Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

  • About Me
  • Blog
  • Contact
  • Home
  • Blog
  • Articles
    • Poems
    • Stories
  • Blogging
    • Blogging Tips
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Kids n Teens
  • Contact
You are here: Home / Articles / मैं हूं मणि

June 17, 2015 By Monica Gupta

मैं हूं मणि

mai hu mani by monica gupta

मैं हूं मणि …

मैं हूं मणि, मेरी पहली प्रकाशित किताब. सन 2008 में प्रकाशित बाल पुस्तिका में 54 पेज  में  16 कहानिय़ां है. पुस्तक को हरियाणा साहित्य अकादमी से बाल साहित्य पुरुस्कार मिला.

मैं हूं मणि  के माध्यम से मैने कुछ अपना बचपन और कुछ बच्चों का बचपन सम्मलित किया है. चाहे कहानी  चाकलेट की बेटी हो या मैं हूं राजकुमारी या मुझे नही बनना मम्मी वम्मी … बच्चों के मासूम मन को दर्शाता है …!!

मेरी लिखी एक बाल कहानी …

ऐसी ही हूँ मैं…………!

सुबह का समय……! मैं यानि मणि, स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही हूँ पर मैंने जुराबें कहां रख दी मिल ही नही रही। बेल्ट भी देखने के लिए पूरी अलमारी छान मारी पर जब मम्मी मेरा स्कूल बैग ठीक करने लगी तब देखा उसी बैग में बेल्ट पड़ी थी। एक जुराब ना मिलने से अलमारी से दूसरा जोड़ा निकाल कर दिया। मेरा कमरा ऐसा हो रहा था मानो अभी-अभी भूकम्प आया हो। वैसे यह आज की बात नहीं है। मैं ऐसी ही हूँ। कमरा साफ-सुथरा रखना मेरे बस की बात नहीं………… वैसे मैं अभी तीसरी कक्षा में ही तो हूँ।

फिर पढ़ार्इ के अलावा मुझे पता है कितने काम होतें हैं….. गिनवाऊँ……… ओ.के. गिनवाती हूँ। पापा के पैरों पर खड़े होकर उन्हें दबाना, मम्मी की टेढ़ी-मेढ़ी चोटी बनाना, मटर छीलते समय उन्हें खाना ज्यादा डि़ब्बे में ड़ालना कम…….और….और…. पापा के हाथों व पैरों की उंगलियां खींचना, दादाजी की पीठ पर कंधे से खुजली करना…….ऊपर से पढ़ार्इ….पढ़ार्इ और पढ़ार्इ……….. है ना कितना काम। ओफ………..बस का हार्न बजा………… लगता है मेरी स्कूल बस मुझे लेने आ गर्इ है……….।

दोपहर के दो बजे मैं स्कूल से लौटती हूँ। उस समय मुझे अपना कमरा चमकता-दमकता मिलता है। यही हर रोज होता है।

हर सुबह मेरी तलाश, खोजबीन जारी रहती है और मम्मी मेरी हमेशा सहायता करती है क्योंकि ऐसी ही हूँ मैं…..। एक दिन मम्मी को कहीं जाना था तो मम्मी ने मुझे सुबह ही घर की डुप्लीकेट चाबी थमा दी। चाबी अक्सर मैं गुम कर देती हूँ इसलिए मम्मी मेरे गले में पहने काले धागे में चाबी ड़ाल देती हैं इससे चाबी गुम नहीं होती। मैं स्कूल से लौटी तो घर पर ताला लगा था। मैंने घर खोला और अंदर से बंद कर लिया। मम्मी मुझे हिदायत देकर गर्इ थी क्योंकि हमारे शहर में चोरियां बहुत हो रही थी।

हमेशा की तरह मैंने साफ-सुथरे घर को गंदा कर दिया। स्कूल बैग जमीन पर पटका। बेल्ट कहीं, जुराबें कहीं और कौन सी ड्रेस पहनूं के चक्कर में सारी अलमारी अस्त-व्यस्त कर दी। ड्रेस मैंने निकाली पर अलमारी बंद नहीं की क्योंकि ऐसी ही हूँ मैं।

फ्रिज में से कोल्ड़ डि्ंक निकाला और ठाठ से लेट कर टीवी देखने लगी। बार-बार चैनल बदले जा रही थी क्योंकि मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या देखूं और क्या न देखूं। फिर मम्मी की ड्रेसिंग टेबल वाली दराज खोल कर बैठ गर्इ कि मम्मी की सारी चूडि़यां, बिन्दी ठीक कर के लगाती हूँ। इसी बीच घर की लाइट चली गर्इ। मैं बोर होने लगी। मम्मी अभी आर्इ नही थी। मैंने सोचा कि घर बंद करके अपनी सहेली सुधा के यहां चली जाती हूँ। फिर मैंने घर ढंग से बंद किया और सुधा के घर गुडि़या-गुडि़या खेलने चली गर्इ ।

शाम हो गर्इ थी। मम्मी को सुधा की मम्मी से कुछ काम था इसलिए वो बाजार से सीधा ही सुधा के घर आ गर्इ। मुझे वहां खेलते देख उन्होंने गुस्सा किया कि पढ़ार्इ कब करूंगी और पापा भी बेचारे दफ्तर से आ गए होंगे और बाहर ही खड़े गुस्सा हो रहे होंगे।

मैं खेल भूल कर तुरन्त मम्मी के साथ घर चल पड़ी। घर गर्इ तो बाहर पापा और उनके दोस्त परेशान से खड़े थे। पापा ने बताया कि वह पाँच मिनट से बाहर खड़े हैं। घर का ताला तो बंद है पर अंदर से हल्की-हल्की आवाजें आ रही है। पीछे की खिड़की भी खुली है। वैसे पड़ोस के जैन साहब ने बताया कि उन्हाेंने पुलिस को फोन भी कर दिया है। पापा गुस्से से मुझे ही घूरे जा रहे थे। सभी अंदाजा लगा रहे थे कि पता नहीं, भीतर कितने लोग हैं।

पुलिस भी आ गर्इ। मम्मी ने घर की चाबी पुलिस वालों को दे दी। दोनों पुलिस वालों ने दरवाज़ा धीरे से खोला और धीरे-धीरे कमरे में प्रवेश किया। भीतर वाले कमरे से हल्की-हल्की रोशनी व आवाजें भी आ रही थी। एक पुलिस वाले ने भीतर से बाहर आकर यह रिर्पाट दी।

मेरी मम्मी भी पूरी तरह से घबरा गर्इ। पता नहीं क्या हो रहा होगा। तभी दूसरे वाला पुलिस मैन बाहर अपनी बन्दूक लेने आया तो उसने बताया कि भीतर का कमरा बिल्कुल फैला हुआ है। ऐसा लग रहा है मानो पूरी खोजबीन की हो। पांव तक रखने की जगह नहीं है। मैं तो बिल्कुल ही रूआंसी हो गर्इ। पापा-मम्मी दोनों मुझे गुस्से से देख रहे थे। आसपास के पड़ोसी भी इकटठे हो गए। चारों तरफ फुसफुसाहट हो रही थी।
तभी भीतर गए पुलिस वाले ने मेरे पापा को आवाज देकर भीतर बुलवाया। पिताजी ड़रते-ड़रते अन्दर गए फिर उन्होंने मेरी मम्मी और मुझे आवाज दी। हम दोनों भी अंदर गए। अन्दर जाकर देखा तो भीतर कोर्इ नहीं था। सिर्फ पापा और दो पुलिस वाले थे और हां कमरे में टीवी जरूर चल रहा था।
मुझे याद आया कि टीवी तो मैं चलता ही भूल गर्इ थी। बिजली चले जाने के कारण मुझे टीवी को बंद करना ध्यान ही नही रहा।

पुलिस वाले अंकल पापा को कह रहे थे कि वह तो इतना बिखरा कमरा देख कर हैरान थे और सोच रहे थे कि इतना तो चोर ही चोरी करते वक्त कमरा फैला कर जाते हैं।

पापा-मम्मी मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे। मुझे एक तरफ तो खुशी थी घर में चोर नहीं है लेकिन पुलिस वालों के आगे मुझे बहुत बेइज्जती महसूस हुर्इ क्योंकि वह सारा कमरा तो मैंने ही फैलाया था…….। पुलिस अंकल मुझ से पूछने लगे कि क्या मैंने ही यह कमरा फैलाया है।

मैं जोर से रो पड़ी और कहने लगी कि प्लीज़ अंकल आप मेरी शिकायत किसी से मत करना। सारी गलती मेरी थी। मैं ऐसी ही हूँ। स्कूल से आकर सारा कमरा फैला देती हूँ। फिर टीवी देखते-देखते लाइट चली गर्इ। मैंने खिड़की खोल दी पर…. घर पर बोर हो रही थी तो मैं बिना खिड़की, टीवी बंद किए ही सुधा के घर खेलने चली गर्इ। पर बाहर से ताला जरूर लगा गर्इ।

पुलिस वाले अंकल ने बताया कि फिर शाम हुर्इ, अंधेरा हुआ तो टीवी की हल्की-हल्की आवाज और कम ज्यादा होती रोशनी से ऐसे लगा कि घर पर कोर्इ है और खुली खिड़की देख कर तो मन का शक पक्का हो चला। मैं रो रही थी। पर मुझे सबक मिला चुका था। मैंने मम्मी-पापा और पुलिस अंकल से वायदा लिया कि मैं आगे से ऐसा नहीं करूंगी। कमरा ठीक रखूंगी। दो-तीन दिन बाद फिर वही रोज मर्रा की तरह कमरा फैलाना शुरू हो गया क्योंकि…….. ऐसी ही हूँ मैं…….. है ना!

कैसी लगी कहानी जरुर बताईएगा …. 🙂

मैं हूं मणि …

 

 

 

❮❮ Previous Post
Next Post ❯ ❯

Stay Connected

  • Facebook
  • Instagram
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

Categories

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

  • Home
  • Blog
  • Articles
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Poems
  • Stories
  • Kids n Teens
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Anti Spam Policy
  • Copyright Act Notice

© Copyright 2024-25 · Monica gupta · All Rights Reserved