आँखों देखा झूठ भी हो सकता है – अक्सर हम सोचते हैं कि आखों देखा सच ही होता है पर कई बार आखों देखा झूठ या गलत भी हो सकता है यानि कई बार हम जो देखते हैं वो सब सच नही होता..
आँखों देखा झूठ भी हो सकता है
बात् कुछ दिन पहले की है पर शेयर मैं आपसे आज कर रही हूं कई बार हम जो देखते हैं वो सच नही होता … पहले मै भी यही सोचती थी कि जो देखा वही सच होता है कुछ ऐसा हुआ कि लगने लगा कि किसी बात पर फैसला या निणर्य लेने से पहले उसकी जांच जरुर कर लेनी चाहिए …
असल में मेरी सहेली मणि ने बताया कि वो अपने पडोस वाली आंटी से नाराज है क्योकि दो तीन दिन से जब भी वो स्माईल देती है वो जवाब ही नही दे रहीं इसलिए … अब वो उनसे कभी बात नही करेगी मैने मणि से पूछा कि क्या कोई बात हुई तो वो बोली कि उससे तो कोई बात हुई नही.. तो मैने कहा कि फिर ऐसे मत करो और हम उनके घर गए …
आंटी बहुत प्यार से मिले हम दोनों से और उन्होने बताया कि आजकल उनकी आखें बहुत कमजोर हो गई हैं … नजर कम आता है … वजह हमें पता चल गई थी … तो हम कुछ देर बैठ कर बात करके वापिस घर आ गए … मणि भी बहुत खुश हुई कि कोई बात ही नही थी और उसने बात का बतगंड बना दिया था… फिर उसने मुझसे कहा कि मैं इतनी कोंफिडेट कैसे थी …
तो मैने बताया कि मेरे साथ भी कुछ ऐसा हुआ कि मुझे लगा कि हर देखी भाली चीज सच नही होती … उसकी गहराई तक जरुर जाना चाहिए
ऐसा भी होता है
मणि को बताया कि बात कुछ महीने पहले की है जब मैं सुबह शाम पौधो को पानी देती थी तो घर के सामने से कुछ कॉलिज के लडके जाया करते और अक्सर शोर मचाते भागते और क्या बोलते थे कि …
अरे देख खडी है क्या वो कही चली तो नही गई …
यार मैं क्या करुगा … कल भी नही मिली थी वो …
पहले तो मुझे समझ नही आया पर जब समझ आया कि कॉलिज के लडके हैं और लडकियों के लिए बात करते हैं … मुझे बहुत गुस्सा आता कि पढने की उम्र है और आवारा गर्दी करते हैं ये करीब मैं एक हफ्ते तक देखती रही कि …
देख यार खडी है ना और हंसते भागते चिल्लाते भागते चले जाते … मनि चुपचाप मेरी बात सुन रही थी … पहले मैने सोचा कि पुलिस को शिकायत करती हूं पर क्योकि मैं रिपोर्टर भी रही हूं तो सोचा कि क्यू ना पहले खुद ही तहकीकात करती हूं
और रंगें हाथ पकडवाऊगी एक दिन जब उनके लौटने का समय था तो मैं चुपचाप उनके पीछे हो गई … वो वैसे ही मस्ती मे बाते करते चिल्लाते जा रहे थे… हाथों में किताबें थी …
तभी मैने देखा कि एक चिलाया अरे वो खडी है जल्दी आ … नही तो चली जाएगी … मैं और आगे गई तो देखा वो बस थी प्राईवेट बस … दो लडके बात कर रहे थे कि अगर दो और आ जाए तो गांव से पढने वाले बच्चे भी ज्यादा हो जाएं पर बस हैं ही नही … एक मुश्किल से मिलती है … तब मैं सोचने लगी कि मैं कितनी गलत थी…
बस तभी से सोच लिया था कि हर चीज जो हम देखते हैं सच नही होती …
इसलिए किसी निर्णय पर पहुचने से पहले हकीकत जांच लेनी चाहिए … अगर आप भी किसी के बारे में कोई राय बना चुके हैं तो एक बार …
Dear Parents Your Kind Attention Please – Monica Gupta
Dear Parents Your Kind Attention Please- परीक्षा की तैयारी के दौरान माता पिता यानि पेरेंटस यानि अविभावक ध्यान दें कि बच्चों के लिए परीक्षा के कठिन दिन से Dear Parents Your Kind Attention Please – Monica Gupta
आँखों देखा झूठ भी हो सकता है –
Leave a Reply