Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 16, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

एकादशी का व्रत , छ्बीलें और हमारी मानसिकता

एकादशी का व्रत , छ्बीलें और हमारी मानसिकता

आज एकादशी है और बाजार में खूब छ्बीलें लगी हुई हैं भाग भाग कर लोगो को पानी पिलाया जा रहा है बहुत अच्छी बात है पर जिस तरह से झूठे गिलास सडक पर बिखरे पडे थे … अच्छा नही लगा … अरे भई पानी पिलाओ  पर सडक के बीचों बीच खडे होकर जबरदस्ती से पानी पिलाना … कार रोक रोक कर पानी पिलाना … और भी कोई सफाई का ख्याल नही … चाहे शर्बत हो या ठंडाई सब पी कर गिलास सडक पर फेंक कर चलते बनते हैं …

पानी पिलाना वाकई में  पुण्य का काम है पर  सफाई से तो पिलाओ … सिर्फ अपनी खबर मीडिया में देने के लिए उतावले हुए जाना भी सही नही है छबील का पानी खत्म होते ही सब अपने अपने रास्ते … और रह जाते हैं जगह जगह पडे गिलास कुछ दिन तक सडक की शोभा बढाएगें..

ये कैसी मानसिकता है क्या गंदगी फैला कर हम धर्म कर्म को सार्थक बना सकते हैं.

how to do nirjala ekadashi vrat 2016

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष  की  एकादशी (16 जून 2016- गुरुवार ) निर्जला एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु भीषण गर्मी में बिना जल ग्रहण किए व्रत करेंगे।

निर्जला एकादशी का व्रत करने के लिये दशमी तिथि से ही व्रत के नियमों का पालन आरंभ हो जाता है। इस एकादशी में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।  इस दिन गौ दान करने का भी विशेष महत्व होता है। read more at patrika.com

water

(तस्वीर गूगल से साभार )

इतना ही नही कई बार कुछ कुछ लोग प्रशाद भी बांटते हैं और कई बार देखा है कि प्रशाद भी सडक पर गिरा होता है काला चना और रोटी  लोगो के पैर के नीचे आ रहे होते हैं ..

तीज त्योहार मनाना अच्छा है बहुत अच्छा है पर उसे सफाई से मनाना और भी ज्यादा सुखद है ..

एकादशी का व्रत , छ्बीलें और हमारी मानसिकता पर आपके क्या विचार हैं जरुर बताईएगा ..

July 6, 2015 By Monica Gupta

सादर चरण स्पर्श

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

सादर चरण स्पर्श – आज घर पर एक मित्र आए . उनके छोटे  से बच्चे ने बहुत शालीनता से झुक कर पैर छुए. सच जानिए बहुत अच्छा लगा. बच्चों में इस तरह के संस्कार जरुर देने चाहिए. पुराने ऐतिहासिक धारावाहिकों में भी अक्सर  ये देखने को मिल जाता है. कुछ लोग पाव छूने पर आशीर्वाद देते हैं और पीठ थपथपाते हैं तो कुछ रोक लेते हैं कि अरे नही नही … हम इतने बडे अभी नही हुए हैं..!!!

सादर चरण स्पर्श

वैसे मेरी एक जानकार थी वो पैर छूने पर बस मुहं से ही बोलती थी खुश रहो पर सिर पर हाथ नही रखती थी … बाद मे महसूस किया कि वो कभी भी किसी को सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद नही देती थी पर दूर से ही खुश रहो बोल देती थी. वैसे पहले समय की अगर बात करें तो कई लोग जब अपने से बडे को पत्र लिखते थे तो वो शुरुआत ही सादर चरण स्पर्श से करते थे.

हिंदू परंपराओं में से एक परंपरा है सभी उम्र में बड़े लोगों के पैर छुए जाते हैं। इसे बड़े लोगों का सम्मान करना समझा जाता है. उम्र में बड़े लोगों के पैर छूने की परंपरा काफी प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इससे आदर-सम्मान और प्रेम के भाव उत्पन्न होते हैं। साथ ही रिश्तों में प्रेम और विश्वास भी बढ़ता है। पैर छूने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही मौजूद हैं।

bow his head photo


जब भी कोई आपके पैर छुए तो सामान्यत: आशीर्वाद और शुभकामनाएं तो देना ही चाहिए, साथ भगवान का नाम भी लेना चाहिए। जब भी कोई आपके पैर छूता है तो इससे आपको दोष भी लगता है। इस दोष से मुक्ति के लिए भगवान
का नाम लेना चाहिए। भगवान का नाम लेने से पैर छूने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और आपके पुण्यों में बढ़ोतरी होती है।
आशीर्वाद देने से पैर छूने वाले व्यक्ति की समस्याएं समाप्त होती है, उम्र भी बढ़ती है।
किसी बड़े के पैर क्यों छुना चाहिए:-
पैर छुना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। यह एक विज्ञान है
जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमार अंदर उतर जाती है।

पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह
से पैर छुए जाते हैं। पहले झुककर पैर छूना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छूने से
कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले
स्ट्रेस से राहत मिलती है, तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है। इसके
अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छूना यानी उसके
प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म
होता है।

 

Rajasthan Patrika:secret of feet touching sanskar

जयपुर चरण स्पर्श व चरण वंदना को भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक माना जाता है। आत्मसमर्पण का यह भाव व्यक्ति आस्था और श्रद्धा से प्रकट करता है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चरण स्पर्श की यह क्रिया व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से पुष्ट करती है। यही कारण है कि गुरुओं, (अपने से वरिष्ठ) ब्राह्मणों और संत पुरुषों के अंगूठे की पूजन परिपाटी प्राचीनकाल से चली आ रही है।

यही कारण है कि गुरुओं, (अपने से वरिष्ठ) ब्राह्मणों और संत पुरुषों के अंगूठे की पूजन परिपाटी प्राचीनकाल से चली आ रही है।

इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए परवर्ती मंदिर मार्गी जैन धर्मावलंबियों में मूर्ति पूजा का यह विधान दक्षिण पैर के अंगूठे की पूजा से आरंभ करते हैं और वहां से चंदन लगाते हुए देव प्रतिमा के मस्तक तक पहुंचते हैं। rajasthanpatrika.patrika.com

कुछ भी कहिए पर चापलूसी से दूर होकर चरण स्पर्श आदर के साथ किया जाए तो सुखकर होता है …

सादर चरण स्पर्श … लेख आपको कैसा लगा !! जरुर बताईएगा !!

May 30, 2015 By Monica Gupta

गर्भावस्था के दौरान

मेरी पडोसन शीना गर्भवती थी. पडोस मे रहने की वजह से मेरी जिम्मेदारी बढ गई थी कि उसका ख्याल रखूं वैसे भी वो नव विवाहिता है शादी के बाद तीसरे महीने मे ही वो गर्भवती हो गई.  आज जब मैं उसके घर गई तो वो टीवी पर कोई हारर मूवी  देख रही थी. अरे !! … ये मत देखो बच्चे पर बुरा असर पड सकता है. उसने तुरंत टीवी बंद कर दिया. वाकई में, गर्भावस्था के दौरान  बहुत ध्यान देने की जरुरत होती है. बेशक टीवी चैनल ढेर सारे हैं और हमारा मंनोरंजन भी करते हैं पर इस बात का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए कि क्या देखें और क्या नही. मुझे याद है गीता(मेरी सहेली)  ने अपने समय बहुत धार्मिक किताबें पढी थी और रोज सुबह पूजा करती थी आज उसका बेटा 10 साल का है और वो हमेशा अच्छी किताबे पढने में ही लगा रहता है. एक अन्य सहेली सविता को चाय अच्छी नही लगती थी उसने चाय पीना बिल्कुल छोड दिया और आज देखो उसका बेटा 20 साल का हो गया नौकरी भी करने लगा पर आज तक उसने चाय का स्वाद नही लिया  जबकि मेरी सहेली ने बेटे को जन्म देते ही चाय पी और उसे बहुत स्वादिष्ट लगी. अच्छा साहित्य, साफ मन( चुगली चपाटी  नही) , स्वच्छ हवा से मन प्रसन्न रहता है और बच्चे पर इसका बहुत अच्छा असर पडता है

dont forget nine rules in pregnancy

दुनिया के सभी धर्म ग्रंथों ने रिश्तों में मां का दर्जा सबसे ऊंचा माना है। संतान की पहली गुरु मां होती है। वही उसे पालती है। उसकी गोद में बच्चा जो भाषा सीखता है उसे मातृभाषा कहा जाता है। हमारी सनातन संस्कृति में गौरीशंकर, सीताराम, राधेश्याम जैसे नाम रखने की परंपरा भी यह साबित करती है कि मां का स्थान दुनिया के और दस्तूरों से बड़ा और सबसे पहले है। ऋषियों, दार्शनिकों ने ग्रंथों में ऐसी कई बातों का उल्लेख किया है जिनका ध्यान गर्भवती महिला को रखना चाहिए, क्योंकि उसका उल्लंघन न सिर्फ बच्चे के लिए, बल्कि उसके लिए भी हानिकारक हो सकता है।

जानिए  ऐसी ही कुछ बातें- 1- गर्भावस्था में मल-मूत्र, अपानवायु, छींक, प्यास, भूख, नींद, खांसी, जम्हाई जैसे आवेगों को रोकना नहीं चाहिए। साधारण अवस्था में भी इन्हें रोकने से हानि होती है, इसलिए गर्भावस्था में इन्हें कभी नहीं रोकना चाहिए।2-  क्रोध न करें, अप्रिय बातें न सुनें, न करें। वाद-विवाद में न पड़ें। भयानक दृश्य, टीवी-सिनेमा के ऐसे कार्यक्रम जो डरावने हों, न देखें। तीव्र व तीखी ध्वनि उत्पन्न करने वाले स्थानों से दूर रहें।3- रात्रि को देर तक न जागें। सुबह देर तक न सोएं। दोपहर को थोड़ा विश्राम करें लेकिन बहुत गहरी नींद न लें।4- सख्त, पथरीले, टेढे़ स्थानों पर न बैठें। पर्वत, ऊंचे घर, लंबी सीढ़ियां, रेत के टीले पर न चढ़ें।5- बहुत चुस्त और गहरे रंग के वस्त्र न पहनें। इस दौरान अधिक आभूषण पहनना भी हानिकारक होता है।6- हमेशा करवट लेकर ही सोएं। करवट को समय-समय पर बदलें। घुटने मोड़कर, सीधे या उल्टे सोने से नुकसान हो सकता है।7- दुर्गंध वाले स्थानों, खट्टे खाद्य पदार्थ वाले वृक्षों, अत्यधिक धूप और पानी के सरोवर से दूर रहें।8- अनुभवी वैद्य या चिकित्सक की सलाह के बिना कोई औषधि न लें। जोर-जोर से सांस न लें। सांस को रोकने की कोशिश न करें।9- अपने इष्ट देव का ध्यान करें लेकिन लंबे उपवास न करें। अत्यधिक वात कारक, मिर्च-मसालेदार, बासी पदार्थ तथा मादक पदार्थों का सेवन कभी नहीं करना चाहिए  Read more…

इसी के साथ साथ …

स्ट्रेच मार्क्स पर ध्यान न दें जैसे-जैसे पेट का आकार बढ़ता है, उस पर स्ट्रेच लाइंस आती ही हैं। इस बात को स्वीकार करें और इन लाइंस पर अधिक ध्यान न दें। संपूर्ण आहार और विटामिन ई युक्त मॉइस्चराइजिंग लोशन या तेल लगाकर आप इन्हें कम कर सकती हैं। प्रतिदिन स्नान के बाद इस लोशन को लगाएं, क्योंकि इस समय त्वचा तेजी से नमी सोख सकती है।

त्वचा का खास ख्याल रखें
नौ महीनों के दौरान त्वचा और बालों का विशेष ख्याल रखें। एक चम्मच दही और बादाम तेल की कुछ बूंदों को मिलाएं। इसमें थोड़ा गुलाब जल डालें। इसे त्वचा पर मलें और कुछ देर सूखने के बाद धो दें। इससे त्वचा कोमल होती है। इसके अलावा 4 चम्मच क्रीम, 1-1 चम्मच बादाम तेल, खीरे का रस, शहद, गुलाब जल और नीबू का रस मिला लें। इसे छोटे से डिब्बे में रखकर फ्रिज में रख दें। इसे हर रात लगाएं और सुबह धो दें। इससे त्वचा में चमक बढ़ेगी।

सन्स्क्रीन का प्रयोग:
गर्भावस्था के दौरान त्वचा का काला पड़ना एक आम समस्या है। आपके चेहरे की रंगत फीकी पड़ सकती है, साथ ही पेट के आसपास के हिस्से में भी कालापन बढ़ने लगता है। यह मुख्य रूप से शरीर में मेलानिन पिग्मेंट के बढ़ने के कारण होता है। इस पर नियंत्रण रखने के लिए आप सन्स्क्रीन लोशन और स्क्रब लगा सकती हैं …

खूब पानी पीना,  हरी सब्जी खाना और व्यायाम के साथ साथ तनाव नही रखना पूरा ध्यान इस बात पर रहना चाहिए कि आपका बच्चा तंदुरुस्त हो और हां सबसे जरुरी बार तो बताना ही भूल गई स्माईल रहनी चाहिए आपके चेहरे पर ताकि बच्चा भी हमेशा मुस्कुराता रहे …  बाकि समय समय पर अपनी डाक्टर से जानकारी लेते रहिए और … और … और अपना ख्याल रखिएगा होने वाली मम्मी 🙂

 

Image via patrika.com

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