स्त्री आभूषण और करवा चौथ – सुंदर और खूबसूरत दिखने की चाह हर किसी में होती है. शादी ब्याह के अतिरिक्त त्योहार हमें ना सिर्फ मिलने जुलने का बल्कि सजने सवरने का भी पूरा अवसर देते हैं. करवाचौथ ऐसा ही खूबसूरत सा सुहागिनों का पर्व है…इसलिए सबसे पहले तो सभी सुहागिनो को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं……!!!
स्त्री आभूषण और करवा चौथ – करवा चौथ की तैयारी
करवा चौथ एक ऐसा पावन दिन है जब पति की आयु के लिए की गई प्रार्थना प्रभु स्वीकार करते हैं और यही विवाहिता के लिए बड़ा वरदान है। इस दिन महिलाएँ पूरा दिन व्रत रखती हैं और रात्रि को चांद देखकर ही व्रत खोलती हैं….
महिलाए विशेष रूप से श्रंगार करती हैं… अच्छी बात ये भी है कि फैशन के इस दौर में भी महिलाएँ इस पर्व पर पारंपरिक रूप से ही तैयार होती हैं।
इसमे कोई शक नही कि सभी सुहागिने अपने अपने रीति रिवाज से करवा चौथ मनाती हैं पर एक बात जो सभी मे एक समान रहती है वो है ढेर सारे गहनो से अपने आप को सजाना. नए नए कपडो के साथ टीका, कडा , हंसली, पायल, कमरबंध आदि और भी ना जाने कितनी तरह से खुद को सजाएगीं पर नारी की असली सुन्दरता तब है जब वो ना सिर्फ इन्हे धारण करें बलिक अपने जीवन मे अपनाए भी. जैसाकि
टीका यानि बिंदी- हमेशा यश का टीका ही लगाए.
कर्ण फूल – हमेशा कानो से दूसरो की प्रंशसा ही सुनें.
छ्ल्ले – कभी किसी से छ्ल ना करें.
पायल – सभी बडे बुजुर्गो का आशीर्वाद लें.
काजल – हमेशा शील का जल नयनो मे रखें. कडे – कभी किसी से कडे वचन ना बोलें.
मोहन माला- अपने सदगुणो से सबका मन मोह लें.
कमरबंध-सत्कर्मो के लिए सदा तैयार रहें.
इसके साथ साथ मेंहदी और सिंदूर से किया श्रंग़ार और खिल जाता है.
करवा मां की कहानी
एक लोक कथा के अनुसार ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था। वीरवती अपने भाईयों की बहुत प्रिय थी. नियमानुसार उसे भी अपनी भाभियों के साथ चंद्रोदय के बाद भोजन करना था,परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी।
उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया।
परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया। अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन तपस्या से वीरवती को माँ पार्वती का आशीर्वाद मिला और उसका सुहाग पुनः प्राप्त हो गया।
इसके अतिरिक्त एक और लोक कथा है जिसमे यही वीरवती भाइयों के प्रेम के कारण ही रानी से नौकरानी बनती है और फिर इसी व्रत की महिमा से माँ पार्वती को प्रसन्न करती है और गाती है रोली की गोली हो गई गोली की रोली हो गई”अपने गौरव को प्राप्त करती है|
कुछ महिलाए मात्र कथा सुनती हैं तो कुछ महिलाए थाली धुमाती हुई कुछ ऐसे गाती हैं
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वीरो कुड़िये कर्वरा ….. सर्व सुहागन कर्वरा
कत्ती न अटेरी न
घूम चरखा फेरी ना
गवांड फेर पाईं ना
सुई च धागा पाईं ना
रुठरा मनाईं ना
सुतडा जगाईं ना
भैन प्यारी वीराँ
चन चड ते पानी पीवां
वे वीरो कुरिए कर्वरा वे सर्व सुहागन कर्वरा
बहुत खुशी होती है यह देख कर कि आज के समय में आए बदलाव के अनुसार अब बहुत से पुरुष भी दिन भर कुछ नही लेते … और अपनी पत्नी की भावनाओं, उनकी आकांक्षाओं का ख्याल रखते हुए दोनों एक-दूजे के साथ-साथ, एक-दूजे के हाथ से व्रत का समापन करते हैं।
आपकी जिंदगी मे ऐसा प्रेम सदा बना रहे …
एक बार फिर से सभी सुहागिनो को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं….