क्या होगा इस देश का
क्या हो रहा है…
आज दिल्ली से लौटते हुए एफएम पर आ रहा था सबसे ज्यादा तनाव में होते हैं भारत वासी.. उन्होने तो खैर बात को मजाक में उडाते हुए कह दिया कि सबसे ज्यादा तनाव सोमवार को होता है…छुट्टी से अगले दिन ज्यादा तनाव होता है क्योकि दफ्तर जाना होता है ..
खैर, सोचने वाली बात ये है कि आखिर हम देशवासियों को इतना तनाव क्यो है?… और मेरे हिसाब से इसका साफ और सीधा उदाहरण हम सभी के सामने हैं. देश में कोई नियम और कानून नही सभी एक दूसरे को नीचा दिखाने और मजाक बनाने में जुटा हुआ है. सडक पर गंदगी के ढेर मन कसैला कर देते हैं वहीं लोग लडाकू हो गए हैं पल भर मे सडक पर ही लडने मरने को तैयार हो जाते हैं और वही दूसरी ओर सोशल नेट वर्किंग साईटस पर शेर बने धूमते हैं और जज बन कर किसी पर कुछ भी आरोप लगा कर बस फैसला सुना देते हैं .
वही न्यूज चैनल की धटिया रिपोर्टिंग भी इसमें आग में धी डालने का काम करती है… सुबह से शाम तक एक न्यूज दिखाएगें न्यूज दिखाएगें और साथ ही साथ बोलेगें कि चैनल इसकी प्रमाणिकता साबित नही करता .. अरे भई जब कुछ पुख्ता ही नही है तो किसलिए दिखाते हो खबर … खबर प्रमाणिकता के साथ तो दिखाओ .. और सबसे सयाने हम है … जो बातों में आ जाते हैं और भेडचाल का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाते हैं..
जनता को बेवकूफ बनाना बहुत आसान है …
रात को सोते हैं तो इस चिंता में कि पता नही सुबह सडक पर कार मिलेगी या नही…या चोरी हो गई होगी…
अगर हम पेरेटंस हैं तो बच्चों की पढाई की चिंता,महंगें स्किइल और गिरता शिक्षा का स्तर, नेता हैं तो अपनी कुर्सी की चिंता.
सच्चाई ईमानदारी गई तेल लेने..
तनाव तनाव तनाव .. यही आज हर व्यक्ति की सोच है तो क्या इसका कोई हल है??… बिल्कुल है … कानून सख्त और सख्त कर देने चाहिए जो भी नियम तोडे उस पर जुर्माना … हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरा जिसने सडक पर आते जाते या कार से गंदगी फैंकी या लाल बत्ती नियम का उलंधन किया उसे सीधा फाईन…
महिला पुलिस की संख्या बढा देनी चाहिए..
विदेशों की प्रशंसा करते हम इसलिए नही थकते क्योकि वहां हर काम करीने से होता है और भ्रष्टाचार जरा भी नही है…बात का बतंगड नही बनाया जाता.. ईश्यू नही बनाए जाते बे फालतू की बात के.
आज की ही बात है दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ऊपर स्याही फेंक दी तो मजाक बन गया.. टवीट होने लगे .. अभी 18 जवानों के शहीद होने की खबर ठंडी भी नही पडी थी कि सोशल मीडिया फिर डाईवर्ट कर गया… अब इसे क्या कहा जाएगा … प्रश्न उठा रहे हैं कि पाकिस्तान को मुंह तोड जवाब क्यो नही देती सरकार … और पल भर में स्याही पर मजाक उडाने लगते हैं क्या ऐसे चलेगा देश ….. ऐसा कैसे चलेगा … सब अच्छा हो इसके लिए क्या हमें सबसे पहले तो खुद को नही सुधारना होगा..???
अचानक सडक पर स्पीड ब्रेकर आया और मैं भूतकाल में लौट आई.सुना था कि सडकों पर स्पीड ब्रेकर नही होगें पर हमारा हरियाणा महान है यहां हाईवे पर भी खूब स्पीड ब्रेकर हैं जो न सिर्फ स्पीड ब्रेक करते हैं बल्कि कार भी ब्रेक कर देते हैं ..
तभी अचानक सडक के किनारे एक बोर्ड पर नजर गई जिस पर लिखा था शराब पीकर वाहन चलाए … किसी ने ना को काट दिया था… अब बताईए कैसे सुधारे सिस्टम …
( तस्वीर गूगल से साभार )
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