Parenting Goals – क्यों जरूरी हैं Parenting Goals – Parenting Tips in Hindi – Monica Gupta – #MonicaGuptaVideos – बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए – बच्चों की परवरिश कैसे करें – पेरेंटिंग टिप्स बच्चों की परवरिश – परवरिश के तरीके – माता पिता की भूमिका – कल एक जानकार से मिली तो उन्होनें बताया कि नए साल पर उन्होनें Parenting Goal बनाया है जिसमे उनका लक्ष्य यही होगा कि हर रोज शाम को बच्चे के साथ एक घंटा बिताएगें और स्कूल की और दूसरी सारी बातें करेंगें..
Parenting Goals – क्यों जरूरी हैं Parenting Goals – Parenting Tips in Hindi –
वाकई मुझे अच्छा लगा कि चलिए इसी बहाने ही सही कम से कम पेरेंटस अपने बच्चों के साथ समय तो बिताएगें…
वैसे अगर Parenting Goals की बात करुं तो कुछ पेरेट्स जब नई क्लास नया सेशन शुरु होता है तब गोल बना लेते हैं कि पूरे साल वो कुछ बातों पर फ़ोलोअप करेंगें….
वैसे अलग अलग Goals होते हैं कुछ एक साल का बनाते हैं तो कुछ 6 महीने का तो कुछ सिर्फ 2 महीने का जब फाईनल पेपर शुरु होने वाले होते हैं
Parenting Goals बहुत जरुरी भी होता है… किसलिए जरुरी होता है
सबसे पहली बात तो बच्चे को फोकस मिलता है..
अगर पेरेंटस ये गोल बनाते हैं कि हर रोज बच्चे का क्लास वर्क और होम वर्क चैक करेंगें तो बच्चा भी सोचेगा कि उसे हर रोज क्लास में भी सही काम करना है और होमवर्क भी सही करना है जब मम्मी पापा मोनिटर करेंगें तो फर्क तो पडेगा ही… बच्चे को पता है पापा ने ये कॉपी देखनी है या ये होमवर्क पूछना है तो वो फोकस भी रखेगा
नियमित चैक रखेंगें तो पता लगता रहेगा कि बच्चे प्रोगरेस कैसी चल रही है.. कम है या सही है..
यानि जाने अनजाने एक उद्देश्य मिलता है..
मान लीजिए एक बच्चा रोज स्कूल जा रहा है बस.. जा रहा है वही उसके पेरेंटस का ये कहना है आपको क्लास में टॉप थ्री में आना है तो बच्चे को एक लक्ष्य मिल गया.. और वो उस दिशा में पढाई भी करेगा नही तो बस पास होना है और वो हो ही जाएगा.. पर अगर उसमें पोटेंशल है तो उसे आगे आना भी चाहिए…
बात पढाई की ही नही खेल या अन्य क्षेत्र में भी हो सकती है कुछ पेरेंटस खेल के प्रति अपना गोल बना लेते हैं मैदान में हर रोज लेकर जाना एक घंटा उसके साथ रहना भी बहुत बडी बात होती है उससे बच्चे के सपने को बल मिलता है कि जब पेरेंटस इतना एफर्ट कर रहे हैं तो उसे भी कुछ करके दिखाना है.
Responsibility की भावना पैदा होती है
जब पेरेंटस बच्चों की पढाई या दूसरे एक्टिविटी में ध्यान देते हैं तो बच्चे भी पूरा ध्यान देते हैं Responsible बनते हैं और वही आदत उन्हें सफलता की ओर ले जाती है…
फिर बात आती है कि बच्चे मोटिवेट होते हैं.. और अगर सफल हो जाते हैं तो उनका मनोबल और ज्यादा बढ जाता है और वो और अच्छा करके दिखाने के प्रयास मे रहते हैं.
बात सिर्फ पढाई की ही नही बल्कि इससे आपसी परिवार के रिश्ते भी मजबूत बनते हैं… बोंडिंग हो जाती है और घर का एक बहुत अच्छा माहौल बन जाता है.. quality time with the family के साथ बिताते हैं .. परिवार में एकता बढती है
पेरेंटिंग गोल्स अलग अलग होते हैं कोई ये कहते हैं कि एक घंटा समय बिताएगें
कोई ये कहते हैं कि वो हर शाम बच्चों को पार्क लेकर जाएगें और मिलकर खेलेगें
कोई ये कहते हैं कि हर पेरेंट डीचर मीटिग में जाएगें और बच्चे की रिपोर्ट लेंगें
कोई ये कहते हैं कि डिनर बच्चों के साथ ही मिलकर करेंगें…
बहुत पेरेंटस ऐसे होते हैं जो कह तो देते हैं और चार पांच दिन उस पर कायम भी रहते है पर फिर भूलते जाते हैं और गोल गोल ही बन जाते हैं जबकि ये बहुत जरुरी है…
अगर हम गोल्स बनाते हैं तो इस पर स्टिक भी रहना बहुत जरुरी है…. इसलिए अगर हम बच्चे का अच्छा भविष्य चाह्ते हैं कि बच्चे की परवरिश अच्छी हो, बच्चा सफल हो, स्किल सीखे तो अपने गोल जरुर बना लेने चाहिए..
क्या आपने बनाएं हैं ??