीरे इसी सिद्धांत को अपनाकर पुरुष जाति ने अपने शारिरीक बनावट का फ़यदा उठाते हुऐ महिलाओं को दोयम दर्जे पर ला कर खड़ा कर दिया औऱ महिलाओं ने भी उसे अपना नसीब व नियति समझकर, स्वीकार कर लिया।
चाहे सीता हो या द्रौपदी तक को पुरुषवादी मानसिकता से दो-चार होना पड़ा. हर युग में पुरुष के वर्चस्व की कीमत औरतों ने चुकाई है या उसे चुकाने पर मजबूर होना पड़ा. आज के समय मेंसंयमी और आत्मविश्वासी बनने की बहुत अधिक आवश्यकता है और उनका मनोबल बढाने के लिए ये कविता लिखी है.
महिला (Mahila) कविता कैसी लगी ?? जरुर बताईएगा !!
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