Unsafe Edibles मौसम सुहावना होता नही कि अचानक टिक्की, चाट पापडी, पकोडे समोसे आदि के लिए मचल जाते हैं. इतना ही नही बरसात के बाद छोटे मोटे स्टाल्स पर भी भारी भीड दिखाई देती हैं. इस खाने मे कोई बुराई नही पर बुराई है स्वच्छता न होने पर. मेरी एक सहेली बाजार का खाना समोसे टिक्की टाईप बहुत खाती है पर घर पैक करवा कर ले आती है . उसका कहना है कि वहां इतनी गंदगी मे खडे होकर खाना नामुमकिन है इसलिए आराम से घर के साफ माहौल मे खाती है.
Unsafe Edibles
उसकी इन बातों ने मुझे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया. जहां गंदगी होगी वहां कीटाणु होंगें और जहां कीटाणु होंगें वहां बीमारियां भी यकीनन होगी. ना जाने हम हम कितनी बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं और उससे भी बडी बात आती है प्रदूषित खाने की. हम घर में कितनी साफ सफाई रखते हैं पर क्या स्टाल और ठेले वाले भी अपने हाथ बार बार साफ करते होंगें. जो बाजार से सामान खरीद कर लाते होंगें क्या वो शुद्द होता होगा क्योकि अक्सर ज्यादा लाने के चक्कर में हम किसी न किसी बात से समझौता कर लेते है और और ….
64% of edibles sold in the open are adulterated
मैगी को सेहत के लिए हानिकारक बताते हुए भारत में बैन कर दिया गया है। मगर अहम सवाल है कि क्या भारत में बाकी खाने-पीने की चीजें सेफ हैं और क्या उनमें मिलावट नहीं होती। सर्वे रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में खुले में जितनी चीजें बिकती हैं, उनमें करीब 64 प्रतिशत खाने-पीने की चीजों में मिलावट होती है। इसको रोकने के लिए ना तो सरकार के पास कोई ठोस नीति है और ना ही कानून, जिसके तहत आरोपियों को कड़ी सजा दी जा सके। मार्केट में बिकने वाले फल और सब्जियों में भी हानिकारक तत्व!मिलती-जुलती खबरेंजल्द लाएंगे सुरक्षित स्वदेशी मैगी: बाबा रामदेवनेस्ले ने हटाई मैगी, कहा- जल्द होगी वापसीइन्फोग्रैफिक: आखिर क्यों ‘बेहाल’ हुई मैगी?’खुलासा मैंने किया, पर क्रेडिट बॉस ले गया’प. बंगाल में मैगी पर रोक नहीं लगाएंगी ममता कई खाद्य चीजों में तो हानिकारक केमिकल तक मिलाया जाता है। इनमें दूध, खाद्य तेल, दाल और सब्जियां शामिल हैं। मार्केट सर्वे एजेंसी विनायक रिसर्च और इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम के अलग-अलग सर्वे में यह बात सामने आई है। विनायक रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में हाल में किए गए खाद्य वस्तुओं की जांच में पाया गया कि 60 से 65 फीसदी खुले खाने-पीने के तेल में बड़े पैमाने पर मिलावट होती है। दूध में भी कई बार हानिकारक केमिकल्स मिलाए जाते हैं इसके अलावा बड़ौदा की एक यूनिवर्सिटी की जांच में दाल और सब्जियों के सैंपल में आर्सेनिक मिला था। यह एक ऐसा केमिकल है, जिससे कैंसर भी हो सकता है। इसके अलावा यूपी में हुई एक जांच में सैंपल के 28 फीसदी अंडों में ई-कोलाई बैक्टीरिया पाया गया था। इससे पेट में इन्फेक्शन हो जाता है। दूध भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। दूध में कई बार अडल्ट्रेशन की शिकायत सामने आई है। देशभर से मिले करीब 1700 दूध सैंपल में 69 फीसदी दूध के सैंपल भारतीय मानकों के हिसाब से सुरक्षित नहीं थे। मिलाए जाते हैं केमिकल्स विनायक इंक के प्रमुख विजय सिंह का कहना है कि हमारी स्टडी में सामने आया है कि दाल, सब्जियां व फलों में इस तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं, जिससे यह ज्यादा बढ़े। सरकार के पास ऐसी कोई मशीनरी नहीं हैं जिससे इसकी जांच हो। क्योंकि वस्तुएं सीधे तौर रिटेल मार्केट में पहुंचाई जाती हैं और फिर रिटेल मार्केट में उसको भेजा जाता है। एसोचैम का कहना है कि भारत में मिलावट और जमाखोरी रोकने के लिए कानून तो है, मगर वे इतने प्रभावशाली नहीं हैं, जो ऐसे लोगों में खौफ पैदा करें। एसोचैम के डायेक्टर जनरल डी.एस. रावत के अनुसार खुले तौर पर जो खाद्य वस्तुएं बिकती हैं, उसको लेकर आम आदमी के मन में आशंका रहती है। यह इस बात को दर्शाता है कि मिलावट को रोकने के लिए अभी तक पर्याप्त कदम उठाए नहीं गए हैं। Read more…
Unsafe Edibles बेशक, मैगी मॆ जानलेवा मिलावट होती है पर स्टाल पर गंदगी, अस्वच्छता और प्रदूषित पानी भी कम जानलेवा नही… !!! जरा सोच कर कही डाक्टर के पास न भागना पड जाए