स्कूली शिक्षा
सर्व शिक्षा अभियान हो, मीड डे मील हो या बच्चों की पिटाई न करने का नियम सरकारी स्कूल बहुत तरह से लुभा रहें है पर बच्चों में स्कूल जाने के प्रति जागरुकता कितनी बडी है हम सभी के सामने है. मैं अकसर यह बात सोचती हूं कि स्कूल में पिटाई न करने और पास करने के नियम बना देने से क्या सार्थक परिणाम देंगें या विपरीत परिणाम सामने आ रहे हैं. खैर इन सभी बातों से हट कर एक बात मैं आपसे शेयर कर रही हूं.
असल में, जब भी मैं सुबह सुबह पौधो को पानी दे रही होती हूं ये बच्चे ज्योति, प्रियांशी,बीरु,(पहली क्लास के) हिमांशु , राहुल( नर्सरी के) घर के आगे से रोज निकलते हैं और सबसे अच्छी बात इनकी ये है कि हमेशा हंसते, बतियाते तो कभी अपने स्कूली पाठ के बारे में बाते करते जाते हैं.
बीते दिनों जब बहुत ठंड और धुंध थी तब भी ये बच्चे रोज जाते थे. बहुत दिनों से सोच रही थी कि इनसे जरुर बात कंरुगी और आज बात कर ही ली. बच्चों ने बताया कि वो सरकारी स्कूल में पढते हैं. इन्हें स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता है. मेरे पूछ्ने पर कि सुबह कौन उठाता है इस पर सभी तपाक से बोले हम अपने आप उठ जाते हैं हमे कोई नही उठाता बल्कि अपने बडो को हम भी उठाते हैं.
ऐसा जज्बा, ऐसी लग्न… कसम से, अगर स्कूल में इन्हें सही शिक्षा मिले तो ऐसे बच्चों का भविष्य बहुत खूबसूरत होगा.
मुस्कुराते हुए उनकी फोटो लेकर जब मैं घर वापिस मुड ही रही थी तभी एक मम्मी अपने रोते बच्चे को स्कूल जा रही थी. मैं उसे देख कर कुछ सोच ही रही थी तभी उसकी मम्मी ने बच्चे को एक तमाचा जड दिया और बोली और रो … चार लोग देख रहे हैं और बेईज्जती करवा ले मेरी… मैने नजर घुमाई अरे बाप रे …चार नही यहां तो अकेली मैं ही खडी थी और चुपचाप ही वापिस मुड गई. ह हा हा !!अब मैं इसे क्या बताती कि मैं भी बचपन में रोते रोते स्कूल जाने वालो मे एक थी और शायद इसलिए उन बच्चों का खुशी खुशी स्कूल जाना बहुत अच्छा लगा…!!
काश हमारे सरकारी स्कूलों की शिक्षा का स्तर और सुधर जाए और सभी बच्चे हंसी खुशी स्कूल जाए !!! मेरी शुभकामनाएं हैं सभी बच्चॉ के साथ !!!
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