Monica Gupta

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September 1, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Thalassemia diseases and Awareness

Thalassemia क्या है और क्या इससे बचा जा सकता है

Thalassemia diseases and Awareness .थैलासीमिया दो प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थेलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थेलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है किन्तु पालकों में से एक ही में माइनर थेलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता। यदि माता-पिता दोनों को माइनर रोग है तब भी बच्चे को यह रोग होने के २5 प्रतिशत संभावना है।

 

blood

थैलेसीमिया का इलाज और  हमारी जागरूकता

Thalassemia diseases and Awareness के लिए बेहद जरुरी  है कि शादी से पहले जैसे कुंडली मिलाई जाती है. वैसे ही दोनो का रक्त का भी मिलान होना चाहिए.विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपनी जाँच करा लें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत देश में हर वर्ष सात से दस हजार थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों का जन्म होता है।

आपको बधाई हो ।  अब आप यह सोच रहे होगे कि बधाई किस बात की तो मै बताना चाहूगी कि बधाई इस बात की कि वाकई मे आप बहुत अच्छे इंसान है। आप निश्चित तौर पर दूसरे के दुख को देख कर दुखी हो जाते है और दूसरे के सुख को देख कर आपको असीम खुशी मिलती है. आप भी देश और समाज की भलाई  के लिए कुछ करना चाहते है ।

कुछ योगदान देना चाहते है , हाँ ,वो अलग बात है कि आपको ज्यादा मौका नही मिलता इसलिए जहां भी आपको कोई  मौका मिलता है वही आप भी भीड का हिस्सा बन जाते है और बढ चढ कर योगदान देते है पर कई बार आपको  महसूस होता है कि काश आप भीड का हिस्सा ना होकर  खुद ही अपने दम पर ऐसी लहर चलाते कि बदलाव आ जाए। इस बात के लिए पुनः बधाई क्योकि  बहुत कम लोग ऐसे होते है जो ऐसी सोच रखते है । ऐसा जज्बा आपके भीतर है तो उस को सलाम  ।

वैसे आप ही जैसे बहुत कम लोग हैं जो चुपचाप  निस्वार्थ  भावना से समाज सेवा के काम में जुटे हुए है ना उन्हे मतलब है कि वो ब्रेकिंग न्यूज बने और ना ही सुर्खियो मे आए। शीनम अपने की दम पर कन्या भ्रूण हत्या Female foeticide in India के प्रति लोगोें को जागरूकता करने मे जुटी है ।

वही एक स्कूली बच्चा मोहित जहां सडक टूटी  देखता है वही बोर्ड लगा देता है ताकि वाहन चालकों को दिक्कत ना हो । वही एक बुजुर्ग भागीरथ जी है वो अपने ही बल पर गंगा को साफ करने मे जुटे  हैं पता है कैसे असल में, वो जो नदी का पानी गंगा मे जा कर मिलता है वहा पानी के बीच मे पत्थर गिरा देते है उससे मोटा कूडा जैसा कि पोलेथिन,कचरा आदि उसमें अड जाता है  और फिर वो उस कूडे को बाहर फेक कर दूसरी जगह पत्थर लगाते है और अपने बल पर प्रयास यही है कि कूडा, कचरा गंगा मैया मे ना जाए।

वही  गीतम गरीब बच्चो की पढाई का खर्च उठा रहें है और सर्दी मे उन्हे कंबल आदि भी दान मे देते रहतेे हेै. रवि हर तीन महीने में रक्तदान देते है  ताकि किसी ना किसी की जिंदगी बचा सकें अभी तक वो 66 बार रक्तदान कर चुके है।

वही दूसरी side एक शक्स है जिन्हे जब से पता चला कि साईप्रेस देश में थैलीसीमिया की मात्रा जागरूकता से वहां इसकी संभावना शून्य स्तर तक आ गई है बस तभी से सोच लिया कि अपने देश में वो भी थैलीसीमिया के प्रति देश में जागरूकता लाएगे  और यहा भी इसे शून्य के स्तर तक ले जाएगे भले ही प्रयास छोटे स्तर पर है पर प्रयास तो है।

बात की तह तक गये तो जाना कि थैलीसीमिया  एक घातक बीमारी है । जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन नहीं बनता और रक्त की अत्यधिक कमी हो जाती है । ऐसे में इस रोग से पीडित व्यक्ति की जान भी चली जाती है । साथ ही साथ यह भी जाना कि अगर इस अनुवांशिक  रोग की जगरूकता दिखाने से यह राग जड से खत्म किया जा सकता है तो वो क्यो ना उसका कैरियर यानि संवाहक ही बना जाए ताकि लोगों की अज्ञानता दूर कर सके।

वैसे शुरू में इसकी  ज्यादा  जानकारी नही थी पर रक्तदान के दौरान इस बीमारी का नाम जरूर सुना था। धीरे-धीरे जानते गए कि हमारे देश में लगभग 3 करोड लोग थैलीसीमिया  कैरियर है और लगभग अज्ञानता  स्वरूप 10 हजार थैलीसीमिया ग्रस्ति बच्चे हर साल जन्म लेते हैै । इस रोग से पीडित  मरीज के षरीर में खून की कमी हो जाती है।

शरीर में हीमोग्लोबिन जरूरत का आधा भी नही बनता । इस कारण  आयु के अनुसार शरीर का न बढना,जिगर ,तिल्ली व हृदय के आकार का बढ  जाना और मरीज की मौत तक हो जाती है । इस रोग का इलाज काफी महंगा है । उतर भारत में यह रोग अधिक जड़ जमा रहा है मरीज को प्रत्येक  दो से चार सप्ताह में रक्त चढाना होता है । वही 20 से 50 हजार रूपये तक की दवाइयाँ खानी होती है और तो और बोनमैरो  ट्रांसप्लांट करने पर आमतौर पर इस रोग से छुटकारा मिल जाता है । लेकिन यह ना सिर्फ बहुत जोखिम भरा है बल्कि  इसका खर्च  लाखों में आता है और इतना खर्चा करना हर व्यक्ति के बस में भी नही है । इसलिए आम आदमी हर महीने दुखी और परेशान होकर रक्त ही चढवाता रह जाता है । कुल मिलाकर अगर जरा सी जागरूकता बरती जाए तो सभी दिक्कतो और मुसीबतो का सामना करने से बच सकते है । अगर आप जागरुक हैं और शादी से पहले इसका मिलान भी करवाना जरुरी समझतें हैं तो आपको बधाई हो..

असल में, जागरूकता बस इसी बात की है कि शादी से पहले जैसे कुंडली मिलाई जाती है। वैसे ही दोनो का रक्त का भी मिलान होना चाहिए।

थैलीसीमिया  अनुवांशिक रोग है प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में थैलीसीमिया के दो जीन होते है । एक माइनर व दूसरा मेजर , शादी के वक्त जोडे की इलेक्ट्रोफोरेसिस नामक मशीन से थैलीसीमिया जांच जरूर की जानी चाहिए । यदि लड़के-लड़की में थैलीसीमिक माइनर है तो उनके होने वाले बच्चों में थैलीसीमिक मेजर होने की पूरी आशंका होती है  यानि कैरियर की टेस्टिंग के दौरान अगर दोनो मे से स्वस्थ है और दूसरा कैरियर तो दोनो की शादी में कोई अडचन नही पर भगवान ना करे कि अगर महिला और पुरूश दोनो में ही इसके कैरियर पाए जाते है तो उनके खुशहाल भविश्य के लिए यही सही रहेगा कि वो शादी बिल्कुल ना करे। ऐसे मे उनकी संतान के थैलीसीमिया ग्रस्त होने की पूरी सम्भावनाए रहती है.

थैलेसीमिया और सफलता की कहानी – Monica Gupta

थैलेसीमिया और सफलता की कहानी Blood donation, रक्तदान , रक्तदाता या स्वैच्छिक रक्तदान  की जब भी करते हैं तो thalassemia का जिक्र जरुर आता है. थैलेसीमिया एक आनुवशिक रक्त विकार है। इस रोग में रोगी के शरीर में हीमोग्लोबिन सामान्य स्तर से कम हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन का सुचारु रूप से सचार करने के … Read more…

 

वैसे आपके क्या विचार हैं इस बारें में जरुर बताईएगा …

(तस्वीर ग़ूगल से साभार)

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