महिला, समाज और सकारात्मक या नकारात्मक मानसिकता
ऐसा भी होता है ..
कल भरी दोपहर दरवाजे पर घंटी बजी. बाहर गई तो देखा दो महिलाएं हाथ में रजिस्टर और रसीद लिए खडी किसी संस्था के लिए और चंदा मांगने आई थीं. मैनें साफ इंकार कर दिया कि हम ऐसे नही देते . फिर वो बोली कि पानी पिला दो.
मेरे दिमाग में सावधान इंडिया और सीआईडी घूमने लगा कि मोना कुछ तो गडबड है…
पहले सोचा कि पानी के लिए भी मना कर दूं पर कैसे करुं और पानी लेने भीतर चली गई. इतने में एक और महिला आ गई और उसने भी पानी पीने की इच्छा जाहिर की..
मैनॆ मन ही मन सोचा.. आज तो हो गया काम … और मैं शक्की निगाहों से देखती रही. सडक दूर तक सूनसान थी.
तीनों ने पानी पीया मुझे स्माईल दी और आगे बढ गई… कुछ भी नही हुआ…!! जी… कुछ भी नही हुआ..
असल में, हमारे दिमाग में नकारात्मकता इतनी बढ गई है कि हर बार गलत ही गलत नजर आता है… !!
मैनें आगे जाकर कर देखा वो किसी घर की घंटी बजा कर चंदा मांग रही थी… सभी लोग बुरे भी नही होते शायद ..
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