लेखिका रुप में मेरा अनुभव
अपने 26 साल के लेखन के अनुभव को 6 मिनट में वीडियों में दिखाने का प्रयास किया है..बेशक, लेखन चंद मिंंनट की वीडियों में दिखाना बहुत मुश्किल था क्योकि लेखक का हर लेख बहुत प्रिय होता है अगर सभी लेख लेती तो वीडियों बहुत लम्बी बन जाती इसलिए बहुत कम में अपना सफर बताने की कोशिश की है… बताईएगा जरुर कि आपको, मेरे द्वारा बनाया गया ये वीडियों कैसा लगा
नमस्कार
हरियाणा के सिरसा में रहती हूं और लेखन में लगभग 26 साल से सक्रिय हूं. वैसे देखा जाए तो लेखन का बचपन से ही शौक था बहुत कहानियां भी लिखी थी पर ये समझ नही थी कि कहां भेजे और कैसे भेजे इसलिए प्रकाशित भी नही हुई.
बात सन 1989 ,गाजियाबाद( यूपी) की है. एक दिन अचानक बैठे बैठे विचार आया और कहानी लिख दी इतना ही नही उसे उसी समय सांध्य समाचार पत्र में दे आई. उसी शाम वो कहानी सचित्र प्रकाशित हो गई. बस उस दिन ऐसा हौंसला मिला कि लगातार लेखनी चल रही है.
जाने माने राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं जैसा कि “दैनिक भास्कर”, “राजस्थान पत्रिका”, “दैनिक जागरण”, “दैनिक ट्रिब्यून”, “दैनिक नव ज्योति”, “पंजाब केसरी”, आदि अखबारों के साथ-साथ “लोटपोट”, “चंपक,” “बालहंस”, “बालभारती”, “नन्हें सम्राट”, “नैशनल बुक ट्रस्ट” की “न्यूज़ बुलेटिन” आदि में लेख, कहानी एवं प्रेरक प्रसंग नियमित रूप से छपते रहे ।
“दिल्ली सिटी केबल” में अनेंको कार्यक्रम जैसे “हम मतवाले नौजवान” आदि के स्क्रीप्ट लेखन के साथ साथ जिंगल्स और वायस ओवर भी किया. “भास्कर टीवी” जयपुर में भी अनेंक कार्यक्रमों की स्क्रीप्ट लिखी और जयपुर आकाशवाणी के कई प्रोग्राम में न सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि महिला जगत की एकंरिंग भी की है। आकाशवाणी में उदघोषिका के रुप मे भी कार्य किया. इसके इलावा दूरदर्शन जयपुर मे “कुछ जानी अनजानी” कार्यक्रम की स्क्रिप्ट भी लिखी. जिसमे जानी मानी हस्तियों से साक्षात्कार लिए थे.
आकाशवाणी रोहतक व जयपुर से मेरे लिखे नाटक, क्षणिका एवं झलकियां प्रसारित होते रहे. सिरसा मे लोकल केबल पर बच्चों के ढेरों कार्यक्रम बनाए. बच्चो के अति उत्साह को देखते हुए “सैमसन क्रिएश्सन” आरम्भ की जिसमें बच्चों की वीडियों रिकार्डिग करके कार्यक्रम बनाते और केबल पर दिखाए जाते. इसके इलावा महिलाओं के कार्यक्रम तथा अन्य प्रेरित करने वाली सोशल डोक्यूमैंट्री भी बनाई.
इसी बीच जब से सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा तभी से न सिर्फ लेखन में और ज्यादा सक्रिय हो गई बल्कि अपनी अभिव्यक्ति के लिए कार्टून भी बनाने लगी. धीरे धीरे कार्टून “दैनिक जागरण “ मुद्दा के तहत मे छपने लगे और लगभग डेढ साल तक नियमित छपते रहे. पिछ्ले दस साल से राष्ट्रीय स्तर के चैनल “ज़ी न्यूज” के साथ संवाददाता के रुप में जुडी रही.
“दैनिक नवज्योति”, जयपुर से लगातार तीन साल तक रविवारीय में, “दीदी की चिठ्ठी” प्रकाशित होती रही.”नन्हें सम्राट” में बाल उपन्यास “ वो तीस दिन “ को धारावाहिक के रुप मे प्रकाशित कर रहा है. “नव भारत टाईम्स” आनलाईन में ब्लाग है. अभी तक सात किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और कार्य निरन्तर जारी है.
“मैं हूं मणि’ को 2009 में” हरियाणा साहित्य अकादमी” की तरफ से बाल साहित्य पुरस्कार मिला। इस पुस्तक में मणि के बचपन की कुछ कहानियां हैं. जिसमे शरारत है. मासूमियत है जिद्दीपना है और बहुत सारा प्यार छिपा है. ‘समय ही नहीं मिलता’ नाटक संग्रह है जिसे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से अनुदान मिला। ये वो नाटक हैं जिनका प्रसारण आकाशवाणी जयपुर और रोहतक से हो चुका है.
‘अब तक 35’ व्यंग्य संग्रह है।राष्ट्रीय समाचार पत्रों जैसाकि दैनिक भास्कर में “राग दरबारी” एक कालम छ्पता था जिसमॆ ये व्यंग्य प्रकाशित हुए. इसके इलावा “मधुरिमा” व अन्य पत्रिकाओं में भी व्यंग्य प्रकाशित हुए उनमे से ये किताब कुछ चुनींदा व्यग्यों का सकंलन है.
‘स्वच्छता एक अहसास’ सामाजिक मूल्यों पर आधारित किताब है। खुले मे शौच जाने की सोच किस तरह बदली और लोगो ने शौचालय बनवाए उसी पर यह प्रेरित करती किताब है.
‘काकी कहे कहानी’ बाल पुस्तक है जो ‘नैशनल बुक ट्रस्ट’ से प्रकाशित हुई है। काकी बच्चे को कहानी सुनाती है पर बच्चा पढाई की वजह से कहानी सुनने मे शौक नही रखता पर जब कहानी सुनना शुरु करता है तो काकी के पीछे ही पड जाता है कि और कहानी सुनाओ पर फिर काकी कहानी से तौबा कर लेती है.
‘अब मुश्किल नहीं कुछ भी’ को भी “हरियाणा साहित्य अकादमी” की तरफ से अनुदान मिला है। इसमें जानी मानी दस शख्सियतें हैं उनका बचपन कैसा था और साधारण परिवार से होते हुए भी आज किस मुकाम पर पहुंचे हैं “अब मुश्किल नही कुछ भी “उनके बारे में बताता है.
‘वो तीस दिन’ बाल उपन्यास ,नैशनल बुक ट्रस्ट के नेहरू बाल पुस्तकालय की ओर से प्रकाशित हुआ है। “वो तीस दिन” उपन्यास की कहानी दसवीं में पढने वाली जिद्दी, शरारती लडकी मणि की है जिसकी हाल ही में बोर्ड परीक्षा समाप्त हुई है और अब वो कुछ दिन पढाई से दूर मौज मस्ती में रहना चाहती है पर उन तीस दिनों में कुछ ऐसा होता है कि उसकी सोच में बदलाव आ जाता है. इस उपन्यास में हंसी मजाक, प्रेरक प्रसंग, पहेलियां, चुटकुले, और भी बहुत कुछ है जिससे बच्चे सीख सकते हैं और बहुत अच्छे इंसान बन सकते हैं….
फिलहाल बहुत जल्द स्वच्छता पर एक अन्य किताब प्रकाशित होने वाली है और लघु कथाओं पर कार्य चल रहा है…
सफर जारी है
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