वो बच्चा …
That kid
कुछ दिन पहले दोपहर मे दरवाजे पर घंटी बजी. इतनी गर्मी में कौन आया होगा सोच कर मैं दरवाजा खोलने गई तो देख दस बारह साल का एक बच्चा थैला लिए खडा था बोला आंटी जी धूप, अगरबत्ती लाया हूं ले लीजिए … मुझे शक हुआ कि भरी धूप में किसलिए … कही उसके साथ कोई गिरोह न हो …मैने बहुत मना किया कि नही लेनी पर फिर भी छोटा बच्चा जान कर 20 रुपए की अगरबती ले ली. दो दिन पहले फिर घर की बैल बजी. बाहर गई तो वही बच्चा था. उसने फिर खरीदने के लिए जोर दिया उसने बताया कि उसके पिता शराब पीते हैं और मां घरों मे काम करती है और कमाई का कोई जरिया नही … मना करते करते भी मैने इस बार 30 रुपए की धूप और अगर बती खरीद ली. पर मन में बार बार एक ही बात आ रही थी कि ऐसे लोगों की बात में कोई सच्चाई नही होती ..
आज किसी काम से भरी दोपहर में मार्किट जाना पडा, ट्रैफिक की वजह से कार रेंग रेंग कर चल रही थी अचानक मेरा ध्यान एक दुकान पर गया. वही बच्चा वही थैला अगरबती बेच रहा था. आवाज तो सुनाई नही दे रही थी पर उसके हाव भाव से लग रहा था कि वो मिन्नत कर रहा है कि दुकान दार खरीद ले और कुछ ही देर में वो पसीना पोछता चुपचाप सिर झुका बाहर आ गया. सामने का रास्ता साफ हो गया था इसलिए मेरी कार भी आगे बढ गई. रास्ता साफ था पर मेरे मन मे बहुत उथल पुथल चल रही थी.
बेचारा सच्चा था पर मैने विश्वास नही किया शायद इसलिए कि समाज मे बुराई इतनी बढ गई है और हम उसमे इतने उलझ गए है कि सच्चाई और अच्छाई हमें दिखाई नही नही देती.. दिखाई देती भी है तो हमारा दिल उसे नही मानता
पर अब मुझे उसी बच्चे का इंतजार है वो आएगा तो मैं उससे खूब सारी धूप और अगरबती खरीदूगी …
That kid