जिंदगी का सच ये भी है – खट्टे मीठे अनुभव – Zindagi Ka Sach Yeh bhi hai . जिंदगी में अक्सर कडवे अनुभवो के साथ साथ खट्टे मीठे अनुभव भी होते रहते हैं… कई बार हम झेंप जातें हैं सिर खुजलाने लगते हैं और हम कह उठते हैं … हे भगवान !!
जिंदगी का सच ये भी है – खट्टे मीठे अनुभव
कुछ ऐसा ही खट्टा मीठा अनुभव मेरे साथ हुआ … कल मैं अपनी सहेली के घर गई वहां बहुत तनाव का माहौल था … असल में उसकी मम्मी का चश्मा नही मिल रहा था और पूरा घर हिला डाला … मेरी सहेली आराम से चाय बना रही थी और उसकी सास परेशान थी … मैंनें कहा कि आप आराम से बैठ कर सोचिए कि चश्मा कहां रखा था ..
उन्हें बैठाया और मैं उनके लिए पानी लेने गई और फ्रिज खोला तो चश्मा फ्रिज के ऊपर रखा था … उन्हें याद आया कि हां वही रखा था … मैंने उन्हें चश्मा पकडाया और बोला कि कई बार चीज न मिलने पर शांत होकर बैठने से चीज मिल जाती है .. इस बीच में मैंनें देखा कि मेरी सहेली मुझे गुस्से से देख रही है … मुझे समझ नही आया और मैं आंटी से कहने लगी आपने वो कहानी नही सुनी … वो बोली सुनाओ … तो मैंनें सुनाई एक कहानी
एक आदमी अपने घर मे अपनी घडी रख कर कही भूल गया. बहुत जगह खोजा. नही मिली. उसने अपने घर मे पत्नी और बच्चो सभी से कहा. सभी ने खोजी पर नही मिली.
उन्होने ईनाम भी रख दिया कि सौ रुपए इनाम मिलेगा जो घडी खोज कर लाएगा. इसी बीच उसके बेटे ने कहा कि यह काम वो अकेले ही करना चाहता है.
पहले वो एक कमरे में फिर दूसरे कमरे मे गया और बाहर आया तो उसके हाथ मे घडी थी. सब हैरान !!
पिता ने पूछा कि आखिर तुम्हे यह मिली कैसे?? इस पर बेटा बोला कि मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुप-चाप बैठ गया, और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केन्द्रित करने लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी , जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और आलमारी के पीछे गिरी ये घड़ी खोज निकाली.”
. इसलिए बजाय हाय तौबा मचाने के हमें शांत होकर बैठ जाना चाहिए और सोचना चाहिए इससे चीज मिल जाएगी …
बात खत्म करके मैंने आंटी को देखा वो चश्में से बडे आराम से अपना कान …
और मेरी सहेली बोली कि चश्मा गुमा नही था हमनें छिपाया था जान बूझ कर क्योकि ये उसे पहनने के लिए इस्तेमाल नही करती बल्कि …. कान में बहुत इंफेक्शन है इसलिए डाक्टर के कहने पर ही हमने
हे भगवान !! अब समझ आया … तो ऐसा ही होता है … जिंदगी को चटपटा बनाने के लिए ऐसे अनुभव बहुत जरुरी भी हैं … आंंटी बोली कि और कहानी सुनाओ न … पर मैं अब जाना नही भागना चाह रही थी …
वैसे आप तो ऐसे नही हैं ना … वो कहते भी है ना कि
…. नाक में उंगली, कान में तिनका मत कर, मत कर, मत कर … दाँत में मंजन, आँख में अंजन नित कर, नित कर, नित कर ”
खट्टे मीठे , ऐसा भी होता है , जिंदगी का सच- ये भी है
खट्टे मीठे अनुभव – खट्टी मीठी जिंदगी , चश्मा कैसे हटाये –
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