सहयोग की भावना पर कहानी है ये लघु कथा जोकि दैनिक भास्कर समाचार पत्र की मधुरिमा में प्रकाशित हुई थी. ये कहानी आपसी रिश्तों का अहसास करवाती है…
सहयोग की भावना पर कहानी
दो दोस्तों के बीच में प्यार और विश्वास की कहानी है.. कहानी दो दोस्तों और उनके बीच एक अनोखी दोस्ती की है …
Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता – Monica Gupta
कहानी – सहयोग
सुबह से ही दिनेश बहुत परेशान सा घूम रहा था. असल मे, कुछ देर पहले ,उसके बचपन के दोस्त रवि की पत्नी का फोन आया था वो धबराई हुई आवाज मे बोल रही थी कि भाई साहब, हमे आपकी मदद चाहिए. वैसे तो दिनेश और रवि बहुत ही अच्छे दोस्त थे…
बाउ जी( एक अन्य कहानी)
करीब एक साल से विन्नी के ससुर बहुत बीमार चल रहे थे। उसके पति डॉ. भूषण जी-जान से उसकी सेवा में जुटे थे। पहले तो घर में ही उनका इलाज हो रहा था पर ज्यादा तबीयत ठीक न देखते हुए पिछले तीन महीने से वो उन्हीं के अस्पताल में थे। विन्नी का एक पाँव अस्पताल में तो दूसरा घर पर रहता।
एक शाम डॉ. भूषण की तबीयत ठीक नहीं थी, इसीलिए वो अस्पताल नहीं जा पाए। उन्हें पूरा आराम मिले और देर रात उन्हें अस्पताल से फोन आने की वजह से उठना न पड़े, इस कारण विन्नी ने उनका मोबाइल बंद कर दिया और लैंडलाइन के फोन के तार निकाल दिए। उसके मन में बस यही विचार था कि ससुर जी की सेवा करते-करते उसके पति खुद ही बीमार न पड़ जायें।
सुबह आँख किसी के दरवाजा खटखटाने से खुली। पड़ोसी के घर विन्नी के लिए फोन था। रातभर उसके परिवार के लोग फोन लगाते रहे, पर फोन नहीं मिला। विन्नी की छोटी बहन रोते-रोते फोन पर बता रही थी कि उनके बाउ जी के साथ रात सड़क दुर्घटना हो गई और उनके जीजा का फोन नहीं मिला, इसीलिए सही डॉक्टरी सेवा न मिल पाने के कारण उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा।
विन्नी हक्की-बक्की-सी खड़ी-की-खड़ी रह गई।
कात्यायनी माता – मां दुर्गा का छ्ठा रुप – Monica Gupta
कात्यायनी माता – मां दुर्गा का छ्ठा रुप हैं माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कहानी है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बेहद कठिन तपस्या की थी।
उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय बाद् जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। Read more…
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