Monica Gupta

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June 24, 2015 By Monica Gupta

बाल कहानी

बाल कहानी

  100रभ की 6तरी

( अंको को शब्दों के साथ जोड़कर कहानी का आनन्द लें)

2पहर के समय बर7 शुरू हो गर्इ। स्कूल से लौटते समय 100रभ ने अपनी कमीज की आस् 3 ऊपर कर ली थी। उसने पिताजी को बहुत बार 6तरी लाने को कहा था पर वो टाल देते थे। आज उसका जन्मदिन है पर उसकी 100तेली माँ ने उसे अभी तक बधार्इ भी नही दी। जब उसने स्कूल में अपने 2स्तों को यह बात बतार्इ तो वह उल्टे ही 100रभ के कान भरने लगे कि 100तेली माँ के आ4-वि4 अच्छे नही होते। वह हमेशा बच्चों में 2ष ही निकालती हैं और अत्या4 करती हैं। कर्इ बार तो उन्हें 6ड़ी से भी पीटती है। कर्इ बार तो बच्चे इतने ला4 हो जाते है कि घर से भागने की 9बत ही आ जाती है।

स्कूल की छुटटी के बाद वह सोचता हुआ जा रहा था कि 100तेली माँ से उसकी कभी अनबन भी नही हुर्इ पर आज उन्होनें बधार्इ क्यों नही दी। क्या वो भी उसे घर से निकाल देंगीं? लगता है, अब तो पिताजी भी उसे प्यार नही करते। 6तरी भी शायद इसीलिए नही लाकर दे रहे हैं। इसी सोच में उसे रास्ते में 1ता दीदी मिली। वो हमेशा वे2 के बारे में अच्छी-अच्छी बातें बताया करती थी। उन्होनें उसके घर का समा4 जाना और 2राहें पर से अपने घर चली गर्इ। वो 6मियाँ राम जी की 2ती थी। उसके और 100रभ के पिताजी बहुत अच्छे 2स्त थे। 1ता दीदी के पिताजी 9सेना में 9करी करते थे और 100रभ के पिता सवार्इ मानसिंह में रोगियों का उप4 करते।

यही सोचते-सोचते उसका घर आ गया और उसने ड़रते-ड़रते दरवाजे़ पर 10तक दी पर दरवाज़ें खुला था। कमरे में किसी की आहट ना पाकर वो चुपचाप अपने कमरे में चला गया। उसकी हैरानी की कोर्इ सीमा नही रही जब उसने अपनी 4पार्इ पर 100गात रखी देखी। 100गात खोलने पर उसमें सुन्दर सी 6तरी मिली। जैसे ही उसने पलट कर देखा तो उसकी माताजी और पिताजी जन्मदिन की बधार्इ ताली बजा कर दे रहे थे। उस समय तीनों की आँखें नम थी।

आज का दिन 100रभ के लिए ढ़ेरो खुशियाँ लेकर आया था। उसे अपनी माँ का प्यार मिला। माँ ने बताया कि शाम को तोहफा देकर चौंका देना चाहते थे। इसीलिए सुबह बधार्इ नही दी। अब उसके मन में कोर्इ शंका नही थी कि मम्मी पापा उसे बहुत प्यार करतें हैं। अपनी नर्इ 6तरी लेकर वो 2स्तों को दिखाने बाहर भागा। बाहर धूप निकल आर्इ थी और सुन्दर सा इन्द्रधनुष सुनहरी 6ठा बिखेर रहा था।

umberella photo

Photo by oatsy40

रोचक बाल कहानी 100रभ की छतरी

राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुई कहानी

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