रक्तदाता
अक्सर हम रक्तदान पर बढ चढ कर बात करते हैं पर जब रक्त देने की बात आती है तो कुछ लोग ऐसे भी होते है…
हुआ ये कि एक सहेली ने बताया कि उनके करीबी रिश्तेदार को डेंगू हो गया और अचानक प्लेट्लेट की जरुरत पडी. उसने मुझे फोन किया. मैने कहा कि अभी कुछ करती हूं बात को 5 मिनट भी नही हुए थे कि उसका दुबारा फोन आया कि रहने दीजिए एक रक्तदाता मिल गए हैं और वो प्लेटलेटस देने आ रहे हैं . मैने भी भगवान शुक्र अदा किया कि अब मरीज जल्द ठीक हो जाएगें.
असल में, उन्होने उसने अपने जानकार को फोन किया और उसने कहा कि वो अभी आ रहें हैं. इसी बीच मेरी सहेली रिलेक्स हो गई पर आधा घंटा बीतने पर भी वो नही आए. सहेली ने दुबारा उन्हें फोन किया पर अब फोन ही नही मिल रहा था. अब परेशानी शुरु हो गई क्योकि मरीज की हालत लगातार बिगडती जा रही थी. आनन फानन दो चार् लोगो से फोन किया और बिल्कुल अंत मे एक अंजान व्यक्ति रक्तदान के लिए आगे आया.
दुख इस बात का है कि अगर ऐसे समय मे वो मित्र पहले ही मना ही कर देते कि मै नही दे सकता तो शायद इतनी परेशानी ना होती पर जिस तरह से उन्होने लटकाए रखा और ना ही फोन किया और ना ही खुद आए तो ये तो बहुत ही गलत बात की. इस वजह से उनके मरीज की जान भी जा सकती थी.
यह बात आपके साथ इसलिए शेयर कर रही हूं अगर कभी भी ऐसी बात हमारे सामने आए तो या मना कर दें या फिर आगे आए. परेशान व्यक्ति को और ज्यादा परेशानी मे ना डाले…!! प्लीज !!
रक्तदाता