नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता .. नशे के कितने नाम हैं … नशाखोरी , युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति , युवाओं में नशे की लत , नशाखोरी और देश का युवा , नशाखोरी के दुष्परिणाम , नशे की लत , नशे की गिरफ्त में , सिगरेट पीने से लाभ , सिगरेट के नुकसान,nashe ki chahat , नशा कैसे छोङे – सिगरेट पीने से लाभ नही होता आदि आदि … पर सोचने वाली बात ये है कि हम कितना जागरुक है इसे लेकर …
नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता
कल मैं फेसबुक देख रही थी कि अचानक एक पोस्ट पर ध्यान चला गया … पोस्ट में एक प्यारी सी बच्ची की तस्वीर थी और उसमे लिखा था कि ” मेरे पापा ने कहा है कि अगर इस फोटो को एक हजार लाईक मिले तो वो सिग्रेट पीना छोड देंगें. हैरानी तो हुई पर अच्छा ये लगा कि लगभग 900 से ज्यादा लाईक मिल चुके थे.
मैने भी तुरंत लाईक कर दिया. पता नही पर उसके बाद वो पोस्ट दुबारा तो दिखाई नही दी क्या हुआ होगा क्या नही ये तो पता नही पर दुख होता है जब लोग नशा करते हैं ये नही सोचते कि उनके परिवार वालो पर क्या बीतती है बस बहाने लगाते हैं कल छोड देंगें परसों छोड देंगें पर …
मेरे एक जानकार भी बहुत स्मोक करते हैं जिससे उनके परिवार वाले बहुत गुस्सा हैं और वो हर बार अपना टारगेट रख लेते है साल के शुरु में उन्होने कहा था कि बस कि बस होली के बाद कभी नही लूंगा…
फिर राखी पर बात आती है फिर दीपावली पर और फिर नए साल पर … साल दर साल गुजरते जा रहे हैं पर छोड ही नही रहे …. वैसे इस सिचूएशन पर हमेशा मुझे एक बात याद आती है …
कि एक आदमी ने पेड पकडा हुआ और जोर जोर से चिल्ला रहा कि बचाओ पेड ने मुझे पकड रखा है .. जो देखता हंसता कि भई पेड क्या पकडेगा. तूने ही पेड को पकडा हुआ है.
हमारे जानकार भी हालत भी ऐसी ही है. सिग्रेट को पकडा उन्होनें हुआ है और चिल्ला रहे हैं कि बचाओ सिग्रेट ने उन्हें पकडा हुआ है … वैसे नशा कोई भी हो बुरा ही होता है इसलिए जरुरत बस किसी बहाने की या कल परसो की नही आज और अभी छोडने की होनी चाहिए …वैसे इसी बात पर एक कहानी भी पढी थी …
नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता
एक कहानी नशे की लत पर …
एक गांव में बहुत अमीर आदमी था वो अपने बेटे की बुरी आदतों से बहुत परेशान था। वो जब भी अपने बेटे से बुरी आदतों को छोड़ने के लिए कहता तो उसको एक ही जवाब मिलता “पिता जी कल से छोड दूंगा या परसो से छोड दूंगा पर अपनी बुरी आदतों को छोड ही नही रहा था।
उन्ही दिनों उनके गांव में जाने -माने एक महात्मा आए हुए थे। जब उस व्यापारी को उस महात्मा से अपने बेटे की बुरी आदतों के बारे में सब महात्मा को बता दिया। महात्मा ने व्यापारी की बात को बड़े ही ध्यान से सुना और उसने अपने बेटे को कल उसके पास लेकर आने के लिए कहा।
महात्मा उसके लड़के को नजदीक के ही बगीचे में लेकर चले गए। दोनों बगीचे में धीर -धीरे चल रहे थे। अचानक महात्मा रुके और उसने लड़के से कहा क्या तुम इस बगीचे से इस छोटे से पौधे को उखाड़ सकते हो ? जी महात्मा जी इसमें कौन सी बड़ी बात है यह तो बड़ा ही आसान काम है। लडके ने बड़ी आसानी से उस छोटे से पौधे को जड़ से उखाड़ दिया।
आगेचलकर वो एक पेड उखाडने को कहते हैं इस पर लडका बोलता है कि पेड उखाडना … असम्भव है … इस पर महात्मा बोलते हैं कि ऐसा ही हमारी अपनाई बुरी आदतों के साथ होता है जब यह नयी होती हैं तो हम इन्हें थोड़े प्रयास के साथ छोड़ सकते हैं पर जैसे ही यह पुरानी होने लगती हैं इन्हें छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है हमें इनकी लत लग जाती है।
इसलिए आज और अभी …
असल में , हर उस काम को कर सकते हैं जिसे हम वाकई में करना चाह्ते हैं … .. बस !!
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समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी -पहले समय में घडी किसी के पास नही होती थी पर समय सभी के पास होता था और आज घडी सभी के पास है पर वक्त … बस वक्त ही नही है…. समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी – Monica Gupta
नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता के बारे में आपका क्या विचार है…
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